
राहुल गांधी मानहानि केस में बड़ा ट्विस्ट: अदालत में चलाई गई सीडी निकली खाली
पुणे कोर्ट में राहुल गांधी मानहानि केस में बड़ा मोड़ आया, जब पेश की गई सीडी खाली निकली और सत्यकी सावरकर की याचिकाएं खारिज हो गईं।
📍 Pune ✍️ Asif Khan
पुणे की एमपी-एमएलए विशेष अदालत में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे मानहानि मामले में गुरुवार को अप्रत्याशित मोड़ आ गया। विनायक दामोदर सावरकर पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़े इस केस में मुख्य साक्ष्य के तौर पर पेश की गई सीलबंद सीडी अदालत में चलाई गई तो वह पूरी तरह खाली निकली।
इस घटना के बाद अदालत ने वीडी सावरकर के परपौत्र सत्यकी सावरकर की दोनों याचिकाएं खारिज कर दीं—एक यूट्यूब वीडियो कोर्ट में चलाने की मांग और दूसरी अतिरिक्त सीडी रिकॉर्ड में जोड़ने की मांग।
कैसे खुला ‘खाली सीडी’ का मामला
शिकायतकर्ता की ओर से वकील संग्राम कोल्हटकर ने अपनी गवाह परीक्षा के दौरान 2023 में लंदन में राहुल गांधी द्वारा दिए गए कथित भाषण का वीडियो एक सीलबंद सीडी के रूप में अदालत में पेश किया था।
बताया गया था कि इसी सीडी के आधार पर कोर्ट ने संज्ञान लिया और राहुल गांधी को समन जारी हुआ।
लेकिन गुरुवार को जब यह सीडी कोर्ट में चलाई गई, तो उसमें कोई डेटा ही नहीं था।
खुद शिकायतकर्ता पक्ष भी इसे देखकर चौंक गया।
कोल्हटकर ने अदालत को याद दिलाया कि यह वही सीडी है जिसे पहले कोर्ट ने देखा था, लेकिन अब वही खाली मिली।
यूट्यूब वीडियो चलाने की मांग खारिज
सीडी खाली निकलने के बाद शिकायतकर्ता पक्ष ने अदालत से कहा कि वह भाषण का यूट्यूब लिंक खोलकर वीडियो देख ले।
इस पर राहुल गांधी की ओर से वकील मिलिंद पवार ने तीखा विरोध करते हुए कहा कि:
ऑनलाइन कंटेंट स्वतः प्रमाणित नहीं होता
यह भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65-बी के अनुसार मान्य नहीं है
मजिस्ट्रेट अमोल शिंदे ने इसे स्वीकार किया और कहा:
यूआरएल या वेब लिंक का कोई वैध 65-बी प्रमाणपत्र रिकॉर्ड में नहीं है
इसलिए इसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता
दो अतिरिक्त सीडी पेश करने की कोशिश भी फेल
सत्यकी सावरकर ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह एक “अतिरिक्त सीडी” चलाने दे।
लेकिन कोर्ट ने यह मांग भी अस्वीकार करते हुए साफ कहा:
रिकॉर्ड में ऐसी कोई अतिरिक्त सीडी मौजूद नहीं है
धारा 65-बी क्या कहती है?
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65-बी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को सबूत के तौर पर मान्यता देने का तरीका बताती है।
इसके तहत:
किसी भी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (सीडी, पेन ड्राइव, ऑनलाइन कंटेंट) को तभी साक्ष्य माना जा सकता है जब उसके साथ विधिसम्मत प्रमाणपत्र संलग्न हो।
चूंकि न तो सीडी काम कर रही थी और न ही यूट्यूब लिंक के साथ वैध प्रमाणपत्र था, इसलिए दोनों को साक्ष्य के रूप में नहीं माना जा सका।
खाली सीडी पर न्यायिक जांच की मांग
कोल्हटकर ने कोर्ट से इस “खाली सीडी” के रहस्य की न्यायिक जांच की मांग की और कुछ समय का स्थगन मांगा।
राहुल गांधी के वकील ने इसका विरोध किया, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई को शुक्रवार तक स्थगित कर दिया।
अब बड़ा सवाल
पहले सुनवाई के दौरान जिसे चलाकर अदालत ने समन जारी किया था—
वही सीडी अब खाली कैसे निकल गई?
यह सवाल अब इस पूरे मामले की दिशा और विश्वसनीयता को नई चुनौती देता है।




