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“उत्तराखंड पुलिस आम आदमी के लिए मित्र, बदमाशों के लिए कठोर”
मित्र पुलिस की छवि आम इंसान के लिए सहयोगात्मक है-डीजीपी
बदमाशों को पुलिस का डर होना ही चाहिए-अशोक कुमार
सुरक्षा के वातावरण में ही विकास बढ़ता है, यही हमारा रिवार्ड
साइबर क्राईम व ड्रग्स पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती
इस बार कांवड़ यात्रा पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण रही-डीजीपी
मौ. फहीम ‘तन्हा’
देहरादून। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (dgp) अशोक कुमार(ashok kumar)एक लोकप्रिय अधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं। वे पुलिस मुखिया के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में भी शामिल होते हैं। इस बार खास मुलाकात में मिलिए वर्ष 1989 बैच के आईपीएस अफसर डीजीपी अशोक कुमार से।
प्रश्न.1- डीजीपी के तौर पर आपकी लोकप्रियता फ्रेंडली व्यवहार के लिए जानी जाती है, क्या आप जानते हैं?
उत्तर- हां, मैं शुरु से मानता हूँ कि पुलिस व्यवस्था लोगों के लिए बनी है, और इसलिए लोगों के साथ मिलकर की जानी चाहिए। मैं एसएसपी रहा, डीआईजी रहा, एडीजी रहा तो उसको फॉलो करता रहा हूं। मैं सभी 13 जिलों में गया और पब्लिक से जुड़ने की कोशिश की है, मीटिंग की हैं फिर जनता उससे जुड़ती है। मैने ‘खाकी में इंसान’ पुस्तक में लिखा था हम लोगों को जनसेवक की तरह रहना चाहिए लेकिन कई बार साहब की तरह रहते हैं, फिर एटिट्यूड भी एरोगेंस हो जाता है। तो जनता एप्रोच करने में डरती है।
प्रश्न-2- उत्तराखंड की मित्र पुलिस आपकी सेवा में, क्या आपका व्यवहार इस स्लोगन को मजबूत करता है?
उत्तर- ये स्लोगन के अनुरूप ही व्यवहार है। हमारा व्यवहार आम आदमी के लिए मित्रता पूर्वक है लेकिन बदमाशों के लिए नहीं है। बदमाशों के लिए उत्तराखंड की पुलिस बहुत कठोर है। संभवत यही बात है कि आम आदमी पहचानता है कि डीजीपी साहब से मिलेंगे तो जरुर न्याय मिलेगा।
प्रश्न.3- हमारे यहां अन्य राज्यों से भी पर्यटक और तीर्थ यात्री श्रद्धालु आते हैं, मित्र पुलिस और आपके व्यवहार का किसी प्रकार से रिवार्ड मिलता है कभी?
उत्तर- देखिए, डेवलपमेंट वहीं पर संभव होता है जहां सुरक्षा का वातावरण होता है, उसी प्रकार टूरिज्म भी सुरक्षित माहौल में बढ़ता है। टूरिज्म के नजरिये से पुलिस का बहुत महत्वपूर्ण है, हमारी पुलिस का सहायता करने वाले एटीट्यूट की छवि देश में बन गई है। सबको पता है कि उत्तराखंड आएंगे तो पुलिस का व्यवहार हेल्पिंग होगा। हमने शुरू से इस पर काम किया है, आगे भी बना रहेगा ऐसी उम्मीद है। आम इंसान के लिए पुलिस सहायक होनी चाहिए और बदमाशों को पुलिस का डर होना चाहिए।
प्रश्न.4- आपने अपनी पुस्तक खाकी में इंसान का जिक्र किया, ऐसा क्या घटित हुआ जो आपको ये पुस्तक लिखने व संदेश देने का विचार आया कि खाकी के अंदर एक संवेदनशील इंसान भी होता है?
उत्तर- हमने पुलिस अधिकारी रहते हुए जो सिद्धांत और फिलॉसफी को फॉलो किया है, उसी को जनता के सामने लाना चाहते थे। ऐसा नहीं है कि पुलिस सबके लिए कड़क और खाकी एक डर के रोल में ही है, बल्कि ऐसा है कि पुलिस सबके लिए इंसानियत और मानवता के रोल में भी आ सकती है। ये हमारी प्राथमिक ड्यूटी है क्योंकि पुलिस भी आखिर इंसान ही है।
प्रश्न.5- आपने साइबर एनकाउंटर नाम से भी पुस्तक लिखी है, हर प्रकार के साइबर अपराध को जानने के लिए पर्याप्त है पुस्तक या उससे अलग भी घटनाएं घट रही हैं?
उत्तर- पुस्तक में केवल 12 प्रकार के क्राइम की स्टोरी हैं, लेकिन साइबर क्रिमिनल तो हर 15 मिनट में अलग मोड्स ऑपरेंडी निकाल रहे हैं। इसलिए कार्यवाई में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाने के साथ-साथ लोगों को खुद बहुत जागरूकता रहने की जरुरत है।
प्रश्न.6- छोटी-से छोटी खरीदारी ऑनलाइन हो रही है, पढ़े लिखे जानकार लोग शिकार हो रहे हैं, कैसे बचेंगे साइबर ठगी से?
उत्तर- हां, ये एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि साइबर अपराधियों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। लेकिन जब हम सजग व सतर्क होंगे, पुलिस भी अपराधियों को पकड़ेगी तो घटनाओं में कमी आएगी। हमने ट्रेडिशनल अपराध से बचने के तरीके सीखे हैं। तो अब ये नया ऑनलाईन अपराध का तरीका 20-25 साल में हमारे सामने तेज़ी से उभरा है, इससे भी बचने के तरीके जल्दी सीखेंगे लोग।
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प्रश्न.7- कांवड़ यात्रा कितनी चुनौतीपूर्ण रही है। चारधाम यात्रा भी चल रही है, मानसून पूरे प्रभाव में है इस समय में?
उत्तर- चुनौतीपूर्ण रहा है काफी, ज्यादा पानी आने से ट्रैफिक को नियंत्रित करना भी बहुत मुश्किल रहा है। कुछ फोर्स बाढ़ राहत में भी लगानी पड़ी, लेकिन कांवड़ यात्रा सकुशल हुई है। चारधाम यात्रा सुरक्षित चल रही है, मौसम के कारण आने वाली बाधाएं तो सामने है ही, रास्ते बंद हुए अब खुल रहे हैं। पुलिस, जल पुलिस, एसडीआरएफ भी काम कर रही है।
प्रश्न.8- उत्तराखंड पुलिस के सामने अब नागरिक सुरक्षा को लेकर किस प्रकार की चुनौती इन दिनों?
उत्तर- सबसे बड़ी तो साइबर क्राईम और ड्रग्स की चुनौती पुलिस के सामने हैं। इसमें जनता का सहयोग हमें चाहिए, तभी सफलता मिल सकती है, अकेले पुलिस दोनों से पूरी तरह नहीं लड़ सकती।
प्रश्न.9- तो क्या पुलिस ड्रग्स माफिया पर प्रभावी कार्यवाई में सफल नहीं हो पा रही है?
उत्तर- ड्रग्स कारोबार पर कार्यवाई में हम सफल हो भी रहे हैं, लेकिन ग्राउंड स्तर पर सहयोग जरुरी है। ड्रग्स की डिमांड इतनी बढ़ रही है, इसलिए जनता का सहयोग जरुरी है। युवाओं को अपनी ऊर्जा को सकारात्मक रूप से इस्तेमाल करने की जरूरत है।
प्रश्न.10- पुलिस विभाग के मुखिया के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी रहती है, आप सामाजिक गतिविधियों में भी रहते हैं, कैसे मैनेज करते हैं?
उत्तर- देखिए, हमें टाइम मैनेज करना पड़ता है, बड़ी जिम्मेदारी में काम भी ज्यादा होता है। इसलिए जो महत्वपूर्ण एवं जरुरी काम हो उसको पहले करने की कोशिश करनी चाहिए। उसको तय करना ही एक अच्छी दिनचर्या को निर्धारित करता है।
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