
SEBI ने कोर्ट में जमा डॉक्यूमेंट्स में कहा कि उसने रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के 13 मामलों की जांच की है
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में SEBI की जांच में कसूरवार पाया गया अडानी ग्रुप (Adani Group) , SEBI ने अडानी ग्रुप (Adani Group) के खिलाफ अपनी जांच में डिस्क्लोजर से जुड़े वायलेशन ऑफ रूल्स और ऑफशोर फंड्स की होल्डिंग लिमिट के वायलेशन का मामला सामने आया है।
अडानी ग्रुप के गौतम अडानी की अगुआई वाले अडानी ग्रुप (Adani Group) पर अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने इस साल जनवरी में अपनी एक रिपोर्ट में कॉरपोरेट गवर्नेंस से जुड़े कई सवाल उठाए । इसके बाद SEBI ने जांच शुरू की थी। SEBI की यह जांच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हो रही है और मंगलवार 29 मई को इस मामले में कोर्ट सुनवाई करेगा। अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों से इंकार करता आया है।
रॉयटर्स (Reuters) के हवाले से पब्लिश एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि ये वायलेशन “तकनीकी” प्रकार के हैं। इनके उल्लंघन पर जांच पूरी होने के बाद आर्थिक दंड से अधिक कोई कार्रवाई नहीं होगी। रिपोर्ट में एक दूसरे सूत्र ने बताया कि SEBI की अभी अपनी जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की कोई योजना नहीं है।
इससे पहले शुक्रवार 25 अगस्त को SEBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने अडानी ग्रुप के लेनदेन की जांच लगभग पूरी कर ली है। अडानी ग्रुप (Adani Group) ने सेबी के निष्कर्षों पर टिप्पणी के लिए रॉयटर्स के सोमवार को किए गए अनुरोध का जवाब नहीं दिया। सेबी की टिप्पणी के लिए भी भेजी गई ई-मेल का जवाब अभी मार्केट रेगुलेटर ने नहीं दिया है।
सूत्रों ने कहा कि जांच में एक अहम निष्कर्ष कुछ रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के खुलासे के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है. सूत्र ने बताया,”रिलेटेड पार्टी के साथ लेनदेन की पहचान की जानी चाहिए और सूचना दी जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो यह भारतीय सूचीबद्ध कंपनी की वित्तीय स्थिति की गलत तस्वीर पेश कर सकता है।.” हालांकि, रॉयटर्स ने यह नहीं बताया है कि सेबी ने किन कंपनियों की जांच की है।
SEBI ने कोर्ट में जमा डॉक्यूमेंट्स में कहा कि उसने रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के 13 मामलों की जांच की है. सूत्रों ने बताया कि प्रत्येक कंपनी की ओर से प्रत्येक उल्लंघन