दीपेन्द्र हुड्डा हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा पर निकले

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लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद हरियाणा में कांग्रेसी अपने आपको जनता की मांगों को लेकर सड़क पर उतर गए है दीपेन्द्र हुड्डा “हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा” पर निकल चुके हैं।

चंडीगढ़,(Shah Times) ।लगता हैं कि इस शेर के साथ अपनी यात्रा पर निकले हैं कांग्रेस नेता दीपेन्द्र हुड्डा निकल पड़े सफर पर तो फिर गहरे पानीयों से ना डर वह और है जो तेरी नाव खैने वाला है।

लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद हरियाणा में कांग्रेसी अपने आपको जनता की मांगों को लेकर सड़क पर उतर गए है संघर्ष कर पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में मोदी की भाजपा से सत्ता छीनना चाहती है और रास्ता चुना है राहुल गांधी की दो देशव्यापी यात्राओं के जरिये वह जनता को संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस ही हरियाणा के विकास के लिए बेहतर है।

राहुल गांधी की देशव्यापी यात्राओं से हरियाणा सहित देशभर में फायदा मिला है इसी रास्ते चल हरियाणा कांग्रेस भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पुत्र दीपेन्द्र हुड्डा यात्रा पर निकल पड़े है। हरियाणा कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में सकारात्मक नतीजे दिये। उससे प्रेरित होकर हरियाणा के रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र सिंह हुडा आजकल हरियाणा की पदयात्रा कर रहे हैं। उनके इस अभियान का नाम है- हरियाणा माँगे हिसाब।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस बार यहां अपना प्रदर्शन सुधारते हुए पाँच सीटें जीती हैं जिसके बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। मोदी की भाजपा की सरकार वाले हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य में चुनावी गहमागहमी बढ गई है। इस संदर्भ में दीपेन्द्र हुडा की यह पदयात्रा एक अच्छी पहल समझी जा रही है। इससे कांग्रेस को लोकसभा चुनावों के बाद विधानसभा चुनावों में भी राज्य में अपनी स्थिति बेहतर करने में मदद मिलेगी वैसे यहां के हालात मोदी की भाजपा के विपरीत माने जा रहे हैं। जैसे दीपेन्द्र हुड्डा हरियाणा की सड़कों को नापने निकल पड़े है वैसे ही कांग्रेस के सभी नेताओं को लगातार मतदाताओं के बीच जाकर जमीनी हक़ीक़त जानने का प्रयास करते रहना चाहिए।कांग्रेस की आपसी गुटबाज़ी को देखते हुए भी दीपेंद्र हुडा की यह पहल उनके पक्ष में माहौल बनाने में मदद कर सकती है। दीपेन्द्र हुडा के पिता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुडा के अलावा हरियाणा में कुमारी शैलजा और रनदीप सूरजेवाला भी राज्य कांग्रेस के चर्चित चेहरे माने जाते हैं। हाल ही में कांग्रेस छोड़कर मोदी की भाजपा में शामिल हुई किरन चौधरी ने भूपेन्द्र हुडा पर दबदबे वाली राजनीति के आरोप मढ़े थे जिसके कोई मायने नहीं है। शैलजा और सूरजेवाला ने किरन चौधरी से हमदर्दी जताते हुए उनके पक्ष में प्रतिक्रिया दी थी जोकि यह दर्शाता है कि कांग्रेस हरियाणा में गुटबाजी का शिकार है कांग्रेसियों को यह संदेश नहीं देना चाहिए कि हम गुटबाजी के शिकार है।


हरियाणा में मोदी की भाजपा की हालत पतली है। मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद वहाँ मोदी की भाजपा की सरकार पर लगातार संकट के बादल मँडरा रहे है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अभी हरियाणा आकर पिछड़ों के सम्मेलन में मोदी की भाजपा का गुणगान करके और कांग्रेस पर हमले करके गये हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री ने मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा यहां उठा कर हरियाणा के चुनाव को हिंदू मुस्लिम करने का प्रयास किया है मोदी की भाजपा पिछले दस साल से इसी हथकंडे के सहारे सत्ता में बनी हुई है वह मुद्दों पर चुनाव लड़ने से घबराती है ना बेरोजगारी की बात करती हैं और ना ही बढ़ती महंगाई की बात करती है मोदी की भाजपा का कोई भी नेता दस मिनट मुद्दों पर बात नहीं कर सकता हैं जैसे ही वह घिरता हुआ नज़र आता है वैसे ही वह पाकिस्तान की आतंकवाद की हिन्दू मुस्लिम इन सब बेकार की बातें करने लग जाता है लेकिन अब जनता बेरोजगारी बढ़ती महंगाई से परेशान हैं वह उसपर अपने नेताओं से सुनना चाहती है। राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ने का सबसे बड़ा कारण यही है कि लोकसभा हो या सड़क वह बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी कम करने व संविधान की रक्षा करने की बात कर रहे हैं इसलिए जनता उन्हें पसंद कर रही है।संविधान की रक्षा, बेरोजगारी व बढ़ती महंगाई यह तीन मुद्दे मोदी की भाजपा पर भारी पड़ रहे है।यह तीनों मुद्दे ऐसे है कि संविधान का सबसे ज्यादा मखौल इस पार्टी ने उड़ाया और संविधान बदलने की उसकी इच्छा उसके जन्म से से जबसे इस पार्टी का उदय हुआ तबसे ही इसका अंदरूनी मिशन है कि संविधान बदल कर आरक्षण वाली व्यवस्था खत्म की जाए और बेरोजगारी व महंगाई जैसे मुद्दों पर उसने दस सालों से कोई काम ही नहीं किया है और ना करना चाहती है। इंडिया गठबंधन को भाजपा सामाजिक समरसता के आधार पर टक्कर दे पाएगी, जनता अपने आपको अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की तरह सुरक्षित चाहतीं है ,आम जनता की भावनाओं के अनुसार ,हिंदुत्व की आड़ में जातियों में खुशबू आ रही है ,
क्या भाजपा की सरकार जातिगत जनगणना कराएंगी,सरकारी नौकरियों में निजीकरण रोक पाएगी,
सरकारी विभागों में संविदा पर जो भर्ती प्रक्रिया हो रही हैं उसको रोक पाएगी,देश के लगभग भाजपा शासित राज्यों में गुजरात के ठेकेदार प्रवेश कर गए हैं उस प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल रहा है क्या वह रोक पाएगी,जातियों के अनुपात में सबको अधिकार दे पाएगी,बढ़ती नौकरशाही को रोक पाएगी,कार्यकर्ताओं की आर्थिक रूप से मदद कर पाएगी,जिस तरह से सरकारी संपत्तियों का निजीकरण किया जा रहा है क्या उसको रोक पाएगी
इन्हीं सब मुद्दों पर चुनाव होंगे।

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