
Cheteshwar Pujara announces retirement from cricket after a glorious Test career, remembered as India’s reliable No.3 batsman | Shah Times
पुजारा ने कहा क्रिकेट को अलविदा, भारत की दीवार हुई रिटायर
चेतेश्वर पुजारा का संन्यास, क्रिकेट से एक सुनहरा अध्याय खत्म
चेतेश्वर पुजारा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया। उनकी शांत स्वभाव, साहस और तकनीक ने भारत को कई ऐतिहासिक जीत दिलाई।
चेतेश्वर पुजारा का संन्यास: भारतीय टेस्ट क्रिकेट का भरोसेमंद स्तम्भ अब इतिहास
चेतेश्वर पुजारा, जिनका नाम भारतीय क्रिकेट इतिहास में “मिस्टर भरोसेमंद” के तौर पर अमर रहेगा, ने रविवार को सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिये क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया। यह घोषणा न सिर्फ़ क्रिकेट प्रेमियों के लिए भावुक पल था बल्कि उस दौर का अंत भी, जिसमें पुजारा ने अपने धैर्य, तकनीक और अदम्य साहस से भारतीय टीम को मुश्किल हालात से बाहर निकाला।
पुजारा का सफ़र क्रिकेट की किताब का वह अध्याय है, जिसे पढ़ते हुए “सब्र” और “लगन” की परिभाषा समझ में आती है। टेस्ट मैच की धीमी पर कठिन बुनाई में उनका बल्ला उस सुई की तरह था जो हर बॉल को धैर्य से पिरोकर रनों की माला गढ़ देता था।
पुजारा की बैटिंग स्टाइल: सब्र की मिसाल
पुजारा का नाम लेते ही ज़ेहन में तस्वीर बनती है — सफ़ेद ड्रेस में डटा एक बल्लेबाज़, जो तेज़ गेंदबाज़ों की बाउंसर और स्पिनर्स की घूमती गेंदों के सामने चट्टान की तरह खड़ा रहता है।
विराट कोहली जहां आक्रामक खेल के प्रतीक बने, वहीं पुजारा का अंदाज़ “तहम्मुल” और “सुकून” का पैग़ाम देता रहा। उनके खेल में चमक-दमक भले कम रही, लेकिन मज़बूती और भरोसा हर पारी में छलकता रहा।
राहुल द्रविड़ की छवि
पुजारा को अक्सर “राहुल द्रविड़ का उत्तराधिकारी” कहा गया। नंबर तीन की पोज़ीशन पर उन्होंने वही भरोसा दिलाया, जैसा “द वॉल” करते थे। बल्लेबाज़ी के दौरान उनका सबसे बड़ा हथियार धैर्य और तकनीकी सटीकता था।
करियर की उपलब्धियां
टेस्ट मैच खेले: 103
कुल रन: 7195
शतक: 19
अर्धशतक: 35
सर्वश्रेष्ठ पारी: 206*
वनडे: सिर्फ़ 5
टी20 इंटरनेशनल: शून्य
2018-19 का ऑस्ट्रेलिया दौरा उनके करियर की पहचान बन गया। चार मैचों में 521 रन ठोककर उन्होंने भारत को पहली बार ऑस्ट्रेलिया की सरज़मीं पर सीरीज़ जिताई और “प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़” बने। उस दौरे पर कंगारू गेंदबाज़ों की बाउंसरें उनके शरीर से टकराईं, लेकिन उनका बल्ला भारत के लिए रन बरसाता रहा।
नेटवर्थ और कमाई
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पुजारा की नेटवर्थ लगभग 24 करोड़ रुपये है। बीसीसीआई के बी-ग्रेड कॉन्ट्रैक्ट से उन्हें सालाना तीन करोड़ मिलते थे। इसके अलावा उन्होंने डोमेस्टिक क्रिकेट, काउंटी क्रिकेट और कुछ ब्रांड एंडोर्समेंट से भी अच्छी कमाई की।
मासिक आय लगभग 15 लाख बताई जाती है। क्रिकेट छोड़ने के बाद उनके सामने कमेंट्री और कोचिंग के रास्ते खुले हुए हैं। इंग्लैंड दौरे पर उन्हें पहले ही कमेंटेटर की भूमिका में देखा जा चुका है।
सचिन तेंदुलकर और शशि थरूर का रिएक्शन
सचिन तेंदुलकर ने पुजारा को “भारतीय टेस्ट टीम का स्तम्भ” बताते हुए कहा कि उनका धैर्य और तकनीक टीम इंडिया के लिए अनमोल रही। उन्होंने लिखा कि 2018 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ उनकी सहनशक्ति के बिना भारत जीत ही नहीं सकता था।
शशि थरूर ने भी पुजारा को सम्मानजनक विदाई न मिलने पर दुख जताया और कहा कि उन्हें “फेयरवेल टेस्ट” मिलना चाहिए था।
विदाई विवाद: क्या पुजारा के साथ नाइंसाफी हुई?
भारतीय क्रिकेट में अक्सर सवाल उठता है कि क्या हर दिग्गज को “विदाई मैच” मिलना चाहिए। रविचंद्रन अश्विन ने संन्यास के समय कहा था कि उन्हें विशेष विदाई की ज़रूरत नहीं। लेकिन पुजारा जैसे खिलाड़ियों के मामले में बहस और गहरी हो जाती है।
वह टीम इंडिया के लिए लगभग एक दशक से भी ज़्यादा समय तक नंबर तीन पर चट्टान की तरह खड़े रहे। क्या उन्हें आख़िरी बार मैदान पर उतरने का हक़ नहीं था?
भविष्य की राह
अब सवाल है कि पुजारा आगे क्या करेंगे। क्रिकेट छोड़ने के बाद उनके सामने तीन बड़े रास्ते हैं:
कमेंट्री और ब्रॉडकास्टिंग – पहले ही इंग्लैंड दौरे पर माइक के पीछे दिख चुके हैं।
कोचिंग – उनकी तकनीक और धैर्य नई पीढ़ी को सिखाने के लिए अमूल्य होगा।
लेखन और मोटिवेशनल रोल – उनकी आत्मकथा और जीवन अनुभव क्रिकेट प्रेमियों व युवाओं के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।
विश्लेषण और निष्कर्ष
चेतेश्वर पुजारा ने भारतीय क्रिकेट को वो दौर दिया, जहां “टेस्ट क्रिकेट” का असली सौंदर्य झलकता है। आज जब क्रिकेट में तेज़ी और ग्लैमर हावी है, पुजारा का संन्यास हमें याद दिलाता है कि असली खेल धैर्य और निरंतरता से बनता है।
उनका सफ़र एक सबक़ है — कि हर खिलाड़ी को “स्टार” बनने की ज़रूरत नहीं, कभी-कभी टीम के लिए “स्तम्भ” बनना ही काफ़ी होता है।
भारत की बल्लेबाज़ी में जब भी तीसरे नंबर की बात होगी, “पुजारा” का नाम हमेशा अमर रहेगा। उन्होंने अपनी टीम के लिए “गोलियां खाने” की मिसाल कायम की और यही उनकी सबसे बड़ी विरासत है।