नई दिल्ली (शाह टाइम्स): 9 अक्टूबर 2009 को शिकागो के ओ’हारे इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक शख्स परेशान था। वह सोच रहा था कि वह कितनी जल्दी पाकिस्तान के लिए उड़ान भर सकेगा। उसके चेहरे पर डर साफ झलक रहा था। जैसे ही वह विमान में चढ़ने के लिए आगे बढ़ा, अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई ने उसे पकड़ लिया। गिरफ्तार किए गए शख्स का नाम डेविड कोलमैन हेडली था। तहव्वुर हुसैन राणा इसी हेडली का दोस्त था। मुंबई आतंकी हमले के अहम आरोपी राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर अपनी मंजूरी दे दी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका भरोसा दिलाया।
हेडली ने अपनाई पुरानी चाल
हेडली ने चालाकी भरा तरीका अपनाया था। जब भी वह मुश्किल में फंसता तो सरकारी गवाह बनकर अपनी सजा कम करवा लेता। एफबीआई के सामने भी हेडली ने अपनी पुरानी चाल अपनाई। उसने मुंबई समेत कई आतंकी हमलों में अपनी संलिप्तता कबूल की। उसने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और अलकायदा के बारे में अंदरूनी जानकारी का खुलासा किया। लेकिन, एफबीआई इससे संतुष्ट नहीं हुई।
कौन है तहव्वुर राणा?
एफबीआई की सख्ती के आगे हेडली टूट गया और उसने तहव्वुर राणा का नाम बता दिया। राणा मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता भी है। आरोप हैं कि राणा को हमले की साजिश के बारे में पहले से पता था। सारी प्लानिंग उसके गुर्गों के सामने की गई थी और उसने टारगेट की रेकी भी की थी। वह पाकिस्तान की सेना में डॉक्टर के तौर पर भी काम कर चुका है। वह मुंबई हमले में सह-आरोपी पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली का दोस्त भी है।
कहां होने वाला था बम धमाका?
हेडली ने 2011 में एफबीआई की पूछताछ में बताया था कि मुंबई हमले से पहले मैंने पुणे की जर्मन बेकरी की रेकी की थी और बम धमाकों से उड़ाने के लिए दिल्ली, पुष्कर, पुणे के चबाड़ हाउस की पहचान की थी। ये बातें लेखक एस हुसैन जैदी की किताब हेडली एंड आई से ली गई हैं, जिन्होंने ‘डोंगरी टू दुबई’ और ‘ब्लैक फ्राइडे’ जैसी किताबें भी लिखी हैं, जिन पर इसी नाम की मशहूर फिल्में भी बनी हैं।
लड़की से उसकी मुलाकात कहां हुई?
हेडली 20 मार्च से 7 जून 2007 तक मुंबई में रहा। जहां वो हमले के लिए सही जगह की तलाश कर रहा था। हेडली के बयान के मुताबिक, ‘मुझे कोलाबा में एक मशहूर बेकरी मिली, जहां मैं नियमित रूप से जाने लगा। काउंटर पर करीब 20 साल की एक खूबसूरत लड़की थी, जिससे मैं अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था।
मुंबई की रेकी किसके निर्देश पर की गई?
हेडली ने कहा- ‘मैं लश्कर के निर्देश पर पुणे गया था, जहां मैंने सबसे पहले ओशो के आश्रम की रेकी की, लेकिन मुझे ओशो के आश्रम के पास वाली जर्मन बेकरी धमाके के लिए सबसे मुफीद लगी। जो इजरायली यहूदियों के चबाड हाउस के पास थी। शाम को इस बेकरी में कई विदेशी लोग इकट्ठा होते थे और ताजा बेक्ड ब्रेड और दूसरी चीजें लेते थे। जुलाई 2008 में जब मैं पुणे की अपनी यात्रा से लौट रहा था, तो मेरे लक्ष्य स्पष्ट थे। मैंने तय किया था कि दक्षिण मुंबई के इलाके और पुणे में जर्मन बेकरी हमलों के लिए सबसे उपयुक्त जगह होगी।’
तहव्वुर ने किया संदेश
हेडली ने तय किया था कि वह उससे दोस्ती करेगा और उसे डिनर पर ले जाएगा। उसे प्रभावित करने के लिए मैंने 2000 रुपये की पेस्ट्री खरीदी। और यहीं से मेरी उससे दोस्ती शुरू हुई। मैं उससे कई बार मिला, लेकिन वह बहुत समझदार थी, इसलिए मैं कभी उससे बिस्तर पर चलने के लिए कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। महिलाएं मेरी कमजोरी थीं, लेकिन यह उसके लिए कारगर नहीं रहा।’ इस दौरान हेडली को मुंबई हमले के एक अन्य सह-आरोपी तहव्वुर राणा से संदेश मिले, जो उसे उसके पाकिस्तानी आकाओं ने दिए थे। हेडली को पुणे जाने के लिए कहा गया।
अमेरिका में हुआ गिरफ्तार
जून 2011 में शिकागो की एक अदालत ने राणा को तीसरे आरोप से बरी कर दिया था, लेकिन पहले और दूसरे आरोप में उसे दोषी ठहराया गया था। 2013 में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई थी। 2020 में वह कोविड पॉजिटिव हो गया, जिसके बाद उसे जेल से रिहा कर दिया गया। भारत इससे खुश नहीं था। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने कहा कि उसके पास राणा के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और उसे भारत भेजा जाना चाहिए, जहां उसे उसकी मर्जी के मुताबिक सजा मिलेगी। उसकी रिहाई के तुरंत बाद भारत सरकार ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए याचिका दायर की। भारत की याचिका के बाद राणा को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। उसके प्रत्यर्पण पर कोर्ट का फैसला आया। कोर्ट ने कहा कि राणा पर हत्या, आतंकी साजिश रचने और भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप है। यह दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि में फिट बैठता है, इसलिए उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। आखिरकार अब ट्रंप ने इसकी घोषणा कर दी है।