
Union Minister Kiren Rijiju inaugurated the 105th Foundation Day celebrations of Jamia Millia Islamia
“Kiren Rijiju ने कहा– जामिया मुल्क की तालीमी विरासत का फख़्र है”
“Education, Unity aur Empowerment: Jamia ka 105 saal ka safar”
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में 105वें स्थापना दिवस और भव्य तालीमी मेले का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने किया। इस अवसर पर उन्होंने जामिया की विरासत, शिक्षा में योगदान और भारत की एकता के प्रतीक स्वरूप इसकी भूमिका की सराहना की।
📍नई दिल्ली🗓️ 30 अक्तूबर 2025✍️ असिफ़ ख़ान
नई दिल्ली के ऐतिहासिक जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में गुरुवार को 105वें स्थापना दिवस का जश्न पूरे शानो-शौकत से मनाया गया। मौक़ा था इस महान शैक्षणिक संस्थान की एक सदी से ज़्यादा की यात्रा को सलाम करने का — एक ऐसी यात्रा जिसमें इल्म, तहज़ीब, और मुल्क की मोहब्बत साथ-साथ चली है।
एम. ए. अंसारी सभागार में हुआ यह आयोजन कुछ यूँ था जैसे जामिया की रूह ख़ुद वहाँ मौजूद हो — पुरानी दीवारों में अब भी गूंजती आवाज़ें, “शिक्षा से इंसानियत तक” का वो जज़्बा, जो आज भी उतना ही ताज़ा है जितना 1920 में था।
कार्यक्रम की शुरुआत माननीय केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री किरेन रिजिजू के आगमन से हुई। उनका स्वागत गार्ड ऑफ ऑनर से किया गया, उसके बाद पवित्र कुरआन की आयतें पढ़ी गईं और फिर जामिया स्कूल के बच्चों ने बड़े एहतराम से “जामिया तराना” पेश किया। सभागार खचाखच भरा था — स्टूडेंट्स, टीचर्स और एलुमनाई सबकी आंखों में गर्व और अपनापन झलक रहा था।
जामिया की विरासत और रिजिजू का संदेश
अपने संबोधन में मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जामिया सिर्फ़ एक यूनिवर्सिटी नहीं, बल्कि एक तहरीक है — जिसने मुल्क को इल्म, क़ौमी एकता और तहज़ीब की नयी रौशनी दी। उन्होंने जामिया के संस्थापकों मौलाना मोहम्मद अली जौहर, डॉ. एम. ए. अंसारी और डॉ. मुहम्मद मुजीब को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि गांधी, टैगोर, सरोजिनी नायडू और मौलाना आज़ाद जैसी हस्तियों का समर्थन जामिया की नींव में शामिल था।
उन्होंने कहा, “जामिया मिल्लिया इस्लामिया हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब का ज़िंदा नमूना है। यह जगह दिखाती है कि कैसे इल्म और एकता साथ चल सकते हैं।”
रिजिजू ने जामिया की अकादमिक उपलब्धियों की सराहना करते हुए बताया कि यह संस्थान 11 फ़ैकल्टी, 48 डिपार्टमेंट और 28 रिसर्च सेंटर्स के साथ देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुका है। उन्होंने कहा कि “भारत जैसे विविधता भरे देश में जामिया ‘यूनिटी इन डाइवर्सिटी’ का सबसे बड़ा प्रतीक है।”
शिक्षा और राष्ट्रवाद का संगम
रिजिजू ने कहा कि जामिया की असल पहचान उसके स्टूडेंट्स और टीचर्स की मेहनत है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षा का मक़सद सिर्फ़ डिग्री नहीं, बल्कि ज़िम्मेदार नागरिक तैयार करना है जो मुल्क को मज़बूत करें।
उन्होंने उर्दू भाषा की तारीफ़ करते हुए कहा कि “उर्दू दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत ज़बान है, और इस ज़बान की मिठास जामिया की फिज़ाओं में बसती है।”
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने जामिया की वार्षिक रिपोर्ट और ‘जौहर’ न्यूज़लेटर के विशेष अंक का विमोचन भी किया, जो आठ साल बाद फिर से प्रकाशित हुआ है।








