
US airstrikes destroyed Iran's nuclear facilities, says Donald Trump @ Shah Times
ईरान-अमेरिका परमाणु विवाद पर ट्रंप का दावा और पेंटागन की रिपोर्ट पर टकराव
पेंटागन की खुफिया रिपोर्ट से उठे सवाल,आईएईए और ईरान के संबंधों में दरार
Donald Trump ने दावा किया कि अमेरिका के हमलों में ईरान के परमाणु ठिकाने पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। उन्होंने पेंटागन की खुफिया रिपोर्ट को झूठा बताया। इस विश्लेषण में जानिए युद्धविराम, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं और भारत-पाक संदर्भ।
ईरान-अमेरिका तनाव में नई हलचल तब देखी गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा कर दिया कि ईरान के परमाणु ठिकाने पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं। ट्रंप ने पेंटागन की खुफिया रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिका का हमला इतना विनाशकारी था कि ईरान अब दोबारा अपने परमाणु कार्यक्रम को नहीं शुरू कर सकता।
इजरायल-ईरान युद्ध के फिर छिड़ने की आशंका
हेग में पत्रकारों से बातचीत करते हुए ट्रंप ने संकेत दिया कि यदि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू करता है, तो अमेरिका और इजरायल दोबारा हमला कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे इजरायल और ईरान के बीच युद्ध की नई शुरुआत हो सकती है।
परमाणु ठिकानों पर अमेरिका का दावा
ट्रंप का कहना है कि बंकर बस्टर बमों से हुए हमले ने ईरान के सभी प्रमुख परमाणु ठिकानों—फ़ोर्दो, नतांज़ और इस्फ़हान—को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। ट्रंप के अनुसार, हमले के दौरान जीबीयू-57 जैसे शक्तिशाली बमों का इस्तेमाल किया गया, जो 61 मीटर तक ज़मीन में घुसकर विस्फोट कर सकते हैं।
पेंटागन की खुफिया रिपोर्ट और विरोधाभास
हालांकि पेंटागन की खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट ट्रंप के दावे से मेल नहीं खाती। रिपोर्ट के अनुसार, ज़्यादातर परमाणु कार्यक्रम भूमिगत होने के कारण सुरक्षित रहे हैं और हमले से केवल ऊपरी ढांचों को नुकसान पहुंचा। रिपोर्ट का यह भी कहना है कि ईरान ने पहले ही संवर्धित यूरेनियम का हिस्सा अन्यत्र स्थानांतरित कर लिया था।
ट्रंप का जवाब: फ़ेक न्यूज़ और देशद्रोह के आरोप
ट्रंप ने CNN और New York Times पर हमला करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट झूठी है और अमेरिका के सबसे सफल सैन्य हमलों में से एक को बदनाम करने की साजिश है। ट्रंप ने अपने Truth Social अकाउंट पर मिडिल ईस्ट स्पेशल एनवॉय स्टीव विटकॉफ़ का इंटरव्यू भी शेयर किया, जिसमें उन्होंने रिपोर्ट को ‘देशद्रोही’ बताया और जांच की मांग की।
अमेरिका-ईरान संबंधों में नरमी के संकेत
हालांकि ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अमेरिका अब ईरान के साथ बेहतर संबंधों की उम्मीद करता है। उन्होंने ईरान के तेल कारोबार पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने का एलान किया और कहा कि जल्द ही परमाणु मसले पर दोबारा वार्ता शुरू होगी।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की प्रतिक्रिया
IAEA प्रमुख रफाएल ग्रोसी ने कहा कि वे ईरान में परमाणु ठिकानों पर अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को भेजना चाहते हैं। लेकिन ईरान की संसद ने IAEA से सहयोग संधि को निलंबित करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। इससे पहले ईरान ने IAEA पर भ्रामक प्रचार का आरोप लगाया था।
युद्धविराम और क्षेत्रीय शांति
12 दिनों से जारी इजरायल-ईरान टकराव के बाद हुए युद्धविराम से दोनों देशों के नागरिकों को राहत मिली है। हालांकि ईरान में अब भी अमेरिका और इजरायल विरोधी नारेबाजी हो रही है, जबकि इजरायल में लोग शांति बहाली की इच्छा जता रहे हैं।
भारत-पाक संघर्ष और ट्रंप का दावा
ट्रंप ने हेग में दिए बयान में यह भी कहा कि उन्होंने भारत-पाक परमाणु संघर्ष को व्यापार समझौते और टेलीफोन वार्ता के जरिए रोका था। हालांकि भारत ने ट्रंप के किसी भी हस्तक्षेप से साफ इनकार कर दिया है।
नतीजा
ट्रंप के बयानों और पेंटागन की रिपोर्ट के बीच विरोधाभास अमेरिका की रणनीतिक विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। यदि ईरान सच में अपने कार्यक्रम को फिर से शुरू करने में सक्षम होता है, तो इससे पश्चिम एशिया में अस्थिरता बढ़ सकती है। हालांकि युद्धविराम से क्षेत्रीय तनाव में फिलहाल कमी आई है, लेकिन परमाणु कार्यक्रम को लेकर संघर्ष और कूटनीति के बीच रस्साकशी जारी है।
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