
“वक्फ संशोधन विधेयक पर विवाद गहराया, अरशद मदनी ने सरकारी हस्तक्षेप का विरोध किया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कानूनी कार्रवाई और विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।”
नई दिल्ली, (Shah Times) – वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर देश में राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के बीच विवाद तेज हो गया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने इस विधेयक को मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला करार दिया है और इसे उच्च न्यायालयों में चुनौती देने का ऐलान किया है।
विधेयक के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन
मौलाना अरशद मदनी ने घोषणा की कि यदि यह विधेयक पारित होता है, तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद की सभी राज्य इकाइयां अपने-अपने राज्यों के हाईकोर्ट में इसे चुनौती देंगी। इसके अलावा, उन्होंने इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की भी बात कही और कहा कि अदालतें ही उनके लिए अंतिम सहारा हैं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य संगठनों द्वारा बुलाए गए विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करेगा। 13 मार्च को जंतर-मंतर पर होने वाले प्रदर्शन में भी जमीयत भाग लेगी।
‘सरकारी दखल बर्दाश्त नहीं’ – मदनी
अरशद मदनी ने बयान दिया कि वक्फ पूरी तरह से एक धार्मिक मामला है और इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियां हमारे पूर्वजों द्वारा समुदाय के कल्याण के लिए दान की गई हैं, इसलिए सरकार का इसमें कोई अधिकार नहीं बनता।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, “मुसलमान अपनी शरीयत से बिल्कुल भी समझौता नहीं कर सकते, क्योंकि यह केवल उनके अस्तित्व का नहीं, बल्कि उनके धार्मिक अधिकारों का भी मामला है।” उन्होंने आगे कहा कि यह विधेयक संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
विरोध को मजबूरी बताया
मदनी ने कहा कि मुसलमानों ने बीते 12 वर्षों में धैर्य और सहिष्णुता का परिचय दिया है, लेकिन अब जब उनकी चिंताओं की अनदेखी की जा रही है, तो प्रदर्शन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन हर नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है।
सरकारी सहयोगी दलों पर भी साधा निशाना
मदनी ने सरकार के उन सहयोगी दलों को भी आड़े हाथों लिया जो धर्मनिरपेक्षता का दावा करते हैं। उन्होंने कहा, “इन दलों की सफलता में मुसलमानों की भी भूमिका रही है, लेकिन अब उन्होंने भी इस विधेयक का समर्थन कर दिया है, जो विश्वासघात है।”
बजट सत्र में विधेयक पर जोर
सरकार ने संकेत दिया है कि बजट सत्र के दूसरे चरण में वक्फ संशोधन विधेयक को संसद में पारित करने की योजना बनाई गई है। इसको लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है और विपक्षी दलों के साथ मुस्लिम संगठन भी इसके खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं।
निष्कर्ष
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है और इसका असर आगामी राजनीतिक घटनाक्रमों पर भी पड़ सकता है। क्या सरकार अपने फैसले पर अडिग रहेगी, या विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए इस पर पुनर्विचार किया जाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल, मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक के खिलाफ कानूनी और लोकतांत्रिक लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है।
“Waqf Amendment Bill Controversy: Arshad Madani Opposes Government’s Intervention”