आखिर कैसे हमारे मस्तिष्क पर पड़ता हैं रंगों का प्रभाव, आइए जानते है।
रंगों से हमारा एक अनोखा रिश्ता है। रंग हमारी जिंदगी में सिर्फ रंग भरने के लिए ही नही बल्कि हमारे मस्तिष्क पर भी गहरी छाप छोड़ते है। कहा जाता है कि रंगों के बिना हमारा जीवन अधुरा सा लगता है। जिंदगी में जब तक रंग नही होते तो जिंदगी बेरंग सी होती है और खुशियां भी नही मिलती। इसी के साथ-साथ रंग का असर हमारी हेल्थ पर भी पडता है। जी-हां, आज हम आपको रंगों के बारे में ही बताने वाले हैं कि रंगों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।आइए जानते हैं।
रंग न सिर्फ हमारी जिंदगी में रंग ही नहीं भरते, बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरी छाप छोड़ते हैं। हर रंग की अपनी अहमियत होती है, जो हमारे मूड को बदलने के लिए काफी है। जानकार मानते हैं कि पीला या नारंगी जैसे चटकीले रंग इनर सेटिस्फेक्शन और खुशी को दोगुना बढ़ा देते हैं, जिसका कारण डोपामाइन हार्मोन का बढ़ा लेवल होता है। रंग के कारण डोपामाइन लेवल बढ़ता है और फिर आपका मिजाज खुशरंग हो जाता है!
आखिर क्या होता है डोपामाइन
डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर और हार्मोन है, जो ब्रेन में काम करता है। यह एक कैमिकल मैसेंजर है और नर्व्स सिस्टम के बीच मैसेज को ट्रांसमिट करता है। हालांकि, इसका कोई रंग नहीं होता, लेकिन डोपामाइन पर रंग का प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि अलग-अलग रंग आपके दिमाग के हिस्सों को सक्रिय करते हैं। इसलिए रंगों का प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर भी पड़ता है।
क्या कहते है डॉक्टर
आयुष निदेशालय दिल्ली के मुख्य मेडिकल ऑफिसर (एसएजी) और इहबास इकाई के प्रभारी डॉक्टर अशोक शर्मा के अनुसार, हमारी जिंदगी रेनबो की तरह है, हमारे भाव अलग-अलग होते हैं, कभी हम खुश होते हैं, तो कभी दुखी होते हैं। कभी जीवन उमंग भरा होता है तो बहुत रंग दिखते हैं और कभी दुखी होते हैं तो जिंदगी बेरंग हो जाती है. इसे लेकर रिसर्च भी खूब हुई है।
आखिर ये होता कैसे हैं
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, रंग ब्रेन के हाइपोथैलेमस को मैसेज भेजते हैं, ये आपके मूड को बदलते हैं और इसमें हार्मोन रिलीज करने की ताकत होती है। मनोवैज्ञानिकों की मानें तो खासतौर पर पीला और नारंगी रंग खुशी से जुड़ा होता है। पीला रंग हंसमुख और संतोष को दर्शाता है।
एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि खुश लोग पीले रंग को अपनी भावनाओं के लिए चुनते हैं, जबकि उदास लोग ग्रे रंग को चुनते हैं। पीले रंग में बना ‘स्माइली’ इस खुशी की सबसे बड़ी मिसाल है, जिसे 1960 में एक डिजाइनर ने कर्मचारियों का मूड बेहतर करने के लिए बनाया था।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, नीला रंग भी मूड को शांत करता है और सोशल मीडिया पर ‘डोपामाइन ड्रेसिंग’ का ट्रेंड भी इस बात को दर्शाता है कि कुछ लोग चटकीले रंग वाले कपड़े पहनकर खुशी महसूस करते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, अगर मूड को सही रखना है तो इसमें सबसे अच्छी भूमिका सही रंग के कपड़े निभाते हैं। पीले और नारंगी रंग को अपनी जिंदगी में शामिल करके खुशियों को दोगुना किया जा सकता है।इसी के साथ 2012 के हर्टफोर्डशायर विश्वविद्यालय के एक अध्ययन ने पुष्टि की कि कपड़े पहनने का तरीका हमारे मूड को सीधे प्रभावित करता है। यह कपड़ों की मनोवैज्ञानिक ताकत को दर्शाता है, जो खुशी और संतोष का सबब बनते हैं।