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गाज़ा त्रासदी इजरायल पर वैश्विक आलोचना, अमेरिका फिर समर्थन में
गाज़ा त्रासदी पर दुनिया की चिंता, इजरायल का पलटवार जारी
28 देशों की संयुक्त अपील बनाम इजरायल का विरोध: गाज़ा त्रासदी पर वैश्विक कूटनीति की नई तस्वीर
ब्रिटेन-कनाडा समेत 28 देशों ने गाज़ा युद्ध पर तत्काल सीजफायर की मांग की, इजरायल ने खारिज किया, अमेरिका फिर समर्थन में उतरा।
“अब वक्त आ गया है जब जंग की बजाय इंसानियत की आवाज़ को तरजीह दी जाए”
अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाम इजरायल की जिद
ब्रिटेन, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया समेत 28 देशों ने मिलकर गाजा में चल रही जंग को तुरंत खत्म करने की मांग की है। इन देशों का यह संयुक्त बयान ऐसे समय आया है जब गाजा में हालात मानवीय आपदा के स्तर तक पहुंच चुके हैं। उनके अनुसार, बुनियादी जरूरतों की भारी कमी, भोजन और जल संकट, तथा स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता ने आम फिलिस्तीनी नागरिकों की ज़िंदगी नरक बना दी है।
विदेश मंत्रियों ने साफ तौर पर कहा कि इजरायली कार्रवाई अब आम नागरिकों के लिए असहनीय होती जा रही है। बच्चों और महिलाओं पर हमलों के आरोप सीधे तौर पर इजरायल की नीतियों पर उंगली उठाते हैं। उनका कहना है कि इजरायल को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना चाहिए और मदद पहुंचाने में अड़चन नहीं डालनी चाहिए।
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इजरायल का पलटवार: “हकीकत से दूर है ये बयान”
इजरायल ने इस बयान को ‘हकीकत से दूर’ करार देते हुए खारिज कर दिया। इजरायली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मर्मोरस्टीन ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कहा कि हमास खुद इस जंग को खींच रहा है और बंधक रिहाई के हर प्रस्ताव को ठुकरा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का यह रुख हमास को प्रोत्साहन देने जैसा है।
इजरायल का यह भी दावा है कि वह मानवीय सहायता को रोक नहीं रहा बल्कि सुरक्षा जांच के बाद उसे अनुमति दे रहा है। इसके बावजूद सैकड़ों आम नागरिक, खासकर बच्चे, गाजा में मारे जा रहे हैं।
अमेरिका फिर बना इजरायल का रक्षक
अमेरिका ने 28 देशों के बयान को सिरे से खारिज करते हुए इजरायल का समर्थन किया है। अमेरिकी राजदूत माइक हकबी ने इसे ‘घिनौना’ बताया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इजरायल पर नहीं, बल्कि हमास जैसे आतंकी संगठनों पर दबाव बनाना चाहिए।
यह रुख एक बार फिर वैश्विक राजनीति में अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाता है। क्या वाशिंगटन की अंधसमर्थन नीति लंबे समय में शांति की संभावनाओं को खत्म नहीं कर रही?
गाजा: 90% आबादी बेघर, 59,000 से ज्यादा मौतें
गाजा की 20 लाख से अधिक आबादी एक बड़े मानवीय संकट से गुजर रही है। 90% से ज्यादा लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। हजारों लोगों ने कई बार पलायन किया है। गाजा हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, इजरायल की सैन्य कार्रवाई में अब तक 59,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की है।
संयुक्त राष्ट्र ने इन आंकड़ों को ‘विश्वसनीय’ माना है। वहीं, इजरायली सैनिकों की गोलीबारी में उन जगहों पर भी लोग मारे गए हैं जहाँ मदद बंट रही थी।
28 देशों की मांग: ‘अब और नहीं, तुरंत युद्धविराम’
इस युद्ध की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले से हुई थी, जिसमें लगभग 1200 इजरायली मारे गए और 251 को बंधक बना लिया गया। अब भी 50 बंधक गाजा में हैं। ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड लैमी ने कहा, “इस युद्ध का कोई सैन्य हल नहीं है। अगला सीजफायर अंतिम होना चाहिए।”
28 देशों का कहना है कि शांति के लिए अब राजनीतिक समाधान तलाशने की आवश्यकता है, क्योंकि दोनों ओर मानवता की कीमत पर यह युद्ध आगे नहीं बढ़ सकता।
अंतरराष्ट्रीय कानून बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा
इजरायल का तर्क है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के दायरे में रहकर ही कार्रवाई कर रहा है, लेकिन जब लगातार आम नागरिक मारे जा रहे हों और मदद रोकी जा रही हो, तो यह तर्क कमजोर पड़ता है। क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर नागरिकों की जान जोखिम में डालना न्यायसंगत है?
इस सवाल का जवाब केवल कानूनी नहीं, नैतिक और मानवतावादी दृष्टिकोण से भी जरूरी है।
विफल रही सीजफायर की सभी कोशिशें
कतर, मिस्र और अमेरिका जैसे देश युद्धविराम के लिए मध्यस्थता कर रहे हैं लेकिन कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का साफ कहना है कि जब तक सभी बंधक रिहा नहीं हो जाते और हमास को खत्म नहीं कर दिया जाता, तब तक युद्ध जारी रहेगा।
यह अड़ियल रुख शांति की राह में सबसे बड़ी बाधा बन चुका है।
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अब युद्ध नहीं, समाधान चाहिए
इस वक्त अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास दो रास्ते हैं — या तो निष्क्रिय रहकर हालात और बिगड़ने दें या फिर निर्णायक कूटनीतिक पहल करके सीजफायर और शांति की नींव रखें। युद्धविराम केवल एक शुरुआत हो सकती है, असली ज़रूरत है स्थायी समाधान की, जिसमें इजरायल और फिलिस्तीन दोनों के लिए न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।