छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के दरमियान भीषण मुठभेड़ हुई। डीआरजी, एसटीएफ और बस्तर फाइटर की संयुक्त कार्रवाई में 31 नक्सली को किया हलाक। दो जवान शहीद, दो घायल। मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम ने जताया शोक। पढ़ें पूरी खबर।
बीजापुर,( Shah Times) छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में महाराष्ट्र सीमा से लगे नेशनल पार्क इलाके में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई। इस संयुक्त ऑपरेशन में डीआरजी, एसटीएफ और बस्तर फाइटर के जवानों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया। इस दौरान दो जवान बलिदान हो गए, जबकि दो अन्य जवान घायल हुए हैं।
650 से ज्यादा जवानों का बड़ा ऑपरेशन
सूत्रों के मुताबिक, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले पुलिस को बड़ी संख्या में नक्सलियों के इकट्ठा होने की सूचना मिली थी। इसके बाद 650 से अधिक जवानों को ऑपरेशन के लिए रवाना किया गया। मुठभेड़ बीजापुर जिले के फरसेगढ़ थाना क्षेत्र में हुई, जहां मद्देड़ एरिया कमेटी, तेलंगाना स्टेट कमेटी और नेशनल पार्क एरिया कमेटी के शीर्ष नक्सली जमा थे।
शहीद और घायल जवानों की सूची
शहीद जवान:
नरेश ध्रुव (डीआरजी हेड कांस्टेबल, बालोद)
वासित रावटे (एसटीएफ कांस्टेबल, डोंडी बालोद)
घायल जवान:
जग्गू कलमू (डीआरजी कांस्टेबल)
गुलाब मंडावी (एसटीएफ कांस्टेबल)
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने जताया शोक
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवानों की शहादत पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों का यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य पूरा किया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि इस ऑपरेशन में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है। उन्होंने कहा कि यह मुठभेड़ नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की मजबूत नीति का नतीजा है।
सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई जारी
मुठभेड़ के बाद भी इलाके में तलाशी अभियान जारी है, क्योंकि आशंका है कि और भी नक्सली जंगल में छिपे हो सकते हैं। आईजी बस्तर सुंदरराज पी ने कहा कि सुरक्षा बलों ने चारों ओर से नक्सलियों को घेरकर यह ऑपरेशन चलाया।
यह मुठभेड़ छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन अभियान की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक है। सरकार और सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई यह दर्शाती है कि आने वाले दिनों में नक्सलवाद के खिलाफ और भी बड़े अभियान चलाए जाएंगे। लेकिन यह भी जरूरी है कि सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ विकास योजनाओं और पुनर्वास कार्यक्रमों को भी गति दी जाए, ताकि प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति स्थापित हो सके।
बीजापुर नक्सली मुठभेड़ छत्तीसगढ़ में एकल एकल अभियान है छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत हुई अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों से पहले यह घटना नक्सल गतिविधियों और सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाती है।
नक्सलवाद के अंत की ओर बढ़ते कदम
यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें 2026 तक राज्य को नक्सल मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। यह स्पष्ट संकेत है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की उपस्थिति और ऑपरेशन की तीव्रता बढ़ाई गई है।
बलिदान का सम्मान और भविष्य की रणनीति
जवानों का बलिदान निश्चित रूप से नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। हालांकि, यह भी विचारणीय है कि नक्सली अब भी संगठित होकर बड़ी संख्या में मौजूद हैं। सरकार को न केवल सैन्य कार्रवाई बल्कि विकास और पुनर्वास की रणनीतियों पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।
इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है, लेकिन यह अंत नहीं है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के लिए सुरक्षा बलों, प्रशासन और सरकार को दीर्घकालिक रणनीति अपनानी होगी। जवानों का बलिदान तभी सार्थक होगा जब इन इलाकों में स्थायी शांति स्थापित हो और आम नागरिक भयमुक्त जीवन जी सकें।