
छठ महापर्व 2025 के मौसम का यह विश्लेषण दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार में सुखद और स्थिर मौसम की जानकारी देता है, जबकि महाराष्ट्र और गोवा जैसे पश्चिमी क्षेत्रों में भारी वर्षा और तूफानी हवाओं की संभावना को रेखांकित करता है।
📍दिल्ली 🗓️24 अक्टूबर 2025✍️ आसिफ़ ख़ान
छठ महापर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, यह मौसम, प्राकृतिक संसाधनों और सामुदायिक अनुभवों के साथ गहराई से जुड़ा पर्व है। 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक का मौसम विंडो हमें दो स्पष्ट प्रवृत्तियाँ दिखाता है। उत्तर और पूर्व भारत में मौसम स्थिर और सुखद रहेगा, जबकि पश्चिम और दक्षिणी तटीय हिस्सों में अस्थिरता और भारी वर्षा की संभावना है।
मौसम केवल तापमान या वर्षा की भविष्यवाणी नहीं है। इसमें सिन्नॉप्टिक सिस्टम, पश्चिमी विक्षोभ, बंगाल की खाड़ी की अवशिष्ट नमी और स्थानीय हवाओं की दिशा शामिल हैं। इनका असर सीधे घाटों पर अनुष्ठानों और व्रतियों के अनुभव पर पड़ता है।
उत्तर भारत: स्थिरता और अनुकूल मौसम
दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और बिहार में मौसम चार दिनों तक अनुकूल रहेगा। नहाय-खाय (25 अक्टूबर) से लेकर ऊषा अर्घ्य (28 अक्टूबर) तक आसमान ज्यादातर साफ़ या आंशिक बादल वाला रहेगा।
दिल्ली-एनसीआर: अधिकतम तापमान 27°C–32°C और न्यूनतम 18°C–22°C रहेगा। सुबह हल्की धुंध/मिस्ट बन सकती है, लेकिन यह अनुष्ठानों में बाधा नहीं डालेगी। व्रतियों को सुबह के समय गर्म कपड़े और थर्मल तैयारी करनी चाहिए।
पूर्वी उत्तर प्रदेश: न्यूनतम तापमान में 2–3°C की गिरावट की संभावना है। संध्या अर्घ्य और ऊषा अर्घ्य के दौरान ठंडे पानी में खड़े होने पर थर्मल शॉक का जोखिम बढ़ सकता है।
बिहार/झारखंड: मौसम मुख्य रूप से स्थिर रहेगा। पटना और गया में अधिकतम तापमान 29°C–31°C और न्यूनतम 17°C–20°C होगा। कुछ स्थानों पर हल्की बौछारें पड़ सकती हैं, पर व्यापक प्रभाव नहीं होगा।
सर्द हवा और शुष्क मौसम के कारण सूर्यास्त और सूर्योदय के समय दृश्यता अच्छी रहेगी। घाट पर भीड़ और धुंध को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा उपाय जरूरी हैं।
महाराष्ट्र और पश्चिमी भारत: सतर्कता जरूरी
महाराष्ट्र के कोंकण, गोवा, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र में भारी वर्षा, गरज और बिजली गिरने की संभावना है। IMD ने येलो अलर्ट जारी किया है।
शहरी घाट: मुंबई और पुणे में जलभराव, बिजली कटौती और तूफानी हवाओं का जोखिम है। आयोजकों को इनडोर विकल्प पहले से तय करने चाहिए।
सिनॉप्टिक कारण: बंगाल की खाड़ी और अरब सागर पर बनी अवशिष्ट नमी, पश्चिमी विक्षोभ और स्थानीय हवाएँ इस वर्षा की मुख्य वजह हैं।
इस क्षेत्र में अनुष्ठान करने वालों को बारिश और तूफानी हवाओं के हिसाब से योजना बनानी होगी। वैकल्पिक घाट और आश्रय पहले से सुनिश्चित करें।
सिन्नॉप्टिक और मौसम विज्ञान अवलोकन
16 अक्टूबर के बाद दक्षिण-पश्चिम मानसून हट गया, जिससे उत्तरी भारत में नमी कम और मौसम स्थिर हुआ। पश्चिमी विक्षोभ 27 अक्टूबर के आसपास हिमालयी क्षेत्र से गुज़रते हुए ठंडी हवाओं का प्रवाह बढ़ाएगा। यह ‘मीठी-मीठी ठंड’ का अहसास और न्यूनतम तापमान में गिरावट लाएगा।
दक्षिणी भारत में बंगाल की खाड़ी पर बने निम्न दबाव और नमी ने महाराष्ट्र और गुजरात में लंबी अवधि की वर्षा दी। यही कारण है कि पश्चिमी भारत में येलो अलर्ट जारी हुआ है।
व्रतियों और आयोजकों के लिए व्यवहारिक सलाह
थर्मल तैयारी: दिल्ली, यूपी और बिहार में न्यूनतम तापमान गिर रहा है। गर्म कपड़े, तौलिये और पर्याप्त थर्मल व्यवस्था रखें।
दृश्यता: दिल्ली-एनसीआर में सुबह हल्की धुंध/मिस्ट की संभावना है। घाट पर आने वालों को दृश्यता कम होने पर सतर्क रहना चाहिए।
पश्चिमी भारत: येलो अलर्ट वाले क्षेत्रों में वैकल्पिक इनडोर या सुरक्षित घाट पहले से तय करें।
सुरक्षा और प्राथमिक चिकित्सा: भीड़ नियंत्रण, प्राथमिक चिकित्सा और बिजली आपूर्ति की सुनिश्चित व्यवस्था हो।
वायु गुणवत्ता जागरूकता: हल्की हवा और धुंध से वायु प्रदूषण प्रभावित हो सकता है। संवेदनशील लोग (बच्चे, बुजुर्ग) सावधान रहें।
सामाजिक और सांस्कृतिक अंतर्संबंध
छठ महापर्व सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं है। यह सामुदायिक एकजुटता और पारंपरिक ज्ञान का पर्व भी है। बुजुर्गों के अनुभव, स्थानीय जल निकासी और घाट की संरचना मौसम से जुड़ी चुनौतियों को समझने में मदद करते हैं।
मौसम पूर्वानुमान का व्यावहारिक दृष्टिकोण
कई लोग मानते हैं कि मौसम पूर्वानुमान हमेशा सही होता है। वास्तविकता यह है कि स्थानीय स्थलाकृति और नगर निर्माण अनुभव को बदलते हैं। येलो अलर्ट मतलब सतर्कता, आपदा नहीं। इसलिए घाट पर तैयारी, थर्मल कपड़े, प्राथमिक चिकित्सा और वैकल्पिक स्थान जरूरी हैं।
छठ महापर्व 2025 में:
उत्तर और पूर्व भारत: मौसम अनुकूल और स्थिर। संध्या अर्घ्य और ऊषा अर्घ्य के समय सूर्य दर्शन सुविधाजनक।
पश्चिम और दक्षिणी तट: सतर्क रहें। बारिश और तूफान का जोखिम। वैकल्पिक इनडोर व्यवस्था आवश्यक।
व्रतियों को स्वास्थ्य, सुरक्षा और थर्मल तैयारी पर ध्यान देना चाहिए। मौसम विज्ञान संभावनाएँ बताता है, निर्णय स्थानीय परिस्थितियों पर आधारित होना चाहिए।




