
Finance Minister Nirmala Sitharaman chairing GST Council meeting with officials.
जीएसटी काउंसिल बैठक: टैक्स रेट कटौती से आम उपभोक्ता को राहत
जीएसटी रेट कटौती: घर, बीमा और कारोबारियों को फायदा
जीएसटी काउंसिल ने टैक्स दरों के युक्तिकरण, इंश्योरेंस प्रीमियम पर राहत और कंस्ट्रक्शन मटेरियल पर टैक्स घटाने पर अहम चर्चा की।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हो रही जीएसटी काउंसिल बैठक इस बार कई अहम आर्थिक फैसलों का संकेत दे रही है। टैक्स दरों का युक्तिकरण (Rate Rationalisation), इंश्योरेंस प्रीमियम पर राहत और कंस्ट्रक्शन सेक्टर से जुड़े सामान पर जीएसटी कटौती—ये ऐसे मुद्दे हैं जिनसे सीधा असर आम उपभोक्ताओं, कारोबारी तबके और रियल एस्टेट इंडस्ट्री पर पड़ेगा।
टैक्स दरों का युक्तिकरण: उपभोक्ताओं के लिए राहत?
इस समय जीएसटी ढांचे में कई जटिल स्लैब मौजूद हैं—5%, 12%, 18% और 28%। इनसे न केवल कारोबारी जगत परेशान है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी टैक्स स्ट्रक्चर उलझा हुआ दिखता है। काउंसिल का प्रस्ताव है कि मौजूदा स्लैब्स को सरल किया जाए और मुख्य दरें केवल 5% और 18% रखी जाएं।
विश्लेषण:
अगर 12% और 28% की दरें खत्म होती हैं तो उपभोक्ताओं पर टैक्स का बोझ कम होगा।
उद्योग जगत के लिए अनुपालन आसान होगा और टैक्स चोरी की गुंजाइश घटेगी।
लेकिन सरकार के लिए चुनौती यह होगी कि टैक्स कलेक्शन पर कितना असर पड़ेगा।
इंश्योरेंस प्रीमियम पर राहत की उम्मीद
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, काउंसिल जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दर घटाने पर विचार कर रही है। अभी इन पर 18% जीएसटी लगता है, जिससे पॉलिसी महंगी हो जाती है।
फ़ायदा:
अगर दर घटकर 12% या 5% पर आती है तो लाखों मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए इंश्योरेंस किफायती हो जाएगा।
बीमा सेक्टर में नई पॉलिसियों की संख्या बढ़ सकती है।
स्वास्थ्य सुरक्षा कवरेज आम लोगों के लिए आसान हो जाएगा।
काउंटरपॉइंट:
टैक्स दर घटने से सरकार का रेवेन्यू घट सकता है।
बीमा कंपनियों को इस राहत का कितना हिस्सा उपभोक्ता तक पहुंचाना होगा, यह देखना बाकी रहेगा।
कंस्ट्रक्शन सेक्टर और घर बनाने वालों की उम्मीदें
दिल्ली में चल रही बैठक में बिल्डिंग मटेरियल्स पर टैक्स कटौती पर भी चर्चा हो रही है। इस समय:
सीमेंट पर 28%
स्टील और सरिया पर 18%
प्लाईबोर्ड, टाइल्स, पेंट, सैनिटरी वेयर और इलेक्ट्रिकल फिटिंग्स पर 18%
अगर ये दरें घटकर 5% तक आ जाती हैं:
मकान बनाने की कुल लागत में बड़ी कटौती होगी।
आम लोगों के लिए घर खरीदना आसान होगा।
रियल एस्टेट सेक्टर में मांग बढ़ेगी और नए प्रोजेक्ट्स को गति मिलेगी।
विशेषज्ञ राय:
रियल एस्टेट विशेषज्ञ प्रदीप मिश्रा का मानना है कि टैक्स कटौती सीधा असर “Housing Affordability” पर डालेगी। इससे न केवल खरीदार बल्कि डेवलपर्स भी राहत महसूस करेंगे।
MSMEs और Startups को नई सुविधा
सूत्रों के मुताबिक, काउंसिल ने MSMEs और Startups के लिए अनुपालन आसान बनाने वाले कदम मंज़ूर किए हैं। इनमें शामिल हैं:
टाइम-बाउंड रजिस्ट्रेशन
टैक्स रिटर्न फाइलिंग को सरल बनाना
इनवॉइसिंग प्रक्रिया को ऑटोमेटेड करना
लाभ:
छोटे कारोबारियों का समय और लागत बचेगी।
टेक्नोलॉजी आधारित अनुपालन से पारदर्शिता बढ़ेगी।
चुनौतियाँ और आलोचना
हालांकि जीएसटी सुधारों की दिशा सही लग रही है, मगर कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि:
दरों में कटौती से शॉर्ट-टर्म में सरकार की टैक्स कलेक्शन घट सकती है।
राज्यों को मुआवज़े की मांग बढ़ सकती है।
अगर स्लैब्स कम किए जाते हैं तो कुछ वस्तुओं पर टैक्स दर बढ़ भी सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को नुकसान होगा।
निष्कर्ष
जीएसटी काउंसिल की यह बैठक भारत की टैक्स नीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। दरों के युक्तिकरण, इंश्योरेंस पर राहत और कंस्ट्रक्शन सेक्टर को समर्थन जैसे कदम न केवल अर्थव्यवस्था को गति देंगे बल्कि उपभोक्ताओं की जेब पर भी सकारात्मक असर डालेंगे। मगर असली चुनौती यह होगी कि सरकार टैक्स रेवेन्यू और जनता को राहत देने के बीच संतुलन कैसे साधे।