
Cyber attack causes panic at European and American airports
ग्लोबल एयरपोर्ट साइबर अटैक: भारत ने बढ़ाई चौकसी
यूरोप-अमेरिका एयरपोर्ट साइबर अटैक से उड़ानें ठप
यूरोप और अमेरिका के एयरपोर्टों पर साइबर अटैक से उड़ानें ठप। भारत ने दिल्ली एयरपोर्ट समेत सभी हवाई अड्डों पर सुरक्षा जांच तेज की।
New Delhi, (Shah Times)। लंदन, ब्रुसेल्स और बर्लिन के एयरपोर्टों पर अचानक हुए साइबर अटैक ने ग्लोबल एविएशन इंडस्ट्री को हिला दिया। MUSE नामक सिस्टम पर हुए इस अटैक ने यात्रियों की सुरक्षा, उड़ानों की समयबद्धता और इंटरनेशनल कनेक्टिविटी को गंभीर रूप से प्रभावित किया। भारत सरकार ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली एयरपोर्ट समेत सभी हवाई अड्डों पर सुरक्षा जांच शुरू की।
यूरोप में साइबर अटैक की स्थिति
लंदन हीथ्रो, ब्रुसेल्स और बर्लिन एयरपोर्ट प्रभावित
MUSE सॉफ्टवेयर पर हमला, चेक-इन और बोर्डिंग बाधित
कई उड़ानें रद्द, कुछ में लंबी देरी
यात्रियों को मैनुअल प्रोसेस से गुजरना पड़ा
यूरोपियन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह हमला शुक्रवार देर रात हुआ लेकिन इसका असर शनिवार तक दिखा। ब्रुसेल्स एयरपोर्ट ने बताया कि कम से कम 10 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं और प्रस्थान उड़ानों में औसतन 1 घंटे की देरी हुई।
आज का शाह टाइम्स ई-पेपर डाउनलोड करें और पढ़ें
यात्रियों की परेशानी और गाइडलाइन
साइबर अटैक के कारण एयरपोर्ट ऑटोमैटिक सिस्टम ठप हो गए। एयरलाइंस को यात्रियों से कहा गया कि वे घर से निकलने से पहले अपनी फ्लाइट स्टेटस की जांच कर लें।
लोकल फ्लाइट्स के यात्री 2 घंटे पहले आएं
इंटरनेशनल यात्री 3 घंटे से ज्यादा पहले न पहुंचें
वेब चेक-इन करने की सलाह दी गई
एयर इंडिया ने अपने यात्रियों को कहा कि लंदन से उड़ान भरने वाले सभी पैसेंजर्स वेब चेक-इन करके आएं ताकि परेशानी कम हो।
बर्लिन और ब्रुसेल्स पर असर
बर्लिन एयरपोर्ट प्रशासन ने बताया कि Collins Aerospace सिस्टम में समस्या आ गई है। यूरोप में इस्तेमाल होने वाला यह सिस्टम कई देशों के एयरपोर्ट को सपोर्ट करता है। इसी वजह से चेक-इन और बोर्डिंग पर असर हुआ।
ब्रुसेल्स एयरपोर्ट ने कहा कि 10 से ज्यादा उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ा।
अमेरिका के डलास एयरपोर्ट पर भी संकट
सिर्फ यूरोप ही नहीं, अमेरिका के डलास रीजन में भी साइबर-संबंधी संकट देखने को मिला।
1,800 उड़ानें देरी से चलीं
सैकड़ों उड़ानें रद्द
टेलीकॉम सर्विस में समस्या की वजह से एफएए ने फ्लाइट्स पर रोक लगाई
एफएए का कहना है कि यह समस्या उनके उपकरणों से जुड़ी नहीं बल्कि टेलीकॉम कंपनी के नेटवर्क से संबंधित है।
भारत की स्थिति और सरकार की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने कहा कि दिल्ली एयरपोर्ट पर भी MUSE सिस्टम का इस्तेमाल होता है। हालांकि अब तक भारत पर इस अटैक का कोई असर नहीं हुआ है।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जांच की
एयरपोर्ट अथॉरिटीज को सतर्क रहने के निर्देश
यात्रियों को सुरक्षित सेवा देने का भरोसा
भारत ने साथ ही इंटरनेशनल एजेंसियों से लगातार संपर्क बनाए रखने की बात कही।
साइबर अटैक के पीछे संभावित वजहें
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तरह के हमले के पीछे कई मकसद हो सकते हैं:
रैनसमवेयर के जरिए आर्थिक नुकसान पहुँचाना
एविएशन सेक्टर को अस्थिर करना
इंटरनेशनल सुरक्षा में खौफ पैदा करना
जियोपॉलिटिकल दबाव बनाना
ग्लोबल एक्सपर्ट्स की राय
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का मानना है कि एविएशन इंडस्ट्री सबसे ज्यादा vulnerable सेक्टर है क्योंकि यह पूरी तरह digital systems पर निर्भर है।
डॉ. फैसल क़मर, साइबर सुरक्षा विश्लेषक: “MUSE जैसे critical सिस्टम पर हमला सिर्फ IT failure नहीं बल्कि strategic threat है। यह Aviation Industry की global dependency को expose करता है।”
जेनिफर कॉलिन्स, IT Risk Expert: “Such attacks reflect how interconnected global airports are. A single software breach can paralyze multiple nations.”
भारत को क्यों रहना होगा अलर्ट
भारत में हवाई यातायात तेजी से बढ़ रहा है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे एयरपोर्ट्स रोज़ाना लाखों यात्रियों को संभालते हैं। ऐसे में किसी साइबर अटैक का असर न केवल यात्रियों बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था पर हो सकता है।
आगे की चुनौतियाँ
सॉफ्टवेयर सुरक्षा को मज़बूत करना
बैकअप सिस्टम तैयार करना
साइबर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीमें बनाना
इंटरनेशनल कोऑपरेशन बढ़ाना
नतीजा
यूरोप और अमेरिका में हुए साइबर अटैक ने साबित कर दिया है कि आज की दुनिया में डिजिटल सुरक्षा उतनी ही अहम है जितनी फिजिकल सुरक्षा। भारत अभी इस हमले से बचा हुआ है लेकिन खतरा टला नहीं है। ऐसे हमलों से निपटने के लिए proactive strategy और global coordination जरूरी है।






