
दिल्ली सेवा विधेयक दिल्ली पर पिछले दरवाजे से नियंत्रण करने की कोशिश: कांग्रेस
दिल्ली। कांग्रेस (Congress) ने दिल्ली सेवा विधेयक (Delhi Services Bill) को दिल्ली पर पिछले दरवाजे से नियंत्रण करने की कोशिश करार देते हुए आज कहा कि यह असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक तथा संघवाद के खिलाफ है वहीं भाजपा ने विधेयक का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि दिल्ली पूर्ण राज्य के बजाय विशेष श्रेणी का संघ शासित राज्य है इसलिए संसद को इसके संंबंध में हर तरह का कानून बनाने का अधिकार है।
सदन में सोमवार को भोजनावकाश के बाद गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने दिल्ली (Delhi) राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2023 पेश किया। विधेयक के विरोध में एक वैधानिक प्रस्ताव पेश किया जिसमें कहा गया है कि ‘यह सभा 19 मई 2023 को राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) अध्यादेश 2023 का निरनुमोदन करती है।’
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इसके अलावा शिवा, ब्रिटास और चड्ढा ने विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिए प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव किया। सभापति ने कहा कि इन सब विषयों पर सदन में एक साथ चर्चा होगी। कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि यह विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक यह लोकतंत्र विरोधी है तथा सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है तथा यह उच्चतम न्यायालय में नहीं टिक पाएगा। यह बिल जनता का बहुत बड़ा अपमान यह विधायक दिल्ली सरकार को खोखला बना देगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से केन्द्र सरकार काेई भी तरीका अपनाकर दिल्ली पर पिछले दरवाजे से नियंत्रण करना चाहती है।
यह संघवाद के सभी सिद्धांतों, जवाबदेही के सभी मानदंडों, विधानसभा आधारित लोकतंत्र के मॉडल (Model of Democracy), इसकी मूल संरचना का उल्लंघन करता है।” “पहले किसी ने ऐसा क्यों नहीं किया? क्योंकि यह इस नियंत्रण सनकी सरकार का फितरत है, जिसका विज़िटिंग कार्ड प्रतिशोध की पहचान है, एक शालीन और क्रोधित हारे हुए व्यक्ति का है, जिसका दृष्टिकोण हुक या बदमाश द्वारा और आमतौर पर हर चीज को नियंत्रित करना, नियंत्रित करना और नियंत्रित करना है हुक से ज्यादा बदमाशी से।” उन्होंने कहा कि दुनिया में इस तरह का उदाहरण कहीं देखने को नहीं मिलता कि निर्वाचित सरकार को कानून बनाने तथा नौकरशाहों से काम कराने का अधिकार हासिल न हो।