
Councillors protest against tree cutting at Company Bagh during Muzaffarnagar Municipal meeting.
मुजफ्फरनगर नगर पालिका बैठक में हंगामा: कम्पनी बाग में फलदार पेड़ कटाई पर सभासदों का विरोध
मुजफ्फरनगर कम्पनी बाग में फलदार पेड़ काटे जाने पर सभासदों का गुस्सा
📍मुजफ्फरनगर 🗓️13 अक्टूबर 2025✍️आसिफ़ ख़ान
मुजफ्फरनगर नगर पालिका की बोर्ड बैठक में सोमवार को बड़ा हंगामा हुआ। कम्पनी बाग में फलदार पेड़ों की कटाई और शहर में बढ़ते आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सभासदों ने जमकर नाराजगी जताई। हंगामे के बीच 128 प्रस्ताव पास किए गए। कार्यदाई संस्था सीएनडीएस पर कार्रवाई की मांग के साथ ईओ ने काम रोकने के आदेश दिए।
मुजफ्फरनगर बोर्ड बैठक में हंगामा, 128 प्रस्ताव हंगामे के दरमियान पास
नगर राजनीति का हाल यूँ तो अक्सर बहस और विरोध से गुजरता है, मगर इस बार का मुद्दा कुछ अलग था — हरे भरे फलदार पेड़ों का कटना और पर्यावरण के प्रति लापरवाही का आरोप।
मुजफ्फरनगर की नगरपालिका परिषद् की बैठक सोमवार को जैसे ही शुरू हुई, माहौल गर्म हो गया। कम्पनी बाग में फलदार पेड़ों की कटाई पर सभासदों ने वाटिका प्रभारी और नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजय प्रताप शाही को कठघरे में खड़ा कर दिया। सभासद राजीव शर्मा, मनोज वर्मा, नौशाद ख़ान और मोहम्मद ख़ालिद ने तीखी आवाज़ में सवाल उठाए — “जब हरियाली ही ख़त्म हो जाएगी तो शहर का सौंदर्यीकरण कैसा?”
ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने तुरंत हस्तक्षेप किया और कार्यदाई संस्था सीएनडीएस को फिलहाल काम रोकने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि वन विभाग से नुकसान का आकलन कराया जाएगा और संस्था से जुर्माना वसूला जाएगा।
इस पूरे प्रकरण में दिलचस्प बात यह रही कि पालिकाध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप को मीटिंग शुरू करने के लिए कोरम पूरा होने तक इंतजार करना पड़ा। 55 सभासदों में से सिर्फ़ 34 के पहुँचने पर मीटिंग शुरू की गई। देर से शुरू हुई यह बैठक वंदे मातरम के साथ शुरू हुई, मगर माहौल जल्द ही गरमा गया।
सभासदों का कहना था कि कम्पनी बाग का सौंदर्यीकरण पर्यावरण की कीमत पर नहीं हो सकता। वहाँ बेल, लीची और अमरूद जैसे फलदार पेड़ थे जो स्थानीय लोगों के लिए ताज़गी का प्रतीक थे।
डॉ. अजय प्रताप शाही ने सफाई दी कि पेड़ों की कटाई “कार्य योजना” का हिस्सा नहीं थी और यह कार्यदाई संस्था की गलती थी। लेकिन सभासद इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने शाही को हटाने और एफआईआर दर्ज कराने की मांग रख दी।
ईओ ने सदन को आश्वस्त किया कि जाँच पूरी पारदर्शिता के साथ होगी। साथ ही यह भी बताया कि चार फलदार पेड़ बिना अनुमति के काटे गए हैं और इसकी रिपोर्ट वन विभाग को भेजी जा रही है।
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बैठक में एक और मुद्दा उठाया गया — शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या। सभासदों ने कहा कि शहर की गलियों में बच्चे और बुज़ुर्ग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। नगर स्वास्थ्य अधिकारी पर इस मामले में लापरवाही का आरोप लगाया गया।
सभा में यह प्रस्ताव भी आया कि शहर में Animal Birth Control (ABC) प्रोग्राम को फिर से सक्रिय किया जाए ताकि आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित हो सके।
हंगामे और बहस के बीच, चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने संयम बनाए रखा और सभी सदस्यों से शांत होकर चर्चा करने की अपील की।
अंततः 128 प्रस्ताव पास हुए, जिनमें जलकल विभाग, सफाई, रोशनी और सड़क निर्माण से जुड़े प्रस्ताव प्रमुख रहे।
कभी-कभी विकास की परिभाषा इतनी सीमित हो जाती है कि हम उसके असली मक़सद को भूल जाते हैं। पेड़ों की जगह पत्थर की मूर्तियाँ या सिंथेटिक ट्रैक लगाना, दिखने में आधुनिक लगता है पर क्या यह सच में “सौंदर्यीकरण” है?
इस विवाद ने एक ज़रूरी सवाल उठाया है — क्या हमारा नगर प्रशासन “ग्रीन डेवलपमेंट” की अवधारणा को सही मायनों में समझ रहा है?
दूसरी ओर, यह भी मानना होगा कि योजनाओं को रुकवाना हमेशा समाधान नहीं होता। यदि योजना में पारदर्शिता और नागरिक सहभागिता हो, तो सौंदर्यीकरण और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं।