
सबकी पसंदीदा मिठाई रसगुल्ला कि क्या है दिलचस्प कहानी,आईए जानते हैं?
दुनिया भर में भारत की पहचान यहां की सुंदर नजारे और बहुत से तीज त्योहारों और भाषाओं से ही नहीं है, बल्कि भारत में और भी बहुत सी ऐसी चीज हैं जिनके लिए भारत दुनिया में जाना जाता है।जैसे भारत की संस्कृति, भारत की वेशभूषा और इसी के साथ-साथ भारत अपने खाने में भी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं।जी हां, भारत में एक ही नहीं बल्कि कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं।जिनमें कई तरह की मिठाइयां भी शामिल है।अगर हम मिठाइयों की बात करें और रसगुल्ला का नाम ना आए ऐसा तो कभी नहीं हो सकता। रसगुल्ला भारतवासियों कि पसंदीदा मिठाई है।तो चलिए आज हम आपको रसगुल्ले की दिलचस्प कहानी बताने वाले हैं, कि रसगुल्ले की शुरुआत कहां से हुई और कब यह बनाया गया और इसे किसने बनाया।आइए जानते हैं।
भारत की पहचान सिर्फ उसके रंग-बिरंगे त्योहारों और विविध संस्कृति से नहीं होती है, बल्कि यहां का पारंपरिक खानपान भी देश विदेश में अपनी पहचान बना चुका है। भारतीय मिठाइयों की दुनिया तो इतनी बड़ी और स्वादिष्ट है कि हर राज्य में आपको कोई न कोई खास मिठाई जरूर मिलेगी। इन्हीं में एक मिठाई है रसगुल्ला। ये सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि ये हमारी फीलिंग्स से भी जुड़ी हुई है।
चाहे शादी-ब्याह का माहौल हो या फिर कोई भी खुशी का मौका, रसगुल्ला हमेशा मिठास घोलने आ ही जाता है। उसका नरम और रस भरा रूप देखकर बच्चों से लेकर बड़ों तक सबका दिल खुश हो जाता है। भारत में दूध से बनने वाली मिठाइयों की तो कमी ही नहीं है। लेकिन रसगुल्ले की जगह सबसे अलग है। ये मिठाई न सिर्फ स्वाद में खास है, बल्कि लोगों की यादों में भी बसी हुई है। भारत के पारंपरिक खानपान में रसगुल्ला का अहम स्थान है।
आपको बता दें कि आज ये मिठाई सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खास बनी हुई है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रसगुल्ला सबसे पहले कहां बना था, और इसका इतिहास क्या है? अगर नहीं, तो आज हम आपको इसकी दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं क्या है रसगुल्ला कि कहानी।
रसगुल्ले को लेकर हमेशा से रहा है विवाद
आपको बता दें कि रसगुल्ले के इतिहास को लेकर हमेशा से मतभेद रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि रसगुल्ला सबसे पहले ओडिशा में बनाया गया था, वहीं कुछ लोग मानते हैं कि रसगुल्ले की उत्पत्ति वेस्ट बंगाल से हुई थी। ओडिशा के लोगों का कहना है कि रसगुल्ला 700 साल पुरानी मिठाई है। इसका इतिहास पुरी के जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा है।
पुरी के जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी है रसगुल्ला कि कहानी
माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ ने रथ यात्रा के दौरान अपनी रूठी हुई पत्नी को मनाने के लिए ये मिठाई दी थी। 11वीं सदी में इसे ‘खीरा मोहन’ कहा जाता था और ये एकदम सफेद होता था। इसे पुरी के जगन्नाथ मंदिर में देवी लक्ष्मी को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।
पश्चिम बंगाल ने भी किया था दावा
इसके अलावा वेस्ट बंगाल यानी कि पश्चिम बंगाल, जो कि अपनी मिठाइयों के लिए मशहूर है, वो दावा करता है कि रसगुल्ला उन्हीं की देन है। बताया जाता है कि हलवाई नवीन चंद्र दास ने 1868 में कलकत्ता में रसगुल्ले का आविष्कार किया था। आज भी उनके परिवार की पीढ़ियां उनकी मिठाई की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।
खाने में स्पंजी था रसगुल्ला
जानकारी के अनुसार नवीन चंद्र दास ने सुतानुटी में स्थित अपनी मिठाई की दुकान पर सबसे पहले रसगुल्ला बनाना शुरू किया था। उनकी रेसिपी असली मानी जाती थी। ये लंबे समय तक चलती थी और खराब नहीं होती है। ये खाने में एकदम नरम और स्पंजी होती थी।