
"Despite an allocation of ₹858 crore for pollution control, only 1% of the budget has been utilized, raising concerns over environmental policies and air quality management."
भारत में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार ने 2024-25 में 858 करोड़ रुपये का बजट दिया, लेकिन इसका सिर्फ 1% ही खर्च हो सका। जानें इसके पीछे की वजह और समाधान।
वायु प्रदूषण पर बड़ा खुलासा: सरकार का बजट तो है, लेकिन खर्च क्यों नहीं हो रहा?
वायु प्रदूषण भारत के प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में से एक बन चुका है। हर साल सरकार इस समस्या से निपटने के लिए भारी भरकम बजट आवंटित करती है, लेकिन जब इसे जमीनी स्तर पर लागू करने की बात आती है, तो तस्वीर कुछ और ही नजर आती है। संसद की एक समिति की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 2024-25 में प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवंटित 858 करोड़ रुपये में से सिर्फ 1% ही खर्च किया जा सका।
बजट आवंटन के बावजूद कार्यान्वयन में देरी क्यों?
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी न मिलने के कारण इस भारी-भरकम राशि का उपयोग नहीं हो सका। यह राशि मंत्रालय के वार्षिक संशोधित बजट का 27.44% थी, लेकिन इसका एक अंश भी प्रदूषण नियंत्रण के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया। समिति ने इसे गंभीर विषय बताते हुए मंत्रालय से तत्काल निर्णय लेने की सिफारिश की है ताकि प्रदूषण नियंत्रण की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
वायु प्रदूषण की समस्या केवल दिल्ली तक सीमित नहीं
समिति की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि एयर पॉल्यूशन केवल दिल्ली की समस्या नहीं है, बल्कि देश के अन्य कई शहरों को भी यह बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। बढ़ते प्रदूषण से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और पर्यावरण को भी गंभीर क्षति हो रही है।
NCAP के तहत 40% तक प्रदूषण कम करने का लक्ष्य
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत केंद्र सरकार 131 सबसे प्रदूषित शहरों में वायु प्रदूषण को 40% तक कम करने का लक्ष्य रखती है। इसके लिए सरकार पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और समितियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है। लेकिन अगर बजट का सही इस्तेमाल नहीं किया गया, तो ये लक्ष्य अधूरा ही रह जाएगा। समिति ने सरकार को जल्द से जल्द योजनाओं को लागू करने और बजट के प्रभावी उपयोग की सिफारिश की है।
वृक्षारोपण अभियानों पर भी उठे सवाल
रिपोर्ट में वृक्षारोपण अभियानों को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई है। हर साल हजारों पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन देखभाल के अभाव में उनकी जीवित रहने की दर बहुत कम होती है। इस पर समिति ने सुझाव दिया कि वृक्षारोपण के बाद पौधों की सुरक्षा और रखरखाव के लिए कड़े नियम बनाए जाएं।
नई तकनीक और प्रभावी रणनीतियों की जरूरत
पर्यावरण मंत्रालय को प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई तकनीकों और प्रभावी रणनीतियों को अपनाने पर जोर देना चाहिए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि योजनाएं सिर्फ कागजों पर न रहें, बल्कि जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू हों। जब तक नीति निर्माण और कार्यान्वयन में सामंजस्य नहीं होगा, तब तक वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान मुश्किल रहेगा।
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सिर्फ बजट आवंटन ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे सही दिशा में खर्च करना भी उतना ही आवश्यक है। सरकार को चाहिए कि वह अपनी प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं को शीघ्र मंजूरी देकर लागू करे ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके और देश के नागरिकों को एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिल सके।