
बैतुलमाल : तभी क़ौम पनपेगी और इज्जत पायेगी....
~आसिफ खान
जो हाल इस वक़्त मुसलमानों का है एक अदद की नहीं लाखों बैतूलमाल (Baitulmal) कायम करने की जरूरत है तभी क़ौम पनपेगी और इज्जत पायेगी.इससे क़ौम को बहुत फायदा होगा कौम की बदहाली रोजी-रोटी के मसले बेहतर सहूलियत के साथ पढ़ाई लिखाई शादी विवाह में गरीबों की मदद और बीमार लावारिस लोगों की देखभाल जैसे अहम काम बैतूल माल से करने में बहुत आसानी होगी।
इससे हम लोगों की मदद भी कर सकते हैं और अगर चाहे तो मोहल्ला गांव में 10 से 15 ऐसे इंसानों को मुंतख़ब करके जो कुछ करना चाहते हैं कुछ हुनर है लेकिन उनके पास माकूल इंतजाम नहीं है हम उन्हें फंड देकर बतौर कर्ज मोहलत के साथ कारोबार शुरू करवा सकते हैं।
अगर यह बैतुलमाल (Baitulmal) सिस्टम हमने चालू रखा होता तो कौम की माली हालत बहुत हद तक दुरुस्त होती और बदहाली तालीमी पिछड़ापन बहुत कम रहता लेकिन हमने यह सब छोड़ रखा है और इसी को अपनाकर और लोग ने बहुत तरक्की कर ली सिख (Sikh), जैन (Jain), मेमन (Memon), बोहरा (Bohra), गुजराती (Gujarati), मारवाड़ी (Marwari) ऐसे तमाम समाज है जो बैतूल माल जेसी तन्जीमे बनाकर अपने लोगों का अपने समाज का भला कर रहे हैं लेकिन हम होटल पर चाय पीकर हकूमत बनाते गिराते हैं, सोशल मिडिया पर जाने अन्जाने मे कौ़म की आबरू नीलाम करा रहै है और चुनाव में टुकड़ों में बैठकर बची-खुची कयादत भी खत्म कर रहे हैं अफसोस होता है जो निजाम जो तरीका इस्लाम ने हमें सिखाया उसका कुछ फीसद भी हम इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं और हमारे ही तरीके को इस्तेमाल करके और लोग कहां से कहां चले जा रहे हैं अभी भी वक्त है अगर हम संभल जाएं सुधर जाएं समझ जाएं तो कोई बुरी बात नहीं है वापसी बहुत मुश्किल नहीं है अल्लाह ताला हमें नेक अमल और कौमी खिदमत का जज्बा दे ..
आज कौम को जरूरत है तालीम की क्योंकि तालीम ही अहम जरिया नस्लो को सुधारने की इसके लिए मुकामी सतह पर जरूरत मंद बच्चो को तालीम के लिए कुछ मशवरा है..
आसपास के संजीदा कौम फलाह बहबूद खिदमत करने वाले मुस्लिम नौजवान से राब्ता कायम कर कम से कम पन्द्रह नौजवानों का एक ग्रुप बनाइये । सबको व्हाट्स अप से जोड़ दीजिये एक बैतुलमाल (Baitulmal) बनाइये @ Rs 1000 (800 जकात (zakat) की नियत से +200 खर्च ) हर महीने हर मेम्बर ,आप का बैतुलमाल (Baitulmal) बना सालाना 1.44 लाख जकात (zakat) की नियत से +36000 खर्च इसमे 1.44 लाख जकात की नियत का पैसा सिर्फ जरूरत मंद बच्चो को तालीम के लिए ही खर्च होगा बाकी Rs 36000 नाश्ता, पानी, सेमिनार, बैनर पोस्टर वगैराह।
मेम्बर से चेक से पैसा लीजिये और व्हाट्स अप पर बिना नाम लिखे उसकी जानकारी दीजिये। पैसे के बारे मे पूरी ट्रांसपेरेंसी बरतिए कोई मेम्बर चाहे तो एक 1 या 2 बच्चो की पूरी ज़िम्मेदारी भी उठा सकता है । एक अच्छा स्कूल आसपास तलाशिए वहां फीस की जानकारी लेकर अपने मंसूबे के बारे मे बात कीजिये ।
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एक मुस्लिम टयूटर आसपास तलाशिए जो बच्चो को स्कूल के बाद पढ़ा सके उनका होम वर्क वगैरह के लिए एक मुस्लिम उर्दू अरबी टयूटर आसपास तलाशिए जो बच्चो को हफ्ते मे एक दिन उर्दू और दीनी तालीम पढ़ा सके मेम्बर्स एक साल पूरानी किताबों को इकट्ठा करे और कंप्यूटर की तालीम के लिए 2-3 पुराने कंप्यूटर भी जमा किजिये।
आसपास की मुस्लिम बस्तियों मे जाकर वह के किसी संजीदा ,समझदार ,समाजी रहनुमा या खुद उन बच्चो की लिस्ट लीजिये जो गरीबी की वजह से स्कूल छोड़ दिये है लेकिन ज़हीन हो एक ऐसा मुस्लिम आदमी तलाश कीजिये जिसने गरीबी मे भी अपने बच्चो को उम्दा तालीम दिलाई हो वह आदमी रोल मोडेल होगा और उसकी आपबीती असरदार होगी वह मोटिवेत करेगा
समाजी रहनुमा की मदद से मुस्लिम बस्तियों मे जाकर बच्चो और उनके वालिदैन को तालीम की जरूरत के बारे मे समझाइए (छोटे मोटे सेमिनार की करके हफ्ते एक दिन)।
इंग्लिश मीडियम सी बी एस सी स्कूल मे दाखिला करवाइए सभी बच्चो के बीच इस बच्चो को मुकम्मल करना है उनकी प्रोग्रैस रिपोर्ट देखिये टीचर से बातचीत करके प्रोग्रैस देखिये मुस्लिम टयूटर से बातचीत करके प्रोग्रैस देखिये… बाकी तो आप खुद ही समझदार है।