विकसित भारत 2047 की दिशा में शिक्षा की भूमिका
केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” मिशन का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था अगर प्रगतिशील रहेगी, तो देश को सुपरपावर बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा, “जहाँ पहले भारत की ग्रोथ 2-3% थी, अब हम 7% से आगे बढ़ रहे हैं। यह हमारी नयी सोच और शिक्षा में निवेश का नतीजा है।”
उन्होंने यह भी ऐलान किया कि जामिया को एक बड़ा सभागार बनाने में उनका मंत्रालय मदद करेगा ताकि आने वाले समय में और बड़े आयोजन यहाँ हो सकें।
नई परियोजनाएँ और जामिया की भविष्य दृष्टि
जामिया के रजिस्ट्रार प्रो. महताब आलम रिज़वी ने बताया कि अब जामिया को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से दो बड़ी परियोजनाओं की मंज़ूरी मिली है — एक इलेक्ट्रिक व्हीकल रिसर्च लैब और दूसरी साइबर सिक्योरिटी टेस्टिंग लैब।
इसके अलावा जामिया की प्रतिष्ठित रेज़िडेंशियल कोचिंग अकादमी, जिसने देश को सैकड़ों सिविल सेवक दिए हैं, को अब एयर-कंडीशंड लाइब्रेरी की सुविधा भी मिलेगी।
उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने बुनियादी ढांचे, हॉस्टल्स और स्मार्ट क्लासरूम्स के विकास के लिए ₹181 करोड़ की राशि भी स्वीकृत की है।
“जामिया एक विचार है, सिर्फ़ संस्थान नहीं”
कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ ने अपने वक्तव्य में कहा कि जामिया का मक़सद सिर्फ़ ज्ञान देना नहीं, बल्कि सोचने की ताक़त देना है। उन्होंने कहा — “यह यूनिवर्सिटी एक विचार है, जो मुल्क की रूह को छूता है। जामिया का हर छात्र इस परंपरा का हिस्सा है।”
उन्होंने बताया कि इस साल का तालीमी मेला जामिया की परंपरा, आधुनिकता और महिला सशक्तिकरण के संगम को पेश करता है।
तालीमी मेला 2025 — शिक्षा और संस्कृति का संगम
छह दिनों तक चलने वाला यह तालीमी मेला इस बार पहले से भी ज़्यादा भव्य है। यहाँ किताबों की प्रदर्शनियाँ, वर्कशॉप्स, सेमिनार्स और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ हो रही हैं।
ज़ाकिर हुसैन लाइब्रेरी द्वारा आयोजित 16 बुक स्टॉल्स और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (SDG) पर विशेष बूथ ने आगंतुकों को आकर्षित किया। हाल ही में एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग में जामिया को एसडीजी कैटेगरी में तीसरा स्थान मिला था।
प्रो. एहतेशामुल हक़ और उनकी टीम ने मंत्री जी को रिसर्च मॉडल्स और प्रोटोटाइप दिखाए जो सतत विकास के लक्ष्यों पर आधारित थे।
“जामिया रक़्स कुना हो के तेरी ईद है आज”
कार्यक्रम का समापन जामिया स्कूल की छात्राओं द्वारा पेश किए गए इस तराने से हुआ, जिसने माहौल को रूहानी बना दिया।
डीन ऑफ़ स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. नीलोफर अफ़ज़ल ने सभी टीमों, सुरक्षा, बागवानी और सफ़ाई कर्मचारियों को धन्यवाद दिया जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाया।
एक सदी से भी लंबी इल्मी यात्रा
आज जब जामिया अपनी 105वीं सालगिरह मना रहा है, तो यह सिर्फ़ एक संस्थान नहीं, बल्कि एक ख़याल बन चुका है — ऐसा ख़याल जो शिक्षा, समानता, भाईचारे और तरक़्क़ी में यक़ीन रखता है।
जैसे प्रो. आसिफ़ ने कहा — “हमें बताने की ज़रूरत नहीं कि जामिया ने क्या हासिल किया, क्योंकि इसका नाम ही सब कुछ कहता है।”






