
Delhi Yamuna river water level rises above danger mark flood alert – Shah Times
दिल्ली में बाढ़ का खतरा, प्रशासन ने जारी की चेतावनी
दिल्ली मेट्रो सेवा बाधित, यमुना जलस्तर बढ़ने से संकट गहराया
दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से एक फुट ऊपर, हथिनी कुंड से छोड़े पानी और बारिश से बाढ़ का खतरा, प्रशासन अलर्ट पर।
New Delhi,(Shah Times)। दिल्ली इस वक़्त एक संगीन हालत से गुज़र रही है। मंगलवार सुबह यमुना नदी का जलस्तर 205.68 मीटर दर्ज किया गया, जो कि ख़तरे के निशान (205.33 मीटर) से एक फुट ऊपर है। ये हालात राजधानी के लिए बाढ़ के सीधे ख़तरे की तरफ़ इशारा करते हैं।
हथिनी कुंड बैराज और पहाड़ी बारिश का असर
मौसम विभाग और केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक़, दिल्ली में बढ़ते पानी की सबसे बड़ी वजह है:
हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा गया भारी जलप्रवाह
उत्तर भारत के पहाड़ी इलाक़ों में लगातार मूसलधार बारिश
सोमवार रात से मंगलवार सुबह तक यमुना नगर स्थित हथिनी कुंड बैराज से हज़ारों क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिसने राजधानी की स्थिति को और गंभीर बना दिया।
प्रशासन की तैयारी और चेतावनी
दिल्ली प्रशासन ने राहत एवं बचाव दल को स्टैंड-बाय मोड पर रखा है।
नदी किनारे रहने वालों को खाली करने की चेतावनी दी गई है।
पब्लिक एडवाइजरी जारी कर कहा गया है कि लोग यमुना किनारे न जाएँ।
इमरजेंसी कंट्रोल रूम सक्रिय किया गया है।
ऐतिहासिक संदर्भ
याद रहे कि 13 जुलाई 2023 को यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुँच गया था, जो अब तक का सबसे ऊँचा रिकॉर्ड है। उस दौरान दिल्ली के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे।
यह सवाल अहम है कि हर साल मानसून में दिल्ली बाढ़ जैसे ख़तरे का सामना क्यों करती है?
ड्रेनेज सिस्टम की कमजोरी
यमुना किनारे का अतिक्रमण
और शहरीकरण का दबाव
नेचुरल फ्लडिंग को और ख़तरनाक बना रहे हैं।
क्लाइमेट चेंज और अनियमित मानसून पैटर्न भी इस संकट को और तेज़ कर रहे हैं।
दिल्ली का जलस्तर फिलहाल ख़तरे के ऊपर है और हालात लगातार बदल रहे हैं। प्रशासन की तात्कालिक कोशिशें सराहनीय हैं, मगर लंबे समय के समाधान की ज़रूरत है:
यमुना किनारे अतिक्रमण रोकना
मॉडर्न ड्रेनेज सिस्टम
क्लाइमेट रेज़िलिएंट शहरी नीति
आख़िरकार, बाढ़ सिर्फ़ पानी का बहाव नहीं बल्कि हमारी तैयारी की असली परीक्षा है।
दिल्ली इस वक़्त एक नाज़ुक हालात से गुज़र रही है। लगातार हो रही बारिश, पहाड़ी इलाक़ों से आने वाला तेज़ पानी और हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा गया भारी जलप्रवाह — इन सब ने मिलकर यमुना नदी का मिज़ाज बदल दिया है। सोमवार सुबह यमुना का जलस्तर 205.02 मीटर दर्ज किया गया, जो कि ख़तरे के निशान 205.33 मीटर से सिर्फ़ कुछ सेंटीमीटर कम है।
यमुना की बढ़ती लहरें और बैराज से छोड़ा गया पानी
अधिकारियों के मुताबिक़, यमुना में पानी बढ़ने की सबसे बड़ी वजह हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा गया पानी है। पहाड़ी इलाक़ों में लगातार हो रही मूसलधार बारिश की वजह से बैराज से हर घंटे हज़ारों क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
सुबह 7 बजे के आँकड़े बताते हैं कि हथिनी कुंड से 272645 क्यूसेक पानी,
वज़ीराबाद से 40040 क्यूसेक पानी,
और ओखला से 52081 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
