
Stock market crash illustration showing Indian IT companies’ share fall due to Donald Trump visa policy
Infosys-TCS के शेयर गिरे, Nifty IT Index 3% टूटा
वीज़ा फीस बढ़ोतरी से आईटी इंडस्ट्री पर मंडराया संकट
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीज़ा फीस अचानक 100,000 डॉलर करने की घोषणा ने भारतीय आईटी कंपनियों को बड़ा झटका दिया। सोमवार को बाजार खुलते ही Infosys, TCS, Wipro, HCL Tech और Tech Mahindra जैसी दिग्गज कंपनियों के शेयर 6% तक गिर गए। Nifty IT Index 3% से ज्यादा लुढ़क गया और Sensex-Nifty दोनों लाल निशान में बंद हुए।
भारतीय आईटी सेक्टर को लेकर सोमवार का दिन बेहद भारी रहा। बाजार खुलते ही निवेशकों के सामने एक ऐसा झटका आया, जिसकी आशंका पिछले हफ़्ते से जताई जा रही थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार रात एक घोषणा की कि H-1B वीज़ा फीस अब बढ़ाकर 100,000 डॉलर कर दी जाएगी। यह फैसला तुरंत लागू हो गया और इसका असर सोमवार को भारतीय शेयर बाज़ार खुलते ही दिख गया।
आईटी शेयरों पर सबसे बड़ा असर
भारतीय आईटी कंपनियों का कारोबार अमेरिकी मार्केट पर निर्भर है। Infosys, TCS, Wipro, HCL Tech, Tech Mahindra और Coforge जैसी कंपनियां हर साल हज़ारों भारतीय इंजीनियर्स को अमेरिका भेजती हैं ताकि वे ऑनसाइट काम कर सकें। इसके लिए H-1B वीज़ा जरूरी होता है।
पहले तक इस वीज़ा की लागत औसतन 6 लाख रुपये थी। अब अचानक यह लागत 88 लाख रुपये तक पहुँच गई है। इसका सीधा असर इन कंपनियों की लागत संरचना और प्रॉफिट मार्जिन पर पड़ना तय है। यही वजह है कि सोमवार सुबह जैसे ही बाजार खुला, निवेशकों ने बड़े पैमाने पर बिकवाली शुरू कर दी।
Tech Mahindra का शेयर 5% से ज्यादा गिरकर ₹1453 पर पहुँच गया।
Infosys ₹1482 पर फिसल गया।
TCS ₹3065 तक टूट गया।
HCL Tech ₹1415 तक गिर गया।
Coforge ₹1702 पर बंद हुआ।
Mphasis भी ₹2817 पर आ गया।
Nifty IT Index 3% से ज्यादा लुढ़क गया और 35,482 के स्तर तक पहुँच गया।
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वाइट हाउस का स्पष्टीकरण
व्हाइट हाउस ने यह साफ किया कि यह नई फीस केवल नए H-1B आवेदन पर लागू होगी। मौजूदा वीज़ा धारकों और वीज़ा रिन्यूअल पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। यानी कंपनियों का नुकसान तुरंत इतना बड़ा नहीं होगा जितना पहले समझा जा रहा था। लेकिन समस्या यह है कि आने वाले महीनों में अगर नए प्रोजेक्ट्स के लिए इंजीनियर्स को अमेरिका भेजना होगा, तो लागत कई गुना बढ़ जाएगी।
अमेरिकी राजनीति और भारतीय आईटी
यह कदम केवल आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक भी है। ट्रंप प्रशासन लंबे समय से यह कहता आया है कि अमेरिकी नौकरियां अमेरिकियों के लिए होनी चाहिए। H-1B वीज़ा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारतीय आईटी कंपनियां करती हैं। इसलिए यह फैसला सीधे-सीधे भारतीय कंपनियों पर दबाव डालने वाला है।
आईटी इंडस्ट्री एनालिस्ट का कहना है कि यह कदम प्रोटेक्शनिज़्म (protectionism) की तरफ इशारा करता है, जहां अमेरिकी प्रशासन अपनी घरेलू कंपनियों और वर्कफोर्स को प्राथमिकता देना चाहता है।
भारतीय शेयर बाज़ार की प्रतिक्रिया
सोमवार को शेयर बाजार ने शुरुआत तेज गिरावट से की। BSE Sensex 466 अंक गिरकर 82,159 पर बंद हुआ। NSE Nifty भी 124 अंक टूटकर 25,202 के स्तर पर आ गया।
दिनभर Sensex ने 82,583 का हाई और 82,159 का लो बनाया।
Nifty ने 25,331 का हाई और 25,151 का लो छुआ।
कारोबार के आखिरी घंटे में बिकवाली और तेज हो गई।
यह साफ दिखा कि आईटी शेयरों में गिरावट ने पूरे बाजार को कमजोर कर दिया।
कंपनियों की रणनीति पर असर
भारतीय आईटी कंपनियों का पूरा बिजनेस मॉडल onsite-offshore delivery model पर आधारित है। क्लाइंट्स अमेरिका में होते हैं और उनकी जरूरतें पूरी करने के लिए भारतीय इंजीनियर्स को अमेरिका भेजा जाता है। अगर वीज़ा की लागत इतनी बढ़ जाएगी तो कंपनियों के लिए क्लाइंट्स को कम दाम पर सेवाएं देना मुश्किल हो जाएगा।
यहां से दो संभावनाएं बनती हैं:
कंपनियां यह लागत खुद उठाएँ और अपने मुनाफे पर दबाव लें।
कंपनियां यह लागत क्लाइंट्स पर डालने की कोशिश करें।
दूसरा विकल्प आसान नहीं होगा, क्योंकि क्लाइंट्स पहले से ही कॉस्ट कटिंग की मांग करते रहते हैं।
निवेशकों की चिंता
निवेशकों का मानना है कि अगर यह पॉलिसी लंबे समय तक लागू रही, तो भारतीय आईटी कंपनियों की प्रॉफिटेबिलिटी पर सीधा असर पड़ेगा। यही वजह है कि सोमवार को निवेशकों ने इन शेयरों से पैसा निकाल लिया।
कई ब्रोकरेज हाउस ने भी चेतावनी दी है कि आने वाले हफ़्तों में आईटी सेक्टर में वोलैटिलिटी (volatility) बनी रहेगी।
ग्लोबल इम्पैक्ट
यह फैसला सिर्फ भारतीय कंपनियों को ही नहीं बल्कि उन देशों को भी प्रभावित करेगा जो अमेरिकी वीज़ा पर निर्भर हैं। हालांकि, सबसे ज्यादा असर भारत पर इसलिए पड़ेगा क्योंकि H-1B वीज़ा का सबसे ज्यादा उपयोग भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स ही करते हैं।
भविष्य की राह
विशेषज्ञ मानते हैं कि कंपनियों को अब remote working, near-shore centers और automation पर ज्यादा ध्यान देना होगा ताकि अमेरिका में भौतिक उपस्थिति की जरूरत कम हो।
इसके अलावा, भारत सरकार को भी कूटनीतिक स्तर पर इस मुद्दे को उठाना होगा ताकि भारतीय कंपनियों को राहत मिल सके।
निष्कर्ष
Bottom line यह है कि ट्रंप की नई H-1B वीज़ा पॉलिसी भारतीय आईटी इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका है। हालांकि इसका असर तुरंत सीमित रहेगा, लेकिन लंबे समय में यह कंपनियों की रणनीति, प्रॉफिटेबिलिटी और ग्लोबल पोज़िशनिंग पर असर डालेगा।




