डॉ अंतरिक्ष सैनी से लोन के नाम पर चालीस लाख की ठगी करने विवेचकों द्वारा बरती जा रही लापरवाही का प्रकरण

एसएसपी ने चाराें दरोगाओं की पत्रावली खोलने के प्रधाान लिपिक को आदेश दिए दरोगाओं की प्रारंभिक जांच कर सात दिन में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश एसपी सिटी को दिए

उपनिरीक्षक आशीष रावत को मिली विववेचना, वह दूसरे मुकदमे में गए हुए थे गैर प्रांत ,एसएसपी ने पूरे प्रकरण में अपनाया कड़ा रूख,प्रारम्भिक जांच को अमल में लाने की कही बात

देहरादून/मयूर गुप्ता(Shah Times)। रिसोर्ट खोलने के नाम पर एक प्राईवे कंपनी से करोड़ों का लोन पास करवाने के नाम पर उक्त कंपनी के कर्मचारियाें द्वारा प्रोससिंग फ़ाईल के नाम पर करीब चालीस लाख रूपये लिए जाने के बाद उक्त सभी ठगों द्वारा वहां से फ़रार हो जाने और अपने मोबाईल नंबरों को बंद कर दिए जाने के बाद डालनवाला कोतवाली में ठगों के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज हो जाने पर उक्त मुकदमे की समय-समय पर विवेचना कर रहे उपनिरीक्षकों द्वारा लापरवाही बरते जाने से खफ़ा होकर एसएसपी ने चार विवेचकों के खिलाफ़ पत्रवली खोलकर जांच के बाद उनके समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश भी प्रधाान लिपिक को देते हुए पूरे मामले की जांच एसपी सिटी को सौंप दी।

विगत करीब डेढ वर्ष डालनवाला कोतवाली में डा- अंतरिक्ष सैनी ने अपने साथ हुई करीब चालीस लाख रूपये की ठगी के मामले की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। 

रिपोर्ट में डा- अंतरिक्ष सैनी ने इस बात का उल्लेख किया था कि ठगों ने धाोखाधाड़ी कर उससे लाखों रूपये हड़प लिए और उक्त रूपये वापस नहीं किए। 

मामले की विवेचना उपनिरीक्षक कमलेश गौड के सुर्पूद की गई थी। जिसमे विवेचक ने पीएनबी रेस कोर्स के शाखा प्रबंधाक को धाारा 91 का नोटिस जारी किया था कि वह उक्त बैंक खाते और केवाईसी की डिटेल उपलब्धा करवाएं। इतना ही नहीं विवेचक कमलेश गौड ने एचडीएफ़सी बैंक के शाखा प्रबंधाक को भी धाारा 91 का नोटिस जारी कर महत्वपूर्ण दस्तावेजों को उपलब्धा करवाने को कहा था।

चालीस लाख रूपये की ठगी के मामले में नामजद आरोपी वासु शर्मा पु= दीपक शर्मा निवासी निहाल विहार नांगलोई थाना निहाल विहार को भी बयान देने के लिए दून आने की बात नोटिस के माधयम से विवेचक ने दी थी। लेकिन विवेचक कमलेश गौड की विवेचना से संतुष्ट नहीं होने के बाद उक्त मुकदमे की विवेचना उपनिरीक्षक उपनिरीक्षक चौकी प्रभारी ओमप्रकाश के सुपूर्द की गई थी। इसके बाद उक्त मुकदमे की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधिकारियों ने इसकी विवेचना उपनिरीक्षक आशीष रावत के सुपूर्द की गई लेकिन वह दूसरे मुकदमे में गैर प्रान्त होने के कारण अभियोग की विवेचना नहीं कर सके।

वहीं एक बार फि़र अधिाकारियों ने चालीस लाख रूपये की ठगी के मामले में उसकी विवेचना उपनिरीक्षक प्रवीण पुण्डीर के सुपूर्द की गई तो उन्होंने एक मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल निकालकर उसकी तस्दीक की तो जानकारी मिली की उक्त मोबाईल नंबर और आधाार कार्ड छवीनाथ मार्ग इंडस्ट्रियल स्टेट मुंबई महाराष्ट्र का प्राप्त हुआ। चुंकी उक्त मुकदमा विशेष श्रेणी का था तो ऐसे में उसका एसएसपी देहरादून द्वारा भी अवलोकन किया गया।

मुकदमे का अवलोकन किए जाने के बाद एसएसपी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया कि उक्त मुकदमे को एक साल चार माह से भी अधिाक का समय व्यतीत हो जाने के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी और न ही उनकी संल्प्तिा स्पष्ट की गई। एसएसपी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का 

