
यूपी में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले पर मायावती ने भाजपा सरकार को घेरा है। वहीं कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
Gopi Saini
शाह टाइम्स। 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय पर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा है। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि सरकार ने अपना काम निष्पक्ष और ईमानदारी से नहीं किया। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “यूपी में सन 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यर्थियों की चयन सूची को रद्द कर तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो।”
‘शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान दे सरकार’
उन्होंने कहा, “वैसे भी सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पेपर लीक आदि के मामले में यूपी सरकार का रिकार्ड भी पाक-साफ नहीं होने पर यह काफी चर्चाओं में रहा है। अब सहायक शिक्षकों की सही बहाली नहीं होने से शिक्षा व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ना स्वाभाविक है। सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे।”
क्या है पूरा मामला?
ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 1 जून 2020 और 5 जनवरी 2022 की चयन सूचियां को दरकिनार कर नियमों के तहत तीन माह में नई चयन सूची बनाने के निर्देश दिए। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। वहीं पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सेवा पर भी संकट खड़ा हो गया है।