
Jaya Bachchan – A Timeless Star of Indian Cinema Celebrates Her 77th Birthday
भारतीय सिनेमा की सदाबहार अभिनेत्री जया बच्चन ने अभिनय से लेकर राजनीति तक, हर क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
जया भादुरी बच्चन आज 77 साल की हो गईं। जानिए उनके शानदार फिल्मी करियर, निजी जीवन, समाजसेवा और राजनीति में योगदान की पूरी कहानी, जो उन्हें बनाती है एक प्रेरणास्पद शख्सियत।
मुंबई, (Shah Times)। बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री, समाजसेविका और राजनीतिज्ञ जया भादुरी बच्चन आज 77 वर्ष की हो गईं। 9 अप्रैल 1948 को एक बंगाली परिवार में जन्मीं जया भादुरी के पिता तरुण भादुरी एक प्रतिष्ठित पत्रकार थे। जया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संत जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल से प्राप्त की और इसके बाद पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेकर अभिनय की बारीकियां सीखी।
जया भादुरी ने मात्र 15 वर्ष की उम्र में प्रसिद्ध निर्देशक सत्यजीत रे की बंगाली फिल्म महानगर से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने धन्नी मेये जैसी बंगाली कॉमेडी फिल्म में काम किया, जो टिकट खिड़की पर सफल साबित हुई।
उनके हिंदी सिनेमा में शुरुआती दौर में निर्माता-निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। वर्ष 1971 में फिल्म गुड्डी ने उन्हें बॉलीवुड में स्थापित किया, जिसमें उन्होंने एक फिल्मी दुनिया की दीवानी लड़की की भूमिका निभाई थी। इसके बाद आई कोशिश (1972) उनके करियर में मील का पत्थर साबित हुई, जिसमें उन्होंने एक मूक महिला का किरदार निभाया—बिना संवाद के सिर्फ हाव-भाव से अभिनय कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
ऋषिकेश मुखर्जी की बावर्ची, अभिमान, चुपके-चुपके और मिली जैसी फिल्मों में भी जया ने बेहतरीन अभिनय किया। 1972 की फिल्म एक नज़र के दौरान उनका झुकाव अभिनेता अमिताभ बच्चन की ओर हुआ और 1973 में दोनों ने विवाह कर लिया।
शादी के बाद भी जया बच्चन ने अपने अभिनय करियर को जारी रखा। वर्ष 1975 में आई रमेश सिप्पी की सुपरहिट फिल्म शोले में उनके गंभीर अभिनय ने उन्हें एक बहुआयामी अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया।
1981 में यश चोपड़ा की फिल्म सिलसिला के बाद पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के चलते उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली। हालांकि, उन्होंने एक कहानी भी लिखी, जिस पर 1988 में अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म शहंशाह बनी।
करीब 17 वर्षों के अंतराल के बाद 1998 में हज़ार चौरासी की मां के साथ उन्होंने फिल्मों में वापसी की। गोविंद निहलानी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में उन्होंने एक मां की भूमिका में दर्शकों के दिलों को छू लिया।
इसके बाद उन्होंने समाजसेवा के उद्देश्य से राजनीति में कदम रखा और समाजवादी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सदस्य बनीं। जया बच्चन को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए 1992 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
अपने करियर में वह नौ बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीत चुकी हैं। उनकी और अमिताभ बच्चन की जोड़ी को दर्शकों ने बेहद पसंद किया है—जैसे कि जंजीर, अभिमान, मिली, चुपके-चुपके, शोले, सिलसिला और कभी खुशी कभी ग़म जैसी फिल्मों में।
उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में जवानी दीवानी, बावर्ची, परिचय, पिया का घर, शोर, अनामिका, फागुन, नया दिन नई रात, कोई मेरे दिल से पूछे, लागा चुनरी में दाग, द्रोण और हाल ही में रॉकी और रानी की प्रेम कहानी शामिल हैं।
जया भादुरी बच्चन का जीवन न केवल अभिनय बल्कि कर्तव्यों, समाज सेवा और प्रेरणा की मिसाल है। उनके जन्मदिन पर सारा देश उन्हें शुभकामनाएं दे रहा है।