उल्लेख किया कि मुकदमे की खानापूर्ति की गई और न ही प्रवेक्षण अधिकारी द्वारा विवेचना के निस्तारण हेतु विवेचक को कड़े निर्देश निर्गित किए गए।

मुकदमे की पत्रावली का अवलोकन के दौरान एसएसपी ने इस बात को भी गंभीर माना की अभियुक्तों के कथन भी अंकित नहीं किए गए है।

एसएसपी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया कि एक वर्ष सात माह का समय व्यतीत हो जाने के बाद भी विवेचना का निस्तारण हेतु उनके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया। जिससे यह प्रमाण मिलते है कि विवेचक द्वारा विवेचना के निस्तारण में पूरी तरह से लापरवाही बरती गई है ।

जिसके संबंधा में पूर्व विवेचको का लिखित स्पष्टीकरण प्राप्त करने के निर्देश दिए गए थे जो कि एसएसपी तक नहीं पहुंचे। एसएसपी ने अपने प= में इस बात का उल्लेख किया कि यह स्थिति आपत्तिजनक है।एसएसपी ने अपने प= के पंत्रंक संख्या वाचक-14/2024 दिनांक 14 मार्च को पुलिस अधाीक्षक नगर को पूरे प्रकरण के संबंधा में और लापरवही बरते जाने के संबंधा में पूर्व विवेचकों का स्पस्टीकरण प्राप्त कर अपनी सुस्पष्ट आख्या तीन दिन के अंदर उन्हे पेश करने के निर्देश जारी किए। एसएसपी ने अपने प= में इस बात की भी चेतावनी पुलिस अधाीक्षक नगर को दी कि स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होने की दशा में विवेचना में प्रारम्भिक जांच की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

 एसएसपी की नाराजगी केा देख एसपी सिटी प्रमोद कुमार ने विगत 20 मार्च को चारो पूर्व विवेचकों को पत्र लिखकर अपने-अपने कथन अंकित करने हेतु अपने कार्यालय में अगले दिन 21 मार्च को पेश होने के निर्देश दिए थे।

 अंतरिक्ष सैनी से रिसोर्ट खोलने के नाम पर करोड़ों रूपये का लोन देने के लिए प्रोससिंग फ़ाईल के नाम पर चालीस लाख रूपये की ठगी करने और ठगों के फ़रार हो जाने का यह कोई पहला प्रकरण नहीं है। इससे पहले भी भी कई ऐसे प्रकरण पुलिस अधिकारियों के समक्ष आ चुके है लेकिन मुकदमों की 

विवेचना करने वाले विवेचकों द्वारा ढुल-मुल रवैया अपनाकर सही तरीके से विवेचना नहीं करने और पीड़ित डॉ को इधर-उधर धक्के खिलवाने का काम करते और आरोपियों के खिलाफ़ कार्रवाई करने की बात कहकर उसकों अपने पक्ष में करने का काम करते है ताकि पीड़ित उच्चाधिाकारियों के समक्ष पेश होकर उनकी शिकायत नहीं करें। कुछ संगीनधााराओं में अभियोगों को आरोपियों से साज खाकर विवेचकों ने फ़ाईनल रिपोर्ट तक लगा दी जबकि अधिकारियों द्वारा लगातार उक्त फ़ाईनल रिपोर्ट को रोकते हुए अपने आदेशों में लिखा की विवेचक विवेचना ही नहीं कर रहे है। अभी एसपी सिटी द्वारा उक्त प्रकरण की जांच की जा रही है।

30 मार्च को एसएसपी की सख्ती के बाद डालनवाला पुलिस ने एक ठग को पकड़ा गुजरात से

 डॉ अंतरिक्ष सैनी के साथ हुई चालीस लाख रूपये की धाोखाधाड़ी के प्रकरण में एसएसपी अजय सिंह द्वारा कड़ा रूख अपनाते हुए अपने अधाीनस्थों को अपने रूख से वाकिफ़ करने पर हरकत में आई डालनवाला कोतवाली पुलिस ने विगत 30 मार्च को चालीस लाख रूपये की धाोखाधाड़ी के मामले में फ़रार चल रहे आरोपी वासु शर्मा पुत्र दीपक शर्मा निवासी निहाल विहार नांगलोई थाना निहाल विहार को गुजरात से गिरफ्तार होना दर्शाकर अपनी पीठ थपथपाने का काम किया था। लेकिन हकीकत इससे परे है। अगर एसएसपी पूर्व चार विवेचकों के खिलाफ़ पत्रवली खोलकर जांच एसपी सिटी को नहीं सौंपते तो होना वहीं था जो मुकदमों में आजतक होता आया है।

 विवेचकों द्वारा मनमाने ढंग से की जाने वाली विवेचनाओं का लाभ आराेपियों को होता है और वह मस्ती से पीड़ित को चिड़ाते हुए खुलेआम फि़रते है।

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