
North India cold wave, Delhi pollution and fog visual from Shah Times
दिल्ली में गिरी ठंड की पहली बौछार, सांसें रोकता प्रदूषण
हिमालय की हवाएं लाई सर्दी, उत्तर भारत में कोहरे की आहट
📍 नई दिल्ली
🗓️ नवम्बर 2025
✍️ Asif Khan
उत्तर भारत में सर्दी की शुरुआत हो चुकी है। हिमालय से आने वाली ठंडी हवाओं ने दिल्ली-एनसीआर समेत कई इलाकों का तापमान गिरा दिया है। वहीं, प्रदूषण ने सांस लेना मुश्किल कर दिया है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में और ठंड बढ़ने का अनुमान जताया है।
ठंड के साथ लौटा स्मॉग, दिल्ली-एनसीआर में सांसें हुई भारी
उत्तर भारत में अब मौसम ने करवट ले ली है। दिल्ली की रातें सर्द होने लगी हैं और सुबह की हवा में ठंडक घुल चुकी है। पहाड़ों पर हुई ताज़ा बर्फबारी का असर अब मैदानी इलाकों तक पहुंच गया है। मौसम विभाग का कहना है कि हिमालय की उत्तर-पश्चिमी बर्फीली हवाएं दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक पहुंच रही हैं।
दिल्ली में बुधवार-गुरुवार की रात न्यूनतम तापमान 12.7°C दर्ज किया गया, जो सामान्य से तीन डिग्री कम है। यह ठंड की पहली असली दस्तक मानी जा रही है। आईएमडी (IMD) के अनुसार आने वाले दिनों में यह और नीचे जा सकता है — शायद 10°C से भी नीचे। यह वही मौसम है जब लोग गर्म कपड़े निकालने लगते हैं, और सुबह की चाय या अदरक वाली काढ़ा दिन की शुरुआत का हिस्सा बन जाता है।
बर्फीली हवाओं की दस्तक और मौसम की तब्दीली
हवा में अब वो नमी नहीं रही जो मानसून के बाद तक रहती थी। आसमान साफ है और ज़मीन की गर्मी रात में ऊपर चली जाती है। यही वजह है कि दिन में धूप हल्की गर्माहट देती है, मगर रात में पारा तेजी से गिर जाता है।
हिमालय की ऊंची चोटियों पर लगातार बर्फबारी हो रही है — खासकर कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में। वहां के बर्फीले कण जब हवा के साथ नीचे उतरते हैं, तो दिल्ली-एनसीआर की फिज़ा में सर्द झोंके महसूस होते हैं।
दिल्ली की हालत: ठंड और प्रदूषण दोनों का कहर
यह दिल्ली की विडंबना है कि जब ठंड आती है, तो उसके साथ प्रदूषण भी बढ़ जाता है। गुरुवार की सुबह दिल्ली का AQI कई इलाकों में 450 से ऊपर चला गया। इसका मतलब है — ‘Severe’। यानी हवा सांस लेने के लायक नहीं।
सर्द हवा के साथ स्मॉग की परत नीचे बैठ जाती है। यह वही धुंध है जो देखने में कोहरा लगती है, मगर असल में जहरीली गैसों और धूल का मिश्रण होती है।
लोधी रोड, आनंद विहार, आईटीओ, और पंजाबी बाग जैसे इलाकों में सांस लेना मुश्किल हो गया है। आंखों में जलन, गले में खराश और खांसी आम हो गई है।
पिछले सालों से तुलना करें तो इस बार ठंड थोड़ी देर से
दिल्ली में आमतौर पर अक्टूबर के आखिरी हफ्ते तक पारा 15°C से नीचे चला जाता है। लेकिन इस बार ठंड ने कुछ देर लगाई।
पिछले पांच सालों का रिकॉर्ड देखें —
2024 में 19 नवम्बर को 12.3°C
2023 में 28 अक्टूबर को 14.3°C
2022 में 23 अक्टूबर को 14.5°C
2021 में 27 अक्टूबर को 14.6°C
2020 में 20 अक्टूबर को 13.7°C
इस बार नवंबर के पहले हफ्ते में ही यह स्तर आया है, जो बताता है कि मौसम अब धीरे-धीरे सर्द हो रहा है, मगर देर से।
मौसम विभाग का अनुमान और लोगों की तैयारी
स्काईमेट के उपाध्यक्ष महेश पलावत का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों तक उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलती रहेंगी। दिन में धूप रहेगी, लेकिन रातें और ठंडी होंगी। रविवार तक तापमान में 1-2 डिग्री और गिरावट संभव है।
दिल्लीवासियों के लिए सलाह है कि रात में खुले में न सोएं, बच्चों और बुज़ुर्गों का खास ख्याल रखें, और सुबह-शाम मास्क पहनना न भूलें — क्योंकि ठंड के साथ-साथ प्रदूषण भी अपना असर दिखा रहा है।
उत्तर भारत के अन्य राज्यों की स्थिति
उत्तर प्रदेश में मौसम सामान्य है लेकिन पूर्वांचल और तराई क्षेत्र में कोहरा बढ़ने लगा है। लखनऊ और वाराणसी में सुबह-सुबह हल्का धुंध छाने लगा है।
बिहार में भी ठंड की दस्तक हो चुकी है। गया और पटना में रात का तापमान 14°C के आसपास दर्ज किया गया है। यहां सुबह और शाम को हल्की ठंड के साथ कोहरे की चादर दिख रही है।
राजस्थान में बीकानेर और जयपुर में पारा 13°C तक गिर चुका है। पंजाब और हरियाणा के कुछ इलाकों में रात का तापमान 11°C के करीब है।
दक्षिण भारत में बारिश की मार
जहां उत्तर भारत ठंड से जूझ रहा है, वहीं दक्षिण भारत में लगातार बारिश हो रही है। तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के तटीय इलाकों में भारी वर्षा से जनजीवन प्रभावित हुआ है। कई जगह जलभराव की स्थिति है और मौसम विभाग ने ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है।
यह दिलचस्प संतुलन है — एक ओर उत्तर भारत ठंड से कांप रहा है, और दूसरी ओर दक्षिण बारिश में भीग रहा है। यही भारत का मौसम है, जो हर दिशा में अलग कहानी कहता है।
मौसम और समाज: एक गहरा रिश्ता
सर्दी सिर्फ तापमान की गिरावट नहीं होती। यह जीवनशैली का बदलाव भी है। सुबह की सैर कम हो जाती है, चाय की दुकानों पर भीड़ बढ़ जाती है, स्कूलों में देरी से शुरू होने का इंतज़ार होता है, और सड़क किनारे अलाव फिर जलने लगते हैं।
यह वो मौसम है जिसमें लोग एक-दूसरे के करीब आते हैं — कम्बल बांटने वाले संगठनों से लेकर घर की रसोई में गूंजती अदरक वाली चाय की खुशबू तक, सब कुछ मिलकर एक सामाजिक गर्माहट पैदा करता है।
विज्ञान बनाम हकीकत: बदलता जलवायु संतुलन
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में उत्तर भारत की ठंड का पैटर्न बदल गया है। पहले जो ठंड अक्टूबर से फरवरी तक रहती थी, अब वह देरी से आती है और अचानक बढ़ती है।
क्लाइमेट चेंज का असर साफ दिख रहा है। गर्मियों की अवधि बढ़ रही है और सर्दियां छोटी हो रही हैं। यही कारण है कि दिल्ली जैसी जगहों में ठंड कम लेकिन प्रदूषण ज्यादा महसूस होता है।
नतीजा
उत्तर भारत की यह पहली ठंड यह बताती है कि मौसम अब करवट ले चुका है। मगर यह सर्दी पहले जैसी नहीं रही — अब इसमें धुआं, स्मॉग और सांसों की तकलीफ़ घुल गई है।
इसलिए अब सर्दी का मज़ा लेने के साथ-साथ सतर्क रहना भी ज़रूरी है। चाहे वो गर्म कपड़ों का इंतज़ाम हो या घर में एयर प्यूरिफायर का — अब मौसम से लड़ाई उतनी ही मानसिक है जितनी शारीरिक।







