
Former Governor Satyapal Malik passes away at age 78 in Delhi hospital
अनुच्छेद 370 के समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल नहीं रहे
सत्यपाल मलिक: एक नेता, जो अंत में आलोचक बन गया
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 78 वर्ष की उम्र में निधन, अनुच्छेद 370 हटाने वाले अंतिम जम्मू-कश्मीर राज्यपाल के रूप में जाने जाते थे।
एक सादा, बेबाक और विवादों में घिरे नेता को अंतिम विदाई
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज (5 अगस्त 2025) निधन हो गया। वह 78 वर्ष के थे और दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थे। लंबे समय से बीमार चल रहे मलिक को गंभीर यूरीनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और किडनी फेल्योर के कारण आईसीयू में रखा गया था।
उनके निधन से देश की राजनीति में एक बड़ा रिक्त स्थान उत्पन्न हो गया है। एक ऐसा नेता, जो सत्ता में रहते हुए भी सत्ता के खिलाफ बोलने से नहीं हिचकता था। इस ट्रिब्यूट लेख में हम उनके राजनीतिक जीवन, विचारधारा, और विवादों के दौर को समीक्षात्मक दृष्टि से देखेंगे।
आज का शाह टाइम्स ई-पेपर डाउनलोड करें और पढ़ें
सत्यपाल मलिक का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जन्म: 24 जुलाई 1946, हिसवाड़ा गांव, बागपत, उत्तर प्रदेश
जाति: जाट समुदाय
शिक्षा:
विज्ञान स्नातक – मेरठ कॉलेज
एलएलबी – मेरठ कॉलेज
राजनीति में प्रवेश से पहले ही सत्यपाल मलिक छात्र राजनीति में सक्रिय हो चुके थे। 1968-69 में मेरठ कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
🧑⚖️ राजनीतिक सफर: सत्ता से असहमति तक
विधानसभा सदस्य (1974–1977): यूपी विधानसभा से शुरुआत
राज्यसभा सांसद (1980–1989): उत्तर प्रदेश से राज्यसभा
लोकसभा सांसद (1989–1991): जनता दल से अलीगढ़ से निर्वाचित
राज्यपाल नियुक्ति (2018–2022): जम्मू-कश्मीर, बिहार और मेघालय के राज्यपाल
अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर की ऐतिहासिक भूमिका
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला लिया गया। उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में सत्यपाल मलिक ही तैनात थे। यह उनके कार्यकाल की सबसे निर्णायक और ऐतिहासिक घटना बनी।
जब सत्ता से टकरा गया एक राज्यपाल
राज्यपाल रहते हुए भी सत्यपाल मलिक ने खुलेआम सरकार की नीतियों की आलोचना की। विशेषकर:
पुलवामा हमला (2019):
मलिक ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि अगर सीआरपीएफ को हवाई जहाज मुहैया कराया गया होता, तो जवानों की जान बच सकती थी।
किरू हाइड्रोपावर परियोजना में भ्रष्टाचार:
उन्होंने दावा किया था कि उन्हें चुप रहने के लिए ‘ऑफर्स’ दिए गए थे।
कृषि कानूनों और किसानों के मुद्दे:
मलिक ने किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार की नीति की भी कड़ी आलोचना की थी।
कांग्रेस ने दी श्रद्धांजलि
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। सत्यपाल जी को एक ऐसे निडर और निष्पक्ष व्यक्तित्व के लिए याद किया जाएगा, जिन्होंने देशहित को सबसे ऊपर रखा और हमेशा सच का साथ दिया। ईश्वर पुण्यात्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिजनों को यह पीड़ा सहने की शक्ति दें। ॐ शांति:
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव कहते हैं:
“सत्यपाल मलिक उस बिरले नेताओं में से थे जो सत्ता की कुर्सी पर बैठकर भी जनता के हक में बोलना जानते थे।”
पूर्व नौकरशाह अजय कुमार:
“उनकी बातों में तीखापन था, लेकिन उनके अनुभव और सत्य बोलने की आदत उन्हें विशिष्ट बनाती थी।”
विवादों में घिरे लेकिन सच्चाई के करीब
भाजपा से अलगाव के बाद वे सरकार के प्रमुख आलोचकों में शुमार हो गए।
उनके वक्तव्यों पर भाजपा समर्थक भले ही नाखुश रहे हों, पर वे विपक्ष और किसानों के बीच सम्मानित व्यक्तित्व बन गए थे।
सोशल मीडिया पर उन्हें “सिस्टम का सच्चा आलोचक” तक कहा गया।
प्रमुख उपलब्धियां और योगदान
अनुच्छेद 370 हटाने के दौरान राज्यपाल रहे
तीन राज्यों के राज्यपाल बने: जम्मू-कश्मीर, बिहार, मेघालय
लंबे समय तक छात्र राजनीति और संसदीय राजनीति का अनुभव
सत्ता में रहते हुए भी आलोचना करने का साहस
किसानों के हक़ में खड़े रहे
एक युग का अंत
सत्यपाल मलिक का जीवन सत्ता, सेवा, और साहस की मिसाल है। वे न केवल एक सफल प्रशासक थे, बल्कि विचारों की स्वतंत्रता के प्रतीक भी थे। उनके जाने से राजनीति में बेबाकी और ईमानदारी की आवाज़ कमजोर हुई है।
देश ने एक ऐसा नेता खो दिया है, जो न झुका, न डरा, और न चुप रहा।