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मधुबाला की 23 फरवरी पुण्यतिथि पर जानिए उनके संघर्ष, प्रेम और फिल्मी सफर की अनकही दास्तान
बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा मधुबाला की पुण्यतिथि पर उनके जीवन, करियर, प्रेम कहानी और संघर्ष की पूरी कहानी पढ़ें। जानिए कैसे एक साधारण लड़की बनी हिंदी सिनेमा की ‘वीनस’।
बॉलीवुड में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो समय के साथ फीके नहीं पड़ते, बल्कि उनकी चमक और भी बढ़ जाती है। मधुबाला उन्हीं में से एक थीं। 23 फरवरी उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर, हम उनकी जीवन यात्रा को सलाम करते हैं, जो संघर्ष, प्रेम, सफलता और दर्द से भरी रही। उनकी अदाओं और मासूमियत ने उन्हें हिंदी सिनेमा की ‘वीनस’ बना दिया। यह लेख उनके जीवन के अनछुए पहलुओं को सामने लाने का एक छोटा-सा प्रयास है।
मुंबई, (Shah Times): बॉलीवुड में मधुबाला को एक ऐसी अभिनेत्री के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी दिलकश अदाओं और दमदार अभिनय से चार दशकों तक सिने प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया। उनका असली नाम मुमताज बेगम देहलवी था और उनका जन्म 14 फरवरी 1933 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता अताउल्लाह खान एक साधारण रिक्शा चालक थे, लेकिन एक नजूमी (भविष्यवक्ता) की भविष्यवाणी ने उनके जीवन को बदल दिया। उन्होंने कहा था कि यह लड़की एक दिन बहुत शोहरत पाएगी। इसी विश्वास के साथ उनके पिता उन्हें मुंबई ले आए।
फिल्मों में शुरुआती सफर
1942 में मात्र नौ वर्ष की उम्र में मधुबाला ने बाल कलाकार के रूप में फिल्म बसंत में अभिनय किया। उनकी सुंदरता से प्रभावित होकर अभिनेत्री देविका रानी ने उन्हें ‘मधुबाला’ नाम दिया। हालांकि, उनका असली सफर 1947 में फिल्म नीलकमल से शुरू हुआ, जिसमें वह राज कपूर के साथ नजर आईं। लेकिन 1949 में आई फिल्म महल उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इस फिल्म ने उन्हें रातोंरात सुपरस्टार बना दिया।
शानदार करियर और दिलीप कुमार संग प्रेम कहानी
1950 से 1957 तक मधुबाला के करियर में कई उतार-चढ़ाव आए। लेकिन फागुन, हावड़ा ब्रिज, काला पानी और चलती का नाम गाड़ी जैसी हिट फिल्मों के बाद वह फिर से बुलंदियों पर पहुंच गईं। उनकी और दिलीप कुमार की जोड़ी दर्शकों को खूब पसंद आई, खासकर तराना में। दोनों का प्रेम परवान चढ़ा, लेकिन उनके पिता के विरोध के कारण यह रिश्ता अधूरा रह गया। नया दौर फिल्म की शूटिंग के विवाद ने इस रिश्ते को और दूर कर दिया।
मुगल-ए-आज़म और मधुबाला की बीमारी
1950 के दशक के अंत में मधुबाला को हृदय संबंधी बीमारी का पता चला। लेकिन उन्होंने इस बात को छुपाया और मुगल-ए-आज़म की शूटिंग जारी रखी। फिल्म में उनके अभिनय ने उन्हें अमर कर दिया। इस दौरान उन्होंने पानी तक उबला हुआ ही पीया और लोहे की असली जंजीरों में बंधकर सीन किए।
किशोर कुमार संग शादी और आखिरी दिन
मधुबाला और किशोर कुमार की प्रेम कहानी भी दिलचस्प रही। उन्होंने 1960 में शादी की, लेकिन उनकी सेहत दिन-ब-दिन बिगड़ती चली गई। 1964 में उन्होंने चालाक फिल्म से वापसी करने की कोशिश की, लेकिन शूटिंग के पहले दिन ही बेहोश हो गईं। 23 फरवरी 1969 को मात्र 36 वर्ष की उम्र में मधुबाला ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
मधुबाला की विरासत
आज भी मधुबाला की फिल्में और उनका जादू बरकरार है। उनकी सुंदरता, मासूमियत और प्रतिभा ने उन्हें सदा के लिए अमर बना दिया। उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
मधुबाला सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की अमूल्य धरोहर थीं। उनकी अदाकारी, सौंदर्य और संघर्ष की कहानी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें शत् शत् नमन!
Remembering Madhubala on Her Death Anniversary: Life, Career & Untold Stories