
To reduce the impact of Trump's 50% tariff, the Indian government has prepared a plan of Rs 2250 crore, which will support the exporters and benefit the GDP.
ट्रंप टैरिफ से जूझता भारत, 2250 करोड़ रुपये की राहत योजना जल्द
50% ट्रंप टैरिफ का जवाब: भारत सरकार की बड़ी निर्यात सहायता योजना
भारत की GDP पर ट्रंप टैरिफ का असर, सरकार 2250 करोड़ रुपये की योजना से निर्यात बढ़ाने और नुकसान कम करने को तैयार।
New Delhi, (Shah Times) । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था और निर्यात उद्योग पर गहरा प्रभाव डाला है। इस फैसले से भारत की GDP ग्रोथ में 0.3 से 0.6 फीसदी तक की कमी आ सकती है, जिसका आर्थिक नुकसान लगभग 23 अरब डॉलर आंका जा रहा है। इस चुनौती का सामना करने के लिए भारत सरकार ने 2250 करोड़ रुपये की एक नई योजना तैयार की है, जिसका उद्देश्य निर्यातकों को वित्तीय सहायता प्रदान कर ट्रंप के टैरिफ के दुष्प्रभाव को कम करना है। इस लेख में हम विस्तार से इस योजना के पहलुओं, टैरिफ के प्रभावों, और भारत की रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।
ट्रंप के टैरिफ और भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत से आने वाले कपड़ा, रसायन, चमड़ा, जूते, ज्वेलरी, कालीन, और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख उत्पादों पर टैरिफ दरों को 50% तक बढ़ा दिया है। इसके कारण वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता कमजोर हुई है। मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा के अनुसार, इस टैरिफ से भारतीय निर्यातकों पर लागत का भारी बोझ बढ़ेगा, जिससे रोजगार और आर्थिक विकास दोनों प्रभावित होंगे।
विशेष रूप से, हैंडमेड टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स और कालीन उद्योग पर टैरिफ बढ़ने से निर्यात 35% तक घट सकता है, जिससे इन सेक्टर्स को 23 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। जून 2025 के आंकड़े बताते हैं कि पेट्रोलियम, कपड़ा, रत्न-आभूषण, मसाले, और कॉफी जैसे उत्पादों के निर्यात में नकारात्मक वृद्धि हुई है।
भारत सरकार की 2250 करोड़ रुपये की योजना
इस आर्थिक दबाव को कम करने के लिए भारत सरकार ने 1 फरवरी 2025 को 2250 करोड़ रुपये के बजट के साथ एक व्यापक योजना की घोषणा की है। यह योजना दो मुख्य हिस्सों में बंटी है:
NIRYAT PROTSAHAN (व्यापार वित्त सहायता): MSME और ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए आसान लोन सुविधाएं।
NIRYAT DISHA (अंतर्राष्ट्रीय समग्र बाजार पहुंच): विदेशों में वेयरहाउसिंग, वैश्विक ब्रांडिंग, और नए बाजारों की खोज।
इस योजना के तहत सरकार निर्यातकों को बेहतर सपोर्ट देने के साथ-साथ घरेलू खपत बढ़ाने और व्यापार को सुगम बनाने पर भी ध्यान दे रही है। वाणिज्य मंत्रालय ने निर्यातकों के साथ कई बैठकें की हैं ताकि उनके सामने आने वाली समस्याओं को समझा जा सके।
GST में राहत की संभावनाएं
सरकार GST परिषद की अगली बैठक में दरों को सरल और तर्कसंगत बनाने पर विचार कर रही है। मुआवजे के उपकर (Compensation Cess) का भविष्य भी इस बैठक में तय हो सकता है। इससे घरेलू मांग में वृद्धि होगी, जो टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव को कुछ हद तक कम कर सकती है।
भारत-अमेरिका व्यापार: वर्तमान स्थिति
वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर मूल्य के वस्तुओं का निर्यात किया, जबकि आयात 45.7 अरब डॉलर रहा। प्रमुख निर्यात में इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाइयां, कपड़ा और रसायन शामिल हैं। अमेरिका से भारत के कच्चे तेल के आयात में भी वृद्धि हुई है, लेकिन रूस अभी भी मुख्य आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।
विशेषज्ञों की चेतावनी और सुझाव
अजय बग्गा सहित कई अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि टैरिफ से भारत की GDP पर गंभीर असर पड़ेगा। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया है कि:
कंज्यूमर वस्तुओं पर GST में कटौती की जाए।
पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस पर सब्सिडी जारी रखी जाए।
पूंजीगत लाभ करों (STCG और LTCG) का अस्थायी निलंबन किया जाए।
व्यापार को सुगम बनाया जाए।
इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए स्मार्ट फंडिंग की जाए।
बग्गा ने कहा कि भारत का 150 मिलियन कंज्यूमर वर्ग दुनिया का सबसे ज्यादा टैक्स देने वाला वर्ग है, इसलिए इन्हें खर्च करने के लिए टैक्स राहत की आवश्यकता है।
किन सेक्टरों पर टैरिफ का ज्यादा असर
सेक्टर
पुराना टैरिफ
नया टैरिफ
असर
बुना हुआ कपड़ा
13.9%
63.9%
वियतनाम से ज्यादा नुकसान
परिधान
10.3%
60.3%
वैश्विक बाजार में पहुंच खोना
निर्मित वस्त्र
9%
59%
घरेलू वस्त्र उद्योग प्रभावित
कालीन
2.9%
52.9%
1.2 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित
रत्न और आभूषण
2.1%
52.1%
MSME सबसे अधिक प्रभावित
झींगा/समुद्री भोजन
33.26%
औसत 58%
निर्यात में गिरावट
दवाइयां
0%
50%
छूट खतरे में
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारत की चुनौतियां
जून 2025 में भारत का निर्यात 35.14 अरब डॉलर पर स्थिर रहा। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से व्यापार घाटा घटकर 18.78 अरब डॉलर हो गया। गोल्डमैन सैक्स ने भी चेतावनी दी है कि नए टैरिफ से भारत की GDP ग्रोथ में 0.3 प्रतिशत की कमी आ सकती है।
भारत के विकल्प और रणनीति
भारत सरकार निर्यात संवर्धन परिषदों, उद्योग जगत, और वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर निर्यातकों की समस्याओं का समाधान निकालने पर काम कर रही है। इसके तहत:
सप्लाई चेन मजबूत करना।
नए बाजारों की खोज।
घरेलू खपत बढ़ाना।
व्यापार नियमों को सरल बनाना।
इस रणनीति से भारत अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहा है।
नतीजा
ट्रंप के टैरिफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था और निर्यात उद्योग के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। हालांकि सरकार ने 2250 करोड़ रुपये की योजना के जरिए इस चुनौती से निपटने की शुरुआत की है, लेकिन निर्यातकों को वित्तीय सहायता, आसान नीतियां और वैश्विक बाजारों में मजबूती की जरूरत बनी हुई है।
आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण है, लेकिन सही रणनीति और नीति बदलाव से भारत अपनी आर्थिक विकास दर को स्थिर कर सकता है और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी जगह बनाए रख सकता है।