
अखिलेश यादव का BJP पर वार: लोकतंत्र, किसान और पर्यावरण संकट
2027 में सत्ता परिवर्तन होगा और जनता बदलाव लाएगी।
अखिलेश यादव ने BJP सरकार पर लोकतंत्र, किसान, पर्यावरण और भ्रष्टाचार को लेकर कड़ा हमला बोला। कहा– 2027 में सत्ता बदलेगी।
Lucknow, (Shah Times)। समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार पर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि मौजूदा हुक़ूमत ने समता, स्वतंत्रता और भाईचारे की बुनियाद को नफ़रत की सियासत से कमज़ोर किया है।
उनके मुताबिक़ संवैधानिक संस्थाएँ अब स्वायत्तता खोती जा रही हैं, चुनाव आयोग तक सवालों के घेरे में है, और लोकतंत्र का असली तक़ाज़ा — यानी निष्पक्ष चुनाव — अब संदिग्ध हो गया है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
अखिलेश यादव ने कहा कि जातीय जनगणना और आरक्षण का सही इस्तेमाल तभी होगा जब सत्ता में ईमानदार और जवाबदेह सरकार होगी। उन्होंने “PDA” (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठबंधन की मज़बूती को भविष्य की राजनीति का आधार बताया।
उनके शब्दों में –
“अगर PDA ने मेहनत की, तो लोकसभा में पार्टी के ज़्यादा सांसद जीतेंगे और 2027 में यूपी की गद्दी बदलेगी।”
किसान और रोज़गार का मुद्दा
अखिलेश यादव ने कहा कि किसान, नौजवान और बेरोज़गार आज BJP सरकार से सबसे ज़्यादा मायूस हैं। छुट्टा पशुओं और जंगली जानवरों के हमलों ने ग्रामीण इलाक़ों को दहशत में डाल दिया है। 2024 में सिर्फ यूपी में 60 मौतें और 220 घायल इसी वजह से हुए।
पर्यावरण और वन्यजीव संकट
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और अवैध कटाई ने जंगलों को उजाड़ दिया है। पेड़ों की कमी और तालाबों पर अवैध कब्ज़े की वजह से जंगली जानवर गांवों और शहरों तक आकर हमला कर रहे हैं।
“BJP सरकार 200 करोड़ पेड़ लगाने का दावा करती है, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि पेड़ कहीं नज़र नहीं आते। बजट हज़म कर लिया गया।”
भ्रष्टाचार और शासन व्यवस्था
अखिलेश यादव ने नियुक्तियों, वाइस चांसलरों, कानून-व्यवस्था और गौशालाओं में फैले घोटालों का ज़िक्र किया। उनका कहना है कि BJP सरकार में “भाई-भतीजावाद” और “परिवारवाद” चरम पर है, जबकि आम जनता को न्याय नहीं मिल रहा।
अखिलेश यादव ने साधा निशाना: “H1 वीज़ा नहीं मिलेगा तो सरकार क्या करेगी?”
अखिलेश यादव ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार पर तीखा वार करते हुए कहा कि आज देश का नौजवान रोज़गार और अवसर की तलाश में दर-दर भटक रहा है। उन्होंने सवाल उठाया –
“उत्तर प्रदेश सरकार के इंजन से पूछना चाहिए कि जो H1 वीज़ा नहीं मिल रहा उसका क्या करेंगे।”
अखिलेश यादव का इशारा उन भारतीय युवाओं की तरफ़ था जो अमेरिका समेत अन्य देशों में नौकरी पाने के लिए H-1B वीज़ा पर निर्भर रहते हैं। उनका कहना था कि BJP सरकार ने न तो राज्य के अंदर पर्याप्त रोज़गार के अवसर पैदा किए और न ही विदेशों में जाने वाले युवाओं को स्थायी विकल्प उपलब्ध कराया।
युवाओं का संकट
अखिलेश यादव ने कहा कि लाखों इंजीनियरिंग, मेडिकल और टेक्निकल स्टूडेंट्स रोज़ाना “H1B Visa Lottery” के भरोसे बैठे हैं। लेकिन मौजूदा नीतियाँ इतनी सख़्त हो गई हैं कि ज़्यादातर युवाओं को वीज़ा रिजेक्शन का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने तंज भरे लहज़े में कहा कि सरकार केवल मोदी-इंजन, डबल-इंजन जैसे नारे देती है, मगर असल सवालों पर जवाब नहीं देती।
बेरोज़गारी पर वार
SP प्रमुख ने कहा कि बीजेपी ने “हर साल 2 करोड़ नौकरियाँ” देने का वादा किया था। लेकिन वास्तविकता यह है कि आज देश और यूपी के युवा कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स, आउटसोर्सिंग और अस्थायी रोजगार तक सिमटकर रह गए हैं।
“सरकार बताये कि जो नौजवान H1B नहीं पा रहे, उन्हें कहाँ नौकरी देंगे? क्या केवल ठेकेदारी, आउटसोर्सिंग और इंटर्नशिप ही उनका भविष्य है?”
विपक्ष का रुख़
अखिलेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी मानती है कि अगर राज्य में ही मज़बूत आईटी इंडस्ट्री, मैन्युफैक्चरिंग और MSME सेक्टर विकसित हों, तो नौजवानों को विदेश भागने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले 2027 विधानसभा चुनाव में जनता BJP सरकार से यही सवाल पूछेगी – “वीज़ा नहीं, तो रोज़गार कहाँ?”
महंगाई और आर्थिक दबाव
GST और महंगाई पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि BJP ने पहले टैक्स लगाकर जनता को तोड़ा और अब राहत देने का दिखावा कर रही है।
हालांकि, सियासी विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव के आरोप एकतरफ़ा नहीं माने जा सकते।
BJP का दावा है कि गौशालाओं और किसानों के लिए क़दम उठाए जा रहे हैं।
सरकार का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण और सड़क विकास एक साथ हो सकता है।
सुरक्षा एजेंसियाँ तर्क देती हैं कि “एनकाउंटर नीति” ने अपराधियों पर काफ़ी हद तक अंकुश लगाया है।
इसके बावजूद, विपक्ष का तर्क है कि “विकास बनाम विनाश” का सवाल अब जनता के सामने खड़ा है।
अखिलेश यादव का पूरा भाषण इस बात पर केंद्रित रहा कि 2027 में सत्ता परिवर्तन संभव है और समाजवादी पार्टी को “भरोसे और संघर्ष” की राजनीति पर टिकना होगा।
यह सच है कि यूपी के ग्रामीण, किसान और शहरी वर्ग कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। BJP सरकार ने अपने स्तर पर योजनाएँ ज़रूर चलाई हैं, मगर विपक्ष का आरोप है कि उनका असर “जमीन पर” दिखाई नहीं देता।
अगला चुनाव यह तय करेगा कि क्या अखिलेश यादव की यह आलोचना जनता के बीच असर डालेगी या फिर BJP अपनी “डिवेलपमेंट नैरेटिव” के दम पर फिर से सत्ता में वापसी करेगी।




