
President Droupadi Murmu administers the oath during the swearing-in ceremony of the new Chief Justice of India at Rashtrapati Bhavan, witnessed by ceremonial guards and officials.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ, 15 महीने रहेगा कार्यकाल; केस लिस्टिंग पर नवनियुक्त CJI का सख्त रुख
जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें CJI के रूप में शपथ ली। 15 महीने के कार्यकाल की शुरुआत सख्त संदेश के साथ। जानें उनका सफर, फैसले और नए निर्देश।
📍New Delhi ✍️ Asif Khan
जस्टिस सूर्यकांत बने देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश
नई दिल्ली। देश की न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर आज एक नया अध्याय जुड़ गया। जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक सादे और गरिमामय समारोह में उन्हें शपथ दिलाई।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कई वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री मौजूद रहे। जस्टिस सूर्यकांत ने कार्यभार ग्रहण करते ही न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और प्रक्रिया-शुचिता को लेकर कड़ा संदेश भी दिया।
CJI के रूप में 15 महीनों का कार्यकाल
जस्टिस सूर्यकांत को 30 अक्टूबर 2025 को देश का अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वह 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर बने रहेंगे।
उनके पूर्ववर्ती जस्टिस बी.आर. गवई रविवार को 65 वर्ष की आयु पूरी होने पर सेवानिवृत्त हो गए। सुप्रीम कोर्ट की परंपरा के तहत सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को अगला CJI नियुक्त किया जाता है और इसी क्रम में जस्टिस सूर्यकांत को यह जिम्मेदारी मिली।
शपथ के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने अपने भाई-बहन के पैर छूकर आशीर्वाद लेने का भावनात्मक क्षण भी प्रस्तुत किया—जो उनकी सरलता और पारिवारिक संस्कारों को दर्शाता है।
कार्यभार संभालते ही सख्त तेवर
नवनियुक्त CJI सूर्यकांत ने तीन जजों की बेंच की अध्यक्षता करते हुए सुप्रीम कोर्ट में मेंशनिंग और केस लिस्टिंग के मौजूदा तौर-तरीकों को लेकर नाराजगी जताई।
उन्होंने स्पष्ट कहा—
“किसी केस को मेंशन करने और उसे उसी दिन लिस्ट करने की प्रथा हमेशा स्वीकार नहीं की जा सकती। मौत की सजा या अभिव्यक्ति की आज़ादी से जुड़े मामलों को छोड़कर हर मामले में प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है।”
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि:
अर्जेंट मामलों की रिक्वेस्ट सिर्फ मेंशनिंग स्लिप के ज़रिए लिखित रूप में की जाए
रजिस्ट्री पहले अर्जेंसी का मूल्यांकन करेगी
केवल विशेष परिस्थितियों में ही तत्काल लिस्टिंग होगी
एक वकील द्वारा कैंटीन गिराए जाने से जुड़े केस की तत्काल सुनवाई का आग्रह करने पर CJI सूर्यकांत ने इसे सख्ती से खारिज करते हुए न्यायिक अनुशासन का स्पष्ट संदेश दिया।
कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा
जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट की उन अहम बेंचों में शामिल रहे जिन्होंने राष्ट्रीय महत्व के फैसले सुनाए। इनमें प्रमुख हैं—
अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़े फैसले
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों पर निर्णय
बिहार में SIR से संबंधित सुनवाई
चुनाव आयोग को 65 लाख वोटरों की सूची जारी करने का निर्देश
उनके निर्णयों में संवैधानिक न्याय, सामाजिक संतुलन और नागरिक अधिकारों की रक्षा की प्रवृत्ति स्पष्ट दिखाई देती है।
हरियाणा के पहले CJI: संघर्ष से शिखर तक का सफर
10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत का सफर प्रेरणादायक है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर—‘प्रथम श्रेणी में प्रथम’
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में उल्लेखनीय फैसले
5 अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त
छोटे शहर के एक साधारण वकील से देश के मुख्य न्यायाधीश बनना उनके दृढ़ संकल्प, मेहनत और न्यायिक दृष्टि का प्रमाण है।
नए CJI से क्या उम्मीदें?
जस्टिस सूर्यकांत के तेवर और पूर्व कार्यशैली को देखते हुए उनके कार्यकाल से कई महत्वपूर्ण बदलावों की अपेक्षा की जा रही है—
केस लिस्टिंग में पारदर्शिता
न्यायिक प्रक्रियाओं में गति
नागरिक अधिकारों से जुड़े मामलों पर संवेदनशील दृष्टिकोण
संविधान की मूल भावना की रक्षा
उनका 15 महीने का कार्यकाल भले छोटा हो, लेकिन उनकी चुस्त कार्यशैली इसे प्रभावी बनाने की क्षमता रखती है।
जस्टिस सूर्यकांत का शपथ ग्रहण केवल एक औपचारिक बदलाव नहीं, बल्कि न्यायपालिका के भीतर अनुशासन, पारदर्शिता और संवैधानिक मूल्यों को मज़बूती देने वाले नए दौर की शुरुआत है। उनकी सादगी, तीव्र न्यायिक दृष्टि और सख्त प्रशासनिक रुख संकेत देते हैं कि आने वाले 15 महीने भारतीय न्याय व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण सुधारों के गवाह बनेंगे।




