
Indian soldiers retaliate to Pakistani ceasefire violations at the LoC – Tensions escalate post-Pahalgam terror attack. (Image Credit: Shah Times)
सरहद पर बारूद, UNSC में दोहरापन: कब सुधरेगा पाकिस्तान?
पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक में टकराव तेज, UNSC की बैठक आज
एलओसी पर लगातार 11वीं रात फायरिंग, भारतीय सेना का करारा जवाब
भारत-पाकिस्तान तनाव पर आज UNSC की अहम बैठक, एलओसी पर 11वीं बार फायरिंग। क्या पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति भंग करने की रणनीति पर काम कर रहा है? जानिए पूरे घटनाक्रम का संपादकीय विश्लेषण।
नापाक इरादों का इम्तिहान: सीमापार से गोलियों की गूंज और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की चालें
पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली और आंतरिक अस्थिरता ने उसके हुक्मरानों को एक बार फिर पुरानी राह पर मोड़ दिया है—भारत विरोधी राग और सीमा पर उकसावे की हरकतें। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान की भूमिका संदेह के घेरे में है। अब तक 11 बार नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीज़फायर का उल्लंघन किया जा चुका है।
क्या यह केवल सैन्य उकसावे हैं या एक सोची-समझी रणनीति?
सवाल यह नहीं कि पाकिस्तान फायरिंग क्यों कर रहा है—सवाल यह है कि वह किसे संदेश देना चाहता है? संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आज की बंद कमरे की बैठक में पाकिस्तान अपने वही पुराने आरोप दोहराने वाला है—”भारत आक्रामक है, सिंधु जल संधि को तोड़ा जा रहा है” वगैरह। लेकिन दुनिया अब जानती है कि ‘आक्रामक’ कौन है और ‘शांति की भाषा’ कौन बोल रहा है।
भारत का रुख स्पष्ट है: आतंकवाद को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यही कारण है कि भारत ने जहां सिंधु जल संधि को निलंबित किया, वहीं सीमा पर हो रही गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब भी दिया।
क्या कहती है अंतरराष्ट्रीय बिरादरी?
UNSC ने पहलगाम हमले की निंदा की है लेकिन हमले के पीछे के संगठनों का नाम लेने से बचा है—शायद चीन के वीटो का डर हो या पाकिस्तान की सदस्यता का असर। यह दोहरापन न केवल भारत के साथ अन्याय है, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ बनी एकजुटता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
पाकिस्तान का असली एजेंडा क्या है?
शहबाज शरीफ का मलेशियाई प्रधानमंत्री से बात करना और ‘निष्पक्ष जांच’ की बात करना मात्र अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति बटोरने की कोशिश है। एक तरफ सीमा पर लगातार गोलीबारी, दूसरी तरफ “शांति की पेशकश”—यह पाकिस्तान की दोहरी नीति का जीता-जागता उदाहरण है।
भारत को क्या करना चाहिए?
- राजनयिक स्तर पर दबाव बनाए रखना होगा, खासकर UNSC में सदस्य राष्ट्रों से स्पष्ट समर्थन मांगते हुए।
- सीमाई सुरक्षा और सैन्य जवाबी कार्रवाई को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखना आवश्यक है।
- मीडिया और वैश्विक मंचों पर आतंकवाद की जड़ों को उजागर करने की रणनीति और आक्रामक करनी होगी।
पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए कि भारत अब 1990 के दशक वाला भारत नहीं है। यह नया भारत न केवल आतंकी हमलों का जवाब देता है, बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करने की भी ताकत रखता है।
सीमा पर जवाब बारूद से, मंच पर जवाब तथ्यों से—भारत को इसी दोहरी रणनीति से आगे बढ़ना होगा।