
Muzaffarnagar scholarship scam exposed; FIR lodged against 10 educational institutions, including reputed colleges – Shah Times
मुजफ्फरनगर में स्कॉलरशिप फ्रॉड, नामी शिक्षण संस्थान भी जांच के घेरे में
Muzaffarnagar Scholarship Scam: 10 नामचीन शिक्षण संस्थानों पर FIR
मुजफ्फरनगर में बड़ा छात्रवृत्ति घोटाला उजागर। 10 शिक्षण संस्थानों पर एफआईआर, फर्जी छात्रों के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी।
Muzaffarnagar,(Shah Times) । मुजफ्फरनगर जिले में छात्रवृत्ति वितरण में हुए बड़े स्कॉलरशिप घोटाले का पर्दाफाश हो गया है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की विस्तृत जांच और शासन के आदेश के बाद 10 शिक्षण संस्थानों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है।
इन संस्थानों में आईटीआई, मदरसे, गुरुकुल, इंटर कॉलेज से लेकर डिग्री कॉलेज तक शामिल हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि सूची में मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज, श्रीराम कॉलेज ऑफ फार्मेसी और इस्लामिया डिग्री कॉलेज जैसे बड़े और प्रतिष्ठित नाम भी हैं।
🔍 कैसे सामने आया घोटाला?
सूत्रों के मुताबिक, बीते सालों में छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की संपूर्ण प्रक्रिया की स्क्रूटनी की गई। इस दौरान कई गंभीर अनियमितताएं पाई गईं—
पात्रता नियमों की खुली अनदेखी
अपात्र छात्रों के नाम पर आवेदन
फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए छात्रवृत्ति हासिल करना
कई मामलों में “घोस्ट स्टूडेंट्स” यानी ऐसे छात्रों के नाम, जो वास्तव में मौजूद ही नहीं थे
रिपोर्ट के अनुसार, इन अनियमितताओं के चलते सरकारी फंड का करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया गया।
📄 प्रशासनिक कार्रवाई
विशेष जांच समिति का गठन किया गया
हर दस्तावेज, बैंक ट्रांजेक्शन और छात्र रिकॉर्ड की जांच की गई
दोषी संस्थानों की वेरिफिकेशन रिपोर्ट सीधे शासन को भेजी गई
संबंधित थानों में मुकदमा पंजीकृत कर कानूनी प्रक्रिया शुरू
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने साफ कहा है—
“यह मामला सिर्फ कानून तोड़ने का नहीं, बल्कि गरीब और जरूरतमंद छात्रों के हक़ पर डाका डालने का है।”
⚖ आगे क्या होगा?
शासन ने स्पष्ट किया है कि—
दोषी पाए जाने वाले प्रबंधन और संबंधित जिम्मेदारों पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई होगी
वित्तीय हानि की भरपाई कराई जाएगी
भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाएगा
🎓 शिक्षा जगत में हलचल
इस घोटाले के उजागर होने के बाद मुजफ्फरनगर और आसपास के जिलों के शिक्षा संस्थानों में हड़कंप है।
कई स्कूल-कॉलेज अब अपनी छात्रवृत्ति रिकॉर्डिंग और डॉक्यूमेंटेशन प्रक्रिया की दोबारा जांच कर रहे हैं।
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि—
“ऐसे मामले न सिर्फ सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाते हैं, बल्कि असली जरूरतमंद छात्रों के सपनों पर भी पानी फेर देते हैं।”
🛑 क्यों होती है ऐसी धांधली?
विशेषज्ञों के मुताबिक—
निगरानी व्यवस्था की कमी
ऑनलाइन आवेदन में पहचान सत्यापन की कमजोरियां
स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार
कुछ संस्थानों की गैर-ज़िम्मेदाराना मानसिकता
📢 जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस खबर ने गर्मागर्म बहस छेड़ दी है।
लोग लिख रहे हैं—
“यह गरीब बच्चों का हक़ मारने जैसा अपराध है।”
“सरकार को दोषियों की संपत्ति ज़ब्त करनी चाहिए।”
📊 आंकड़ों में घोटाला
कुल जांचे गए संस्थान: 32
गड़बड़ी पाए गए: 10
अनुमानित फर्जी भुगतान: ₹5.8 करोड़
एफआईआर दर्ज: सभी 10 संस्थानों पर
🌐 निष्कर्ष
यह मामला बताता है कि छात्रवृत्ति योजनाओं में पारदर्शिता, टेक्नोलॉजी-आधारित मॉनिटरिंग और कड़ी सज़ा के बिना भ्रष्टाचार को रोकना मुश्किल है।
सरकार और प्रशासन के लिए यह एक टेस्ट केस है—अगर इस पर सख्ती से कार्रवाई हुई तो आने वाले समय में ऐसे घोटालों में कमी आ सकती है।