
By targeting India for trading with Russia, Trump may be weakening a key ally and disrupting the global energy and trade balance.
क्या भारत से व्यापार युद्ध डोनाल्ड ट्रंप की रणनीतिक भूल है?
डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर टैरिफ वार: क्या अमेरिका एशिया में अपना भू-राजनीतिक प्रभाव खो रहा है?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ और रूस से व्यापार पर सख्ती की घोषणा कर दी है। यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव का कारण बन सकता है और एशिया में अमेरिकी रणनीति पर असर डाल सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर टैरिफ हमला: वैश्विक भू-राजनीति और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते सप्ताह भारत पर 25% टैरिफ लगाने और रूस के साथ व्यापारिक संबंधों पर सख्त प्रतिबंधों की घोषणा कर वैश्विक मंच पर हलचल मचा दी है। यह फैसला सिर्फ भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों को ही नहीं, बल्कि एशिया में अमेरिका की रणनीतिक स्थिति और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।
किर्क लुबिमोव की तीखी आलोचना
कनाडाई उद्योगपति और टेस्टबेड चेयरमैन किर्क लुबिमोव ने ट्रंप के इस कदम को “भू-राजनीतिक भूल” बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ट्रंप दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था—भारत—से टकराव मोल लेकर अमेरिका की एशियाई रणनीति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लुबिमोव का कहना है कि ट्रंप का टैरिफ आधारित दृष्टिकोण रणनीतिक समझ से रहित है और यह अमेरिका के दीर्घकालिक हितों के खिलाफ जा सकता है।
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भारत: एक रणनीतिक आर्थिक खिलाड़ी
भारत पिछले एक दशक में वैश्विक आर्थिक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की भूमिका लगातार बढ़ी है। भारत न केवल वैश्विक विकास में लगभग 16% का योगदान दे रहा है, बल्कि वह चीन के विकल्प के रूप में भी उभर रहा है, खासकर आपूर्ति श्रृंखला के संदर्भ में।
किर्क लुबिमोव का यह भी कहना है कि भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। चीन और ब्रिक्स के बढ़ते प्रभुत्व को संतुलित करने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
रूस से तेल खरीद पर ट्रंप की नाराजगी
ट्रंप की नाराजगी भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद को लेकर है। उन्होंने इस व्यापार को लेकर भारत पर अतिरिक्त जुर्माने लगाने की घोषणा की है। भारत फिलहाल रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार बन चुका है, जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले यह आयात 1% से भी कम था। अब यह बढ़कर 35% से अधिक हो गया है।
ट्रंप का यह कदम ऐसे समय आया है जब अमेरिका पहले से ही ईरान के साथ जुड़े छह भारतीय व्यापारिक समूहों पर प्रतिबंध लगा चुका है। ये कंपनियां ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों के व्यापार में शामिल थीं, और यह प्रतिबंध अमेरिका की व्यापक वैश्विक नीति के तहत लगाए गए हैं।
अमेरिका-भारत व्यापारिक संबंध: एक जटिल परिदृश्य
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध कई बार टकराव का विषय रहे हैं। अमेरिका का आरोप रहा है कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाता है। ट्रंप ने अपने वक्तव्य में भारत को “सबसे कठोर टैरिफ लगाने वाला देश” कहा और इसे अमेरिका के व्यापारिक घाटे के लिए जिम्मेदार ठहराया।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह दृष्टिकोण एकतरफा है। भारत की विशाल उपभोक्ता बाजार, युवा कार्यबल और तकनीकी दक्षता अमेरिका के लिए एक बड़ा अवसर है, जिसे टैरिफ विवाद के चलते खो देना रणनीतिक भूल हो सकती है।
भारत की प्रतिक्रिया: आत्मविश्वास और स्पष्टता
भारत सरकार की ओर से डोनाल्ड ट्रंप के बयान का तीखा जवाब दिया गया। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बयान देते हुए कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत अब वैश्विक विकास का इंजन बन चुका है और यह स्थिति सरकार द्वारा किए गए व्यापक आर्थिक सुधारों और भारतीय उद्योगों की लचीलापन के कारण संभव हो पाई है।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका
कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला की पुनर्रचना का दौर शुरू हुआ, और भारत को चीन के विकल्प के रूप में देखा जाने लगा। अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने अपने उत्पादनों को चीन से हटाकर भारत, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों में स्थानांतरित करना शुरू किया। ऐसे में ट्रंप का भारत पर आक्रामक रुख अपनाना न केवल अमेरिकी निवेशकों को हतोत्साहित कर सकता है, बल्कि चीन को एक बार फिर आपूर्ति श्रृंखला में ताकतवर स्थिति में ला सकता है।
क्या ट्रंप का रुख चुनावी रणनीति का हिस्सा है?
विश्लेषकों का एक वर्ग यह भी मानता है कि ट्रंप की भारत और रूस के खिलाफ की गई टिप्पणियां 2024 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को ध्यान में रखकर की गई हैं। “अमेरिका फर्स्ट” की नीति और घरेलू मतदाताओं को लुभाने के लिए ट्रंप अक्सर आक्रामक व्यापारिक और कूटनीतिक बयानों का सहारा लेते हैं। लेकिन वैश्विक राजनीति में ऐसे बयान दीर्घकालिक कूटनीतिक नुकसान भी पहुँचा सकते हैं।
निष्कर्ष: भू-राजनीतिक संतुलन की ज़रूरत
डोनाल्ड ट्रंप की भारत पर टैरिफ और रूस से व्यापार पर सख्ती की नीति अमेरिका को तत्कालिक लाभ तो दे सकती है, लेकिन दीर्घकालिक भू-राजनीतिक समीकरणों में यह आत्मघाती कदम साबित हो सकती है। भारत न केवल एक तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है, बल्कि वह वैश्विक शक्ति संतुलन में एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
कनाडाई उद्योगपति किर्क लुबिमोव की सलाह को गंभीरता से लेना अमेरिका के हित में होगा, खासकर तब जब चीन, रूस और ब्रिक्स देश अमेरिका के वैश्विक नेतृत्व को चुनौती दे रहे हैं। सहयोग और समन्वय की नीति ही आज के दौर में वैश्विक नेतृत्व को सुनिश्चित कर सकती है, न कि टैरिफ और दंड की नीति।