
Donald Trump statement on Israel Doha attack, Qatar reassurance – Shah Times
कतर पर हमले से अमेरिका-इजरायल संबंधों में दरार?
इजरायल का कदम और डोनाल्ड ट्रंप की असहमति: शांति वार्ता पर खतरा
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि दोहा हमला उनका फैसला नहीं था। कतर को भरोसा दिलाया कि ऐसी घटना दोबारा नहीं होगी। इससे मध्य-पूर्व कूटनीति पर असर।
Washington, (Shah Times)। मिडिल ईस्ट की सियासत एक बार फिर उथल-पुथल से गुजर रही है। इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा में हमास के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाते हुए हवाई हमला किया, जिससे न सिर्फ़ खाड़ी क्षेत्र बल्कि वैश्विक स्तर पर भी कूटनीतिक तनाव गहराया। इस घटना पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने साफ़ कहा कि यह हमला उनका निर्णय नहीं था, बल्कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का एकतरफा फैसला था।
ट्रंप ने Truth Social पर पोस्ट लिखकर स्पष्ट किया कि कतर अमेरिका का करीबी मित्र है और इस तरह के हमले से शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुँचता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमास का सफाया ज़रूरी है, लेकिन कतर जैसे संप्रभु देश पर हमला सही रणनीति नहीं हो सकता। इस बयान ने वैश्विक स्तर पर एक नई बहस को जन्म दिया है।
Analysis
ट्रंप बनाम नेतन्याहू: नीति का टकराव
इजरायल और अमेरिका दशकों से करीबी सहयोगी रहे हैं। लेकिन इस हमले ने दिखाया कि दोनों देशों के बीच नीति को लेकर मतभेद भी गहराते जा रहे हैं। नेतन्याहू ने बिना किसी अंतरराष्ट्रीय सहमति के दोहा में हमले का फैसला किया।
ट्रंप ने साफ़ शब्दों में कहा:
“यह फैसला इजरायल ने लिया, मैंने नहीं। कतर एक संप्रभु देश है और उसका सम्मान होना चाहिए।”
यह बयान इजरायल की रणनीति और अमेरिका की कूटनीति के बीच बढ़ती दूरी को दिखाता है।
कतर की भूमिका: शांति वार्ता से निशाने पर
कतर लंबे समय से हमास के निर्वासित नेताओं को शरण देता रहा है। यही वजह है कि इजरायल उसे सीधे तौर पर आतंकवाद के “political shelter provider” के रूप में देखता है। लेकिन दूसरी ओर, कतर ने लगातार खुद को एक mediator के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसने गाज़ा संकट और अमेरिकी वार्ताओं में मध्यस्थ की भूमिका निभाई।
दोहा पर हमला इस संतुलन को तोड़ता हुआ दिख रहा है। कतर ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कहा और अमेरिका से स्पष्टीकरण मांगा। ट्रंप का तुरंत बयान देना इसी दबाव का परिणाम माना जा रहा है।
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हमास फैक्टर और Terrorism Narrative
हमास एक ऐसा संगठन है जिसे इजरायल और अमेरिका आतंकवादी मानते हैं, जबकि कई अरब देशों में उसके राजनीतिक नेटवर्क को स्वीकार किया जाता है। ग़ज़ा पर उसका नियंत्रण और कतर में उसका राजनीतिक ढांचा, दोनों इजरायल के लिए चुनौती हैं।
इस हमले का उद्देश्य हमास के नेतृत्व को खत्म करना था। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह तरीका सही था? क्या किसी तीसरे देश की संप्रभुता का उल्लंघन करके आतंकवाद से लड़ा जा सकता है?
ट्रंप का बयान बताता है कि वे हमास के खात्मे को सही मानते हैं, लेकिन तरीका कूटनीतिक और संतुलित होना चाहिए।
अमेरिकी Foreign Policy Dynamics
ट्रंप ने अपने बयान में कतर को आश्वासन दिया और कहा कि उन्होंने विदेश मंत्री मार्को रुबियो को निर्देश दिया है कि कतर के साथ डिफेंस कोऑपरेशन एग्रीमेंट को अंतिम रूप दें। यह संकेत देता है कि अमेरिका कतर को रणनीतिक दृष्टि से और मज़बूत करने की योजना बना रहा है।
अमेरिका के लिए इजरायल एक ऐतिहासिक सहयोगी है, लेकिन खाड़ी क्षेत्र में कतर का महत्व बढ़ता जा रहा है। अल-उदीद एयरबेस (Qatar) में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति पहले ही उसे रणनीतिक ally बना चुकी है।
Counterpoints
इजरायल का दृष्टिकोण
इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने बयान जारी कर कहा कि यह हमला हमास के नेताओं को खत्म करने के लिए ज़रूरी था। उनका दावा है कि हमला प्रिसीजन हथियारों से किया गया और नागरिकों को नुकसान से बचाने की पूरी कोशिश हुई।
नेतन्याहू ने कहा:
“हम शांति चाहते हैं, लेकिन आतंकवादियों को खत्म करना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।”
कतर और OIC की प्रतिक्रिया
कतर ने इसे कायरतापूर्ण हमला बताया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह हमला कतर की संप्रभुता पर सीधा प्रहार है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) और अरब लीग जैसे संगठन इस घटना की निंदा कर सकते हैं। इससे इजरायल की क्षेत्रीय अलगाव की स्थिति और गहरी हो सकती है।
अमेरिका की दुविधा
अमेरिका एक मुश्किल स्थिति में है। एक तरफ इजरायल है, जिसका दशकों का गठबंधन है। दूसरी ओर कतर है, जो ऊर्जा, सुरक्षा और कूटनीति में अमेरिका का अहम पार्टनर है।
ट्रंप का बयान इस दुविधा को दिखाता है—हमास का विरोध और कतर का समर्थन। यही balancing act आने वाले समय में अमेरिकी foreign policy को परिभाषित करेगा।
Conclusion
दोहा हमला केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि कूटनीतिक तनाव की शुरुआत है। ट्रंप का बयान बताता है कि वे एक तरफ हमास का खात्मा चाहते हैं, तो दूसरी ओर कतर की संप्रभुता का सम्मान भी करते हैं।
यह घटना आने वाले महीनों में तीन स्तरों पर असर डाल सकती है:
अमेरिका–इजरायल संबंधों पर: नीति मतभेद बढ़ सकते हैं।
अमेरिका–कतर सहयोग पर: रक्षा समझौते से संबंध और गहरे हो सकते हैं।
मध्य-पूर्व शांति प्रक्रिया पर: यह हमला शांति की राह को और कठिन बना सकता है, लेकिन ट्रंप के अनुसार यह “opportunity for peace” भी बन सकता है।