ये आँकड़े सिर्फ़ नंबर नहीं, बल्कि दिल्लीवासियों के लिए बढ़ते ख़तरे की निशानी हैं।
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प्रशासन की तैयारी और पब्लिक एडवाइजरी
दिल्ली प्रशासन ने तुरंत अलर्ट मोड अपनाया है। बचाव दल (Rescue Teams), बाढ़ नियंत्रण विभाग और अन्य संबंधित एजेंसियाँ स्टैंड-बाय मोड पर हैं।
यमुना किनारे रहने वालों से अपील की गई है कि वे नदी के नज़दीक न जाएँ।
आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने कंट्रोल रूम और फ़ील्ड टीमों को एक्टिव रखा है।
पिछले साल 2023 में जब यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुँचा था, तब राजधानी के कई हिस्सों में गंभीर बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी। इस बार हालात दोहराने का डर सबको परेशान कर रहा है।
मेट्रो सेवाओं पर असर: दिल्ली की धड़कन पर रुकावट
दिल्ली की मेट्रो सेवाएँ, जिसे राजधानी की लाइफ़लाइन कहा जाता है, बारिश और टेक्निकल दिक़्क़तों से प्रभावित हुईं।
ब्लू लाइन पर बाराखंबा से इंद्रप्रस्थ के बीच सेवाएँ देर से चलीं।
DMRC ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी कि यात्रियों को देरी का सामना करना पड़ा।
हालाँकि कुछ घंटों में सेवाएँ सामान्य हो गईं।
इसके अलावा येलो लाइन पर भी मिलेनियम सिटी सेंटर स्टेशन पर सिग्नलिंग प्रॉब्लम आई थी। दिन के समय समस्या हल होने पर यातायात सामान्य हो गया।
बदलते मौसम का पैटर्न
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर और उत्तरी भारत में रेन पैटर्न (Rain Pattern) लगातार बदल रहा है।
मानसून अब ज़्यादा इंटेंस और शॉर्ट ड्यूरेशन में पानी बरसाता है।
इसका सीधा असर नदियों, जलाशयों और शहरी इलाक़ों पर पड़ता है।
यमुना में बाढ़ की स्थिति केवल प्राकृतिक बारिश का नतीजा नहीं, बल्कि हमारे शहरी प्लानिंग और नदियों से दूरी बनाने की नीति का भी परिणाम है।
क्या हर बार बाढ़ को “प्राकृतिक आपदा” कहना सही है?
यहाँ एक अहम सवाल उठता है — क्या हर बार बाढ़ को सिर्फ़ नेचुरल डिज़ास्टर कहना सही है?
दिल्ली में अवैध कंस्ट्रक्शन,
नदी किनारे की बस्तियों का विस्तार,
और ड्रेनेज सिस्टम की कमज़ोरी
इन सब ने हालात और बिगाड़ दिए हैं।
अगर समय रहते अर्बन प्लानिंग और रिवर मैनेजमेंट पर ध्यान दिया जाता, तो हर साल यमुना किनारे बाढ़ जैसी स्थिति से बचा जा सकता था।
अंतर्राष्ट्रीय नज़रिया: ग्लोबल वार्मिंग और लोकल संकट
क्लाइमेट एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग का असर लोकल स्तर पर सबसे ज़्यादा दिखाई देता है।
आर्कटिक में ग्लेशियर पिघलने से लेकर,
एशिया में मानसून के अनियमित पैटर्न,
और यूरोप में हीटवेव — सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
दिल्ली में यमुना का बढ़ता जलस्तर भी इसी बड़े क्लाइमेट चेन का हिस्सा है।
निष्कर्ष: समाधान की तलाश
दिल्ली इस वक़्त बाढ़ के ख़तरे से जूझ रही है। प्रशासन की कोशिशें काबिले-ग़ौर हैं, लेकिन लंबे समय के लिए ज़रूरी है:
यमुना नदी के किनारे एन्क्रोचमेंट रोकना।
ड्रेनेज सिस्टम का मॉडर्नाइजेशन।
अर्ली वार्निंग सिस्टम को और मज़बूत करना।
पब्लिक अवेयरनेस बढ़ाना, ताकि लोग प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।आख़िरकार, बाढ़ सिर्फ़ पानी का बढ़ना नहीं, बल्कि हमारी तैयारी की परीक्षा भी है। अगर दिल्ली को सुरक्षित रखना है, तो हमें आज ही से इको-फ्रेंडली अर्बन डेवलपमेंट और क्लाइमेट-रेज़िलिएंट पॉलिसी पर काम करना होगा।