
भाजपा ने मुस्लिम समाज से किया संवाद, मेरठ में दिखा असर
पूर्व मंत्री शाहनवाज़ हुसैन और दानिश आज़ाद पहुंचे मुस्लिम सम्मेलन में
शाहवेज़ खान
मेरठ में ‘कलाम को सलाम’ कार्यक्रम में मुस्लिम समाज की बड़ी भागीदारी, शाहनवाज़ हुसैन और दानिश आज़ाद की मौजूदगी से बढ़ा सियासी संदेश
मेरठ,(Shah Times) । भारतीय जनता पार्टी पर अक्सर मुस्लिम विरोधी राजनीति के आरोप लगते हैं, लेकिन धरातल पर भाजपा ने संवाद की पहल तेज कर दी है। इसी कड़ी में मेरठ में पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर ‘कलाम को सलाम’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है।
भाजपा का संदेश: हम सभी समाजों के साथ
कार्यक्रम का उद्देश्य साफ था – मुस्लिम समाज को मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने का संदेश देना। इसमें भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से मेरठ में भारी मुस्लिम भागीदारी देखी गई।
मुख्य अतिथि:
दुष्यंत गौतम, राष्ट्रीय महामंत्री, भाजपा
शाहनवाज़ हुसैन, पूर्व केंद्रीय मंत्री
दानिश आज़ाद अंसारी, राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश
सत्येंद्र सिसोदिया, क्षेत्रीय अध्यक्ष, पश्चिम यूपी
चौधरी जाकिर हुसैन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा
शाहनवाज़ हुसैन: मुस्लिम समाज को विपक्ष ने पीछे रखा
पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज़ हुसैन ने कहा कि विपक्षी दलों ने दशकों तक मुस्लिम समाज को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया।
“आज भाजपा मुस्लिम समाज को मुख्यधारा में लाने का काम कर रही है। अब मुस्लिम युवा भी भाजपा की नीतियों से जुड़ रहा है।”
दानिश आज़ाद: भाजपा सरकार में हुआ असली विकास
प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने मंच से कहा:
“इतना फायदा मुस्लिम समाज को पहले कभी नहीं हुआ, जितना भाजपा शासन में मिला है। शिक्षा, रोज़गार, स्कॉलरशिप – हर क्षेत्र में मुसलमान आगे बढ़ा है।”
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कार्यक्रम में हसीन यासीन ने किया स्वागत
मेरठ के समाजसेवी हसीन यासीन ने शाहनवाज़ हुसैन का गरमजोशी से स्वागत करते हुए कहा:
“बासित अली जैसे नेता मुस्लिम समाज को भाजपा से जोड़ने की मेहनत कर रहे हैं और अब उसका असर दिखने लगा है।”
बासित अली की भूमिका अहम
कार्यक्रम के आयोजक और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा:
“पूर्ववर्ती सरकारों ने मुस्लिम समाज को गुमराह किया, लेकिन भाजपा ने उन्हें तरक्की की राह दिखाई।”
कलाम की विरासत से जोड़कर दिखाया समावेश का संदेश
‘कलाम को सलाम’ जैसे कार्यक्रम भाजपा की सॉफ्ट पॉलिटिक्स की रणनीति माने जा रहे हैं। अब्दुल कलाम को मुस्लिम समाज का आदर्श मानकर भाजपा मुस्लिमों तक एक सधा हुआ संदेश पहुंचाना चाहती है –
“हम तुम्हारे साथ हैं, सिर्फ वोट के लिए नहीं, विकास के लिए।”
राजनीतिक विश्लेषण: विपक्ष की बढ़ी चिंता
मुस्लिमों की इस भागीदारी ने विपक्षी खेमे में हलचल मचा दी है। अगर मुस्लिम समाज का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ संवाद शुरू करता है, तो कई सीटों पर चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भाजपा अगर 5-10% मुस्लिम वोट भी आकर्षित कर लेती है, तो कई सीटों पर जीत की राह आसान हो सकती है।
भविष्य की दिशा: संवाद या टकराव?
भाजपा के इस नए प्रयास को लेकर विपक्ष की रणनीति क्या होगी – यह आने वाले समय में साफ होगा। लेकिन ये निश्चित है कि मुस्लिम समाज में भाजपा को लेकर सोच में परिवर्तन हो रहा है।
नतीजा
मेरठ में आयोजित ‘कलाम को सलाम’ सम्मेलन भाजपा की रणनीतिक राजनीतिक पहल है, जिसके जरिए वह मुस्लिम समाज को यह बताने में लगी है कि भाजपा सबके साथ और सबके लिए है। मुस्लिम समाज की बड़ी भागीदारी, शाहनवाज़ हुसैन और हसीन यासीन जैसे नेताओं की मौजूदगी ने यह संकेत दिया कि मुस्लिम राजनीति अब सिर्फ परंपरागत दलों तक सीमित नहीं रही।