सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला मदरसों को मिलती रहेगी फंडिंग, NCPCR की सिफारिश की ख़ारिज 

 एनसीपीसीआर के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने मदरसों को बंद करने की कभी मांग नहीं की। बल्कि उन्होंने इन संस्थानों को मिलने वाली सरकारी फंडिंग रोकने की सिफारिश की थी क्योंकि ये संस्थान गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं।

New Delhi , (Shah Times)। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मदरसों को बंद करने की राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सिफारिश और आगे की सरकारी कार्रवाई पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया है और चार हफ्ते में जवाब भी मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा के अधिकार कानून का पालन न करने के कारण सरकारी अनुदान प्राप्त/सहायता प्राप्त मदरसों को बंद करने की एनसीपीसीआर की सिफारिश और केंद्र व राज्यों की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के वकील की दलीलों को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुना, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) और कुछ राज्यों की कार्रवाइयों पर रोक लगाने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सिफारिशों पर सोमवार को रोक लगा दी। इस फैसले के बाद देश भर के मदरसों को भी सरकार की ओर से मिलने वाली फंडिंग जारी रहेगी।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने शिक्षा के अधिकार कानून का पालन न करने पर सरकारी अनुदान प्राप्त और सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों को दिए जाने वाले फंड को रोकने की मांग की थी। आज सुप्रीम कोर्ट ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में भेजने संबंधी एनसीपीसीआर की सिफारिश को भी खारिज कर दिया। 

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने आज इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। बेंच ने  जमीयत उलेमा-ए-हिंद के वकील की दलीलें सुनीं, जिसमें कहा गया था कि एनसीपीसीआर और कुछ राज्यों की कार्रवाई को रोकने की जरूरत है।

 जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के उस निर्देश को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि इस साल 7 जून और 25 जून को जारी एनसीपीसीआर की सिफारिश पर कार्रवाई न की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस संबंध में राज्यों द्वारा दिए गए आदेश भी निलंबित रहेंगे। अदालत ने मुस्लिम संगठन को अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को भी पक्ष बनाने की अनुमति दी।

एनसीपीसीआर के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने मदरसों को बंद करने की कभी मांग नहीं की। बल्कि उन्होंने इन संस्थानों को मिलने वाली सरकारी फंडिंग रोकने की सिफारिश की थी क्योंकि ये संस्थान गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं।

 एनसीपीसीआर के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने कहा कि गरीब पृष्ठभूमि के मुस्लिम बच्चों पर अक्सर धर्मनिरपेक्ष शिक्षा के बजाय धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने का दबाव होता है। उन्होंने कहा कि वे सभी बच्चों के लिए शिक्षा के समान अवसरों की वकालत करते हैं। दरअसल, एनसीपीसीआर ने हाल ही में एक रिपोर्ट में मदरसों के कामकाज पर गंभीर चिंता जताई थी। इसी आधार पर कार्रवाई की मांग की गई थी। 

हालांकि, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कई नेताओं ने इस रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। सत्तारूढ़ भाजपा पर अल्पसंख्यक संस्थानों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाने का इल्ज़ाम लगाया गया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here