
Congress strengthens organization in Western Uttar Pradesh; Deepak Kumar, Kunwar Danish Ali and other leaders given zonal responsibilities | Shah Times Exclusive
पश्चिम यूपी में संगठन विस्तार की तैयारी में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस की सियासी जमीन को फिर से संवारने की कोशिश, संगठन में बड़ा फेरबदल
~ Nadeem Siddiqui
कांग्रेस ने पश्चिम यूपी में छह जोन बनाकर नए प्रभारी नियुक्त किए। मिशन 2027 की तैयारी में दलित-मुस्लिम नेताओं को दी बड़ी जिम्मेदारी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक ज़मीन पर दो दशकों से संघर्ष कर रही कांग्रेस पार्टी ने अब 2027 के विधानसभा चुनाव और 2026 में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मद्देनज़र संगठन को फिर से खड़ा करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। इस बार पार्टी ने अपने पुराने सिपाहियों पर भरोसा जताते हुए उन्हें अलग-अलग ज़ोन की कमान सौंपी है।
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कांग्रेस हाईकमान ने रणनीतिक सोच के साथ पश्चिम यूपी को छह ज़ोन में बांटते हुए हर ज़ोन के लिए एक ज़ोनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया है। इन नियुक्तियों में जातीय और सामाजिक संतुलन का खास ख्याल रखा गया है।
🗂️ 6 ज़ोन में नए प्रभारी: क्षेत्रीय नेतृत्व को दी नई जिम्मेदारी
संगठनात्मक बदलाव के तहत पूर्व मंत्री दीपक कुमार को एक प्रमुख ज़ोन का प्रभारी बनाया गया है। दीपक कुमार वेस्ट यूपी के अनुभवी और वरिष्ठ दलित नेता माने जाते हैं। उनकी छवि ज़मीनी कार्यकर्ता से लेकर कैबिनेट मंत्री तक की यात्रा करने वाले नेता के रूप में रही है, जो दलित समाज में व्यापक स्वीकार्यता रखते हैं।
अन्य प्रमुख नियुक्तियों में शामिल हैं:
- कुंवर दानिश अली (पूर्व सांसद, अमरोहा) – मुस्लिम समाज के प्रभावशाली नेता, जिन्हें एक अन्य ज़ोन की जिम्मेदारी दी गई है।
- संजय कपूर (पूर्व विधायक, बिलासपुर – रामपुर) – पंजाबी और शहरी वोट बैंक में पकड़ रखने वाले अनुभवी नेता, जिन्हें संगठन में फिर से बड़ी भूमिका मिली है।
इनके अलावा कई पूर्व विधायक, संगठन से जुड़े पुराने नेता और सक्रिय पदाधिकारियों को भी ज़ोनल टीमों में शामिल किया गया है।
🎯 कांग्रेस की रणनीति: ज़मीन पर सक्रियता और जातीय-सामाजिक संतुलन
कांग्रेस की इस नई रणनीति में कुछ खास बातें हैं:
- सक्रियता पर ज़ोर – कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता को समाप्त कर हर बूथ तक संगठन को दोबारा जीवंत करना।
- सामाजिक समीकरण का ध्यान – दलित, मुस्लिम और पंजाबी नेताओं को प्रमुखता देकर समाज के सभी वर्गों को जोड़ने की कोशिश।
- वरिष्ठ नेताओं की वापसी – पुराने लेकिन प्रभावशाली चेहरों को दोबारा मैदान में उतारना ताकि जनता से भरोसा दोबारा जोड़ा जा सके।
🧭 16 जुलाई को मेरठ में मंथन: तय होगी बूथ स्तर की रणनीति
इन सभी गतिविधियों का उद्देश्य एक ही है – पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को फिर से जनमानस से जोड़ना। इसके लिए 16 जुलाई को मेरठ में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है, जिसमें वेस्ट यूपी के 14 ज़िलों के पदाधिकारी शामिल होंगे।
इस बैठक में:
- बूथ कमेटियों के गठन पर चर्चा होगी,
- पंचायत और नगर निकाय चुनावों की रणनीति बनाई जाएगी,
- और क्षेत्रीय मुद्दों के आधार पर जनसंपर्क अभियान का खाका तैयार किया जाएगा।
🧱 कांग्रेस का खोया जनाधार: वेस्ट यूपी में क्यों ज़रूरी है पुनर्निर्माण
वर्ष 2012 के बाद से कांग्रेस वेस्ट यूपी में लगातार चुनावी हार का सामना करती आ रही है। मुस्लिम, दलित और जाटव वोट बैंक जिसे कभी कांग्रेस की रीढ़ कहा जाता था, वह सपा, बसपा और भाजपा में बंट चुका है।
2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में वेस्ट यूपी के अधिकांश जिलों में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल पाया। ऐसे में पार्टी जानती है कि अगर उसे 2027 में वापसी करनी है, तो अभी से जमीनी तैयारी करनी होगी।
🧩 राजनीतिक विश्लेषण: क्या यह रणनीति कारगर होगी?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की यह नई कोशिश “लेट बट स्ट्रैटजिक” (देर से सही लेकिन रणनीतिक) है।
- पूर्व मंत्री दीपक कुमार जैसे नेताओं को कमान सौंपकर कांग्रेस ने यह संकेत दिया है कि वह अनुभव को महत्व दे रही है।
- जातीय समीकरणों को समझते हुए नियुक्तियां करना बताता है कि पार्टी अब हार की समीक्षा कर चुकी है और वेस्ट यूपी को जातीय गणित के साथ साधने की तैयारी में है।
हालांकि, बड़ी चुनौती यह होगी कि क्या पार्टी इन नेताओं के माध्यम से कार्यकर्ताओं में जोश भर पाएगी और जनता तक अपना पुराना भरोसा लौटा पाएगी?
🗣️ नेताओं की प्रतिक्रिया: संगठन की जड़ें मजबूत करेंगे
पूर्व मंत्री दीपक कुमार ने कहा,
“कांग्रेस पार्टी ने जो विश्वास जताया है, उस पर पूरी तरह खरा उतरने की कोशिश करूंगा। हमारा लक्ष्य है हर गांव, हर बूथ तक कांग्रेस का झंडा लहराना।”
वहीं, दानिश अली ने भी कहा कि
“पश्चिम उत्तर प्रदेश की आवाज़ बनने के लिए कांग्रेस को फिर से खड़ा करेंगे। यह सिर्फ चुनावी नहीं, सामाजिक न्याय की लड़ाई भी है।”
📌 निष्कर्ष:
कांग्रेस की यह नई संगठनात्मक पहल दिखाती है कि पार्टी अब “सीट टू स्ट्रीट” की रणनीति अपनाने जा रही है – यानी उच्च स्तर की रणनीति के साथ ज़मीनी जड़ें मजबूत करना।
वेस्ट यूपी का सामाजिक तानाबाना बेहद विविध है, जहां दलित, मुस्लिम, गुर्जर, जाट, पंजाबी, वैश्य और ठाकुर समाज की भूमिका निर्णायक होती है। कांग्रेस अगर इन सभी वर्गों को एकजुट कर पाई तो यह संगठनात्मक बदलाव 2027 के चुनावों में उसे चौंकाने वाला लाभ दे सकता है।