
Israeli PM Benjamin Netanyahu with smoke rising in the background after the Doha attack, reflecting tense regional developments.
कतर-हमास विवाद पर नेतन्याहू की सख्त नीति से मिडल ईस्ट में हलचल
दोहा हमले पर इजरायल-कतर टकराव: मध्य-पूर्व में नया संकट
इजरायल द्वारा दोहा में हमले से मिडल ईस्ट में तनाव बढ़ा। कतर-हमास-इजरायल विवाद पर भारत की संतुलित कूटनीति क्षेत्रीय स्थिरता का संकेत देती है।
Tel Aviv,(Shah Times) । कतर की राजधानी दोहा में इजरायली मिसाइल हमलों के बाद मिडिल ईस्ट एक बार फिर उथल-पुथल में डूबा हुआ है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ अल्फाजों में कहा कि अगर कतर हमास के राजनीतिक नेतृत्व को बाहर नहीं करता तो इजरायल खुद कार्रवाई करेगा। इस वक्तव्य ने न केवल खाड़ी देशों बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। हमले को लेकर इजरायल ने 9/11 का हवाला दिया, जबकि कतर और मुस्लिम देश इसे अपनी संप्रभुता पर हमला मान रहे हैं। सवाल यह है कि क्या यह टकराव एक नए क्षेत्रीय युद्ध की प्रस्तावना है?
इजरायल का रुख और दोहा हमला
नेतन्याहू ने हमले को “जस्टिफाइड” बताते हुए कहा कि यह उसी तरह है जैसे अमेरिका ने 9/11 के बाद अफगानिस्तान में कार्रवाई की थी।
उनका दावा है कि हमास को कतर न सिर्फ शरण देता है बल्कि “बंगले और पैसा” भी उपलब्ध कराता है।
इस हमले में हमास के शीर्ष नेता खलील अल-हय्या के बेटे समेत कई लोग मारे गए।
दोहा के कटारा और वेस्ट बे लैगून इलाकों में इमारतें मलबे में बदल गईं।
कतर और मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया
कतर ने इस हमले को अपनी “सॉवरेनिटी का उल्लंघन” बताया।
पाकिस्तान ने इसे मुस्लिम उम्मा के खिलाफ साज़िश करार दिया और भारत का नाम घसीटते हुए गल्फ देशों को उकसाने की कोशिश की।
ख्वाजा आसिफ और शहबाज शरीफ ने कड़े बयान दिए, इसे “दुष्ट इजरायल” की चाल कहा।
कतर ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा उठाने का संकेत दिया है।
आज का शाह टाइम्स ई-पेपर डाउनलोड करें और पढ़ें
भारत की स्थिति और कूटनीति
भारत का रुख यहाँ खास मायने रखता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के अमीर से बात कर चिंता जताई।
भारत ने हमले की निंदा की लेकिन इजरायल के नाम का सीधा उल्लेख नहीं किया।
यह कदम भारत की बैलेंस्ड फॉरेन पॉलिसी का हिस्सा है, जहाँ एक तरफ इजरायल का डिफेंस सहयोग है और दूसरी तरफ कतर ऊर्जा सप्लाई और प्रवासी भारतीयों के कारण रणनीतिक रूप से अहम है।
मिडल ईस्ट का नया समीकरण
इजरायल का दबाव: हमास को जड़ से खत्म करने की रणनीति अब कतर को भी टारगेट कर रही है।
कतर का रोल: कतर लंबे समय से हमास का राजनीतिक बैक-ऑफिस माना जाता है।
मुस्लिम देशों की पॉलिटिक्स: पाकिस्तान इस मुद्दे का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर रहा है।
भारत का संतुलन: LNG सप्लाई और प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा को देखते हुए भारत को दोहरा खेल खेलना पड़ रहा है।
काउंटरपॉइंट्स
इजरायल का तर्क: “हम वही कर रहे हैं जो अमेरिका ने बिन लादेन के खिलाफ किया।”
आलोचक कहते हैं: “अमेरिका के केस में टेरर हब सीधे तौर पर टारगेट था, जबकि दोहा पर हमला अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ता है।”
कतर समर्थकों का कहना है: “हमास को राजनीतिक मंच देना और आतंकी गतिविधियों को सपोर्ट करना अलग-अलग चीजें हैं।”
भारत के संदर्भ में सवाल यह है कि क्या दोहरी नीति लंबे समय तक टिक पाएगी या किसी एक पक्ष को चुनना पड़ेगा।
Conclusion
दोहा हमला मध्य-पूर्व की जटिल राजनीति को और उलझा रहा है। इजरायल का “न्याय स्वयं करने” वाला दृष्टिकोण जहां कुछ देशों को स्वीकार्य है, वहीं अन्य इसे क्षेत्रीय युद्ध की ओर धकेलने वाली रणनीति मान रहे हैं। भारत का संतुलित रुख उसकी डिप्लोमेसी की मजबूती दिखाता है, लेकिन भविष्य में अगर संघर्ष बढ़ा तो न्यूट्रल रह पाना मुश्किल होगा। सवाल यही है कि क्या यह मिडल ईस्ट सिर्फ राजनीतिक खिंचाव झेलेगा या वाकई किसी बड़े युद्ध में बदल जाएगा।
Sub Editor