
Relief distribution by Jamiat Ulama-e-Hind in flood-hit areas
उत्तराखंड-पंजाब बाढ़ पीड़ितों को जमीयत उलमा-ए-हिंद की मानवीय मदद
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने बाढ़ प्रभावितों के लिए भेजी 50 लाख की राहत सामग्री
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने उत्तरकाशी, चमोली, हिमाचल और पंजाब में बाढ़ प्रभावितों को राहत सामग्री और आर्थिक मदद भेजने का फैसला किया।
~ Shahnazar
Dehradun, (Shah Times)। उत्तराखंड, हिमाचल और पंजाब में हाल ही में आई भीषण बाढ़ ने हजारों परिवारों की जिंदगी को प्रभावित किया है। घर-बार डूबे, पशु मरे और राशन की किल्लत ने स्थानीय लोगों को मुश्किल हालात में डाल दिया। ऐसे समय में जमीयत उलमा-ए-हिंद ने राहत कार्यों में अहम भूमिका निभाने का ऐलान किया।
गुरुवार को मदरसा दारुल उलूम आसादिया इक्कड़ हरिद्वार में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें मौलाना शराफत अली क़ासमी ने राहत कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि कुल 50 लाख रुपये की राहत सामग्री बाढ़ प्रभावित जिलों में भेजी जाएगी।
राहत कार्यों का विस्तृत विश्लेषण
जमीयत ने राहत कार्यों को प्रभावी और व्यवस्थित तरीके से संचालित करने के लिए विभिन्न जिलों में टीमों का गठन किया है। नैनीताल, देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर में जिला टीमों का गठन किया गया है, जो स्थानीय स्तर पर राहत सामग्री इकट्ठा करेंगे और आवश्यकतानुसार प्रभावित जिलों में भेजेंगे।
राहत सामग्री की विस्तृत सूची
अनाज, दाल, चावल, आटा
पीने का पानी
दवाइयाँ और स्वास्थ्य सामग्री
आवश्यक घरेलू सामान
पशु आहार और पशुपालन सामग्री
मौलाना शराफत अली क़ासमी ने कहा कि राहत सामग्री केवल वितरण तक सीमित नहीं होगी, बल्कि प्रभावित परिवारों की जरूरतों के अनुसार नियमित सहायता भी जारी रहेगी।
प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाई जाएगी राहत
उत्तरकाशी और चमोली में विशेष प्रतिनिधिमंडल भेजा जाएगा। हिमाचल और पंजाब के बाढ़ प्रभावित इलाकों में भी राहत सामग्री पहुँचाने के लिए पूरी योजना तैयार की गई है।
सामाजिक और मानवीय पहल
जमीयत उलमा-ए-हिंद हमेशा से आपदा के समय में पीड़ितों के साथ खड़ी रही है। मौलाना शराफत अली क़ासमी ने कहा, “आज जब पंजाब में बाढ़ से हजारों परिवारों के घर बरबाद हुए हैं, हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उनकी मदद करें।”



स्थानीय समर्थन और सहभागिता
जमीअत ने आम नागरिकों, व्यापारियों और समाजसेवियों से अपील की है कि वे राहत अभियान में आर्थिक और सामग्री सहयोग दें। इसके तहत हर जिला इकाई अपनी क्षमता अनुसार सामग्री इकट्ठा कर प्रदेश जमीअत के नेतृत्व में भेजेगी।
राहत कार्यों की पारदर्शिता
हर जिलाई टीम जिम्मेदार होगी और राहत वितरण का रिकॉर्ड रखा जाएगा। मौलाना शराफत अली क़ासमी ने कहा कि “हमारा मकसद केवल राहत देना नहीं, बल्कि प्रभावितों तक सही सामग्री और सही समय पर पहुँचाना है।”
Counterpoints और चुनौतियाँ, आपदा प्रबंधन में बाधाएं
बाढ़ प्रभावित इलाकों तक पहुँचने में भौगोलिक कठिनाइयाँ
आपदा के समय समय पर ताजा जानकारी का अभाव
स्थानीय प्रशासन और राहत एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी
इन चुनौतियों के बावजूद, जमीअत ने स्थानीय नेतृत्व और जिला टीमों के माध्यम से राहत कार्यों को प्रभावी बनाने की योजना तैयार की है।
दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता
केवल राहत वितरण पर्याप्त नहीं है। मौलाना शराफत अली क़ासमी ने सुझाव दिया कि प्रभावित क्षेत्रों में दीर्घकालिक पुनर्वास और शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की बहाली भी जरूरी है।
इस मौके पर जमीअत हरिद्वार के जिला अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वाहिद क़ासमी, जिला देहरादून के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल मन्नान क़ासमी, मुफ्ती ताजीम क़ासमी सचिव दफ्तर जमीअत, प्रदेश मुफ्ती तौफीक अहमद क़ासमी, मौलाना रिहान गनी, मौलाना रागिब मजाहिरी, मौलाना बुरहान, कारी आबिद जिला महा सचिव, मास्टर अब्दुल सत्तार, नौशाद अहमद इक्कड़, मौलाना अब्दुल खालिक, प्रधान इक्कड़ मोहम्मद हारून, शाह नवाज इक्कड़ आदि मौजूद रहे।
Conclusion
जमीयत उलमा-ए-हिंद का यह कदम ना केवल मानवीय पहल है बल्कि समाज में सहानुभूति और एकजुटता का प्रतीक भी है। प्रदेश और जिला स्तर पर टीमों के गठन, सामग्री की सूची, और पारदर्शी वितरण योजना से यह राहत अभियान प्रभावी बनेगा।
इस मुहिम में आम नागरिकों की सहभागिता, व्यापारिक संस्थाओं का सहयोग और प्रशासनिक समन्वय इसे और भी सफल बना सकते हैं।
जमीअत की यह पहल समाज के लिए मिसाल पेश करती है कि आपदा में इंसानियत का हाथ बढ़ाना सबसे बड़ा धर्म है।