
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रमुख दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है कि जिसमे “लाल डायरी” जैसे नए मुद्दे भी आ गए
जयपुर । राजस्थान (Rajasthan) में आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Election) को लेकर सरगर्मियां जोर पकड़ने लगी है और सत्तारुढ़ कांग्रेस (Ruling congress) एवं मुख्य विपक्षी दल भाजपा (BJP) के बीच नए—नए मुद्दों के साथ आरोप प्रत्यारोप का दौर तेज होने लगा है वहीं कुछ अन्य दल नया विकल्प खड़ा करने के प्रयास शुरु कर दिए है।
राज्य में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के अब केवल करीब तीन महीने शेष है और जहां कांग्रेस (Congress) इस बार अपनी सरकार रिपीट कराने के लिए सीएम अशोक गहलोत सहित अन्य कांग्रेसी नेता जीजान से जुटे हुए है वहीं पीएम मोदी (PM Modi) सहित भाजपा के अन्य कई वरिष्ठ नेता चुनाव को लेकर राजस्थान (Rajasthan) दौरों के चक्कर लगाने शुरु कर दिए है।
कांग्रेस इस चुनाव में अपनी गहलोत सरकार (Gehlot government) की ऐतिहासिक एवं जनहित एवं कल्याणकारी सीएम चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना (CM Chiranjeevi Swasthya Bima Yojana), पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme), स्वास्थ्य का अधिकार एवं रोजगार एवं सामाजिक सुरक्षा की गारंटी आदि योजनाओं एवं महंगाई राहत शिविर जैसी अन्य कई उपलब्धियों के साथ देश में महंगाई के मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाने लगी है जबकि भाजपा राज्य में भ्रष्टाचार एवं कानून व्यवस्था के मुद्दे के साथ केन्द्र की मोदी सरकार (Modi government) की उपलब्धियों को लेकर लोगों के बीच जा रही है।
इन दोनों प्रमुख दलों के बीच इन मुद्दों को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर इतना तेज हो गया है कि इनके अलावा “लाल डायरी” जैसे नये मुद्दे भी आ गये है और भाजपा इस मुद्दे का हर मौके पर जिक्र कर रही है जबकि गहलोत सहित कांग्रेस के अन्य नेताओं ने इसे केवल हौवा करार दिया है और कहा है कि भाजपा (BJP) पास कोई मुद्दा नहीं बचने के कारण इस तरह की भ्रांतियां फैला रही है। चुनाव के मद्देनजर दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं के राजस्थान (Rajasthan) दौरे होने लगे है जिनमें हाल में प्रधानमंत्री ने सीकर का दौरा किया वहीं शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा (J P Nadda) ने जयपुर (Jaipur) में राजस्थान (Rajasthan) भाजपा कोर कमेटी बैठक लेकर चुनाव के मद्देनजर आगामी रणनीति पर विचार विमर्श किया गया।
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कांग्रेस ने अपनी चुनावी गतिविधियां बढ़ा दी है और आगामी नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी बांसवाड़ा जिले में स्थित प्रसिद्ध मानगढ़ धाम में जनसभा को संबोधित करेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बताया कि इस बार प्रदेश कांग्रेस आदिवासी दिवस मना रही है और राहुल गांधी नौ अगस्त को आदिवासियों के साथ यह दिवस मनायेंगे वहीं राज्य में कांग्रेस सरकार है और इस मौके आदिवासियों को सौगात भी देगी।
हालांकि अभी विधानसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुई, इस कारण अभी राज्य में चुनावी सभाओं का दौर नहीं चला है लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पिछले कई दिनों से लगे हुए है और एक के बाद एक ऐतिहासिक योजनाएं लाकर अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बन रहे है। इतना ही नहीं राज्य सरकार की अपनी योजनाओं का लाभ प्रदेश के आखिरी छोर तक बैठे व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए पिछले दिनों महंगाई राहत शिविर शुरु किए , जिनसे साढ़े सात करोड़ से अधिक लोग जुड़े और करीब एक करोड़ अस्सी लाख परिवार लाभांवित हुए।
गहलोत राहत शिविरों में लोगों के साथ संवाद करने में भी जीजान लगा रखी थी और इसके बाद दोनों पैरों में चोट लगने के बावजूद उन्होंने अलग अलग योजनाओं के लाभार्थियों को सीएम निवास पर संवाद कार्यक्रम आयोजित कर पुख्ता भी करने लगे है कि वास्तव में सरकार की योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्ति तक पहुंच रहा है या नहीं। इससे लोगों में जागरुकता एवं उत्साह बढ़ा है। भाजपा (BJP) राज्य की कांग्रेस सरकार (Congress government) के खिलाफ “नहीं सहेगा राजस्थान (Rajasthan)” अभियान चला रखा है और अब एक अगस्त को सचिवालय का घेराव करने का कार्यक्रम भी है।
इन दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के अलावा प्रदेश में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा), बसपा, आप सहित अन्य कुछ दलों ने भी चुनाव को लेकर अपनी गतिविधियां शुरु कर दी है जिनमें रालोपा के संयोजक एवं नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल पिछले कई दिनों से राज्य के अलग अलग जगहों का दौरा कर रहे है और कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही विफल बता रहे है । बेनीवाल का कहना है कि इस कारण रालोपा को इस बार लोग तीसरे विकल्प के रुप में देख रहे है।
इसके अलावा आप भी इस बार राजस्थान (Rajasthan) में चुनाव लड़ने जा रही है और वह दिल्ली और पंजाब में आप का उदाहरण देकर तीसरा विकल्प खड़ा करने के लिए जनता के बीच आने लगी है। राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस (Congress) और भाजपा इन दो पार्टियों के आगे कोई मजबूत तीसरा विकल्प अभी नजर नहीं आ रहा है।