बाओबाब के पेड़ अपने अंदर बहुत से रहस्यों का पिटारा लेकर बैठे हैं। वैज्ञानिक लगातार इन पेड़ों पर रिसर्च करते रहे हैं,
New Delhi ,(Shah Times) । हमेशा से धरती पर पेड़ों से मनुष्य का एक अनोखा रिश्ता रहा है। पेड़ के बिना इंसान का जीना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। क्योंकि हमारी छोटी से लेकर बड़ी जरूरत ज्यादातर पेड पोधों पर ही निर्भर रहती। लेकिन इस आधुनिक युग में लगातार हो रही वनों की कटाई से मानव जीवन तो प्रभावित हो ही रहा है साथ ही साथ हमारे जीवन से जुड़े बहुत से पेड़ भी विलुप्त होते जा रहे है। इसी कड़ी में आज हम आपको रहस्यों से भरे पेड़ों के बारे में बताने वाले हैं।
भूमि पर खड़े लाखों साल से बाओबाब के पेड़ अपने अंदर बहुत से रहस्यों का पिटारा लेकर बैठे हैं। वैज्ञानिक लगातार इन पेड़ों पर रिसर्च करते रहे हैं, क्योंकि जिन स्थानों पर ये पेड़ हैं वहां के लिए बाओबाब की बड़ी भूमिका है। इन विशाल वृक्षों के लगभग सभी भाग मनुष्यों और जीवों के लिए उपयोगी हैं। मेडागास्कर के एंटानानारिवो विश्वविद्यालय और लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय ने आपसी सहयोग से इन पेड़ो पर बड़ा शोध किया है। इस अध्ययन में पहली बार बाओबाब की आठ प्रजातियों के बारे में पता चला है।
आपको बता दे बाओबाब के विशाल वृक्ष अपने मोटे तने और छोटी छतरी के लिए पहचाने जाते हैं। माना जाता है कि बाओबाब के पेड़ एक हजार साल तक जीवित रह सकते हैं। ज्यादातर ये पेड़ मेडागास्कर, उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और महाद्वीपीय अफ्रीका के एक हिस्से में शुष्क वन वातावरण में कीस्टोन प्रजाति के रूप में पाए जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट के ज़रिए बाओबाब के पेड़ों का लगभग हर हिस्सा मनुष्यों और जानवरों द्वारा उपयोग किया जाता है। इसीलिये इन वृक्षों को जंगल की मां के रूप में भी जाना जाता है।
दरअसल वैज्ञानिकों का मानना था कि ये पेड़ मुख्य भूमि अफ्रीका से आए थे। वहीं बीते माह नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में इन पेड़ों के अफ्रीका से आने पर सवाल खड़ा कर दिया गया। वैज्ञानिकों की एक टीम ने बाओबाब के आठ प्रजातियों का गहन अध्ययन किया और एक दूसरे के साथ उनके सबंधों की जांच की। इस शोध के बाद निष्कर्ष निकाला गया कि बाओबाब मेडागास्कर में ही उत्पन्न हुए थे। यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब द्वीप पर इन पेड़ों की संख्या में गिरावट आ रही है। इस नई की खोज जरिए पता लगाया गया की मेडागास्कर में बाओबाब की छह प्रजातियां पाई जाती हैं और साल 2080 तक एक प्रजाति विलुप्त होने की भी आशंका जताई जा रही है।
चीन के हुबेई में वुहान बॉटनिकल गार्डन के वैज्ञानिक डॉक्टर वान जून-नान ने जानकारी देते हुए बताया कि बाओबाब के पेड़ों की उतपत्ति के बारे में पता लगान के लिए शोधकर्ताओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। क्योंकि प्राचीन बाओबाब के पेड़ों या उनके पूर्वजों के जीवाश्म नहीं मिले हैं। पिछले शोध में बाओबाब से जो अनुवांशिक जानकारी मिली थी वह सीमित थी। अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला है कि मेडागास्कर द्वीप पर हजारों वर्षों से इनकी प्रजातियं कम होती जा रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण लगातार हो रही वनों की कटाई से इनकी संख्या पर बुरा असर पड़ा है। वैज्ञानिक अब बची प्रजातियों को संरक्षित करने पर काम कर रहे हैं।