
Delhi Police arrested self-styled godman Baba Chaitanyanand from a hotel in Agra after charges of sexual exploitation of students
दिल्ली पुलिस ने बाबा चैतन्यानंद को दबोचा, फर्जी UN-BRICS पहचान बेनक़ाब
दिल्ली पुलिस ने बाबा चैतन्यानंद को आगरा से दबोचा, 17 छात्राओं से यौन शोषण का आरोप
📍नई दिल्ली | 28 सितम्बर 2025 | आसिफ़ ख़ान
दिल्ली पुलिस ने वसंत कुंज स्थित प्राइवेट कॉलेज की 17 छात्राओं से यौन शोषण करने वाले स्वयंभू बाबा चैतन्यानंद सरस्वती को आगरा से गिरफ्तार किया। बाबा के पास से तीन मोबाइल, आईपैड और फर्जी विजिटिंग कार्ड बरामद हुए। पुलिस जांच में बाबा के करोड़ों रुपये के घोटाले और फर्जी पहचान का जाल भी सामने आया।
यह मामला महज़ एक क्राइम स्टोरी नहीं है, बल्कि हमारे समाज और सिस्टम पर सीधा सवाल है। जब कोई व्यक्ति “बाबा” या “गॉडमैन” की चादर ओढ़कर मासूम छात्राओं को निशाना बनाए, तो यह सिर्फ़ कानून का नहीं, बल्कि इंसानियत का भी मुद्दा है।
चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थसार्थी का पूरा खेल एक क्लासिक मिसाल है कि कैसे धोखाधड़ी, झूठी पहचान और धार्मिक आड़ में लोग पब्लिक को ठगते हैं।
पहला पहलू – धर्म और आस्था का दुरुपयोग
आज के दौर में जब लोग परेशानियों से जूझते हैं, तो “बाबाओं” की ओर रुख करना आसान लगता है। लेकिन यही आस्था अक्सर उनके लिए जाल बन जाती है। चैतन्यानंद ने खुद को आध्यात्मिक गुरु के रूप में पेश किया और इसी मुखौटे के पीछे वह छात्राओं को ब्लैकमेल करता रहा।
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दूसरा पहलू – पुलिस और सिस्टम की चुनौती
दिल्ली पुलिस ने इसे पकड़ने के लिए कई राज्यों में सर्च ऑपरेशन चलाया। यह साफ़ करता है कि ऐसे अपराधी अपने नेटवर्क और पैसों की ताक़त से लगातार भागते रहते हैं।
लेकिन सवाल यह भी है कि जब 17 छात्राओं ने शिकायत की, तो कार्रवाई इतनी देर से क्यों हुई? क्या सिस्टम तब तक सोता रहेगा, जब तक मामला मीडिया हाइलाइट न हो?
तीसरा पहलू – नकली पहचान और अंतरराष्ट्रीय छलावा
बाबा ने खुद को संयुक्त राष्ट्र का स्थायी राजदूत और BRICS देशों का विशेष दूत बताने वाले फर्जी विजिटिंग कार्ड बना रखे थे। यह सिर्फ़ अपराध नहीं, बल्कि उस सोच को दिखाता है जो लोगों को “झूठी अंतरराष्ट्रीय पहचान” से इम्प्रेस करना चाहती है।
चौथा पहलू – छात्राओं की सुरक्षा
सबसे अहम सवाल – क्या हमारे कॉलेज और हॉस्टल वास्तव में महिला छात्रों की सुरक्षा के लिए तैयार हैं?
अगर एक “स्वयंभू बाबा” इतनी आसानी से हॉस्टल फुटेज और स्टूडेंट्स की प्राइवेट डिटेल तक पहुँच सकता है, तो सुरक्षा के दावों पर सीधा सवाल खड़ा होता है।
पाँचवाँ पहलू – समाज की भूमिका
अक्सर हम ऐसे मामलों को “क्राइम न्यूज़” मानकर आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन अगर समाज ही सवाल न उठाए, तो ऐसे “बाबा” बार-बार जन्म लेते रहेंगे। ज़रूरत है कि धर्म और आस्था की आड़ में बैठे ऐसे ढोंगियों पर पब्लिक दबाव बने।
नज़रिया
चैतन्यानंद सरस्वती की गिरफ्तारी सिर्फ़ एक व्यक्ति की हार नहीं, बल्कि उस पूरे ढोंग का पर्दाफ़ाश है जिसमें धर्म, राजनीति और पैसा मिलकर इंसानियत को कुचलते हैं।
अब ज़िम्मेदारी है अदालत की और समाज की कि ऐसे अपराधी को सज़ा मिले और भविष्य में कोई और “बाबा” मासूम ज़िंदगियों से खिलवाड़ न कर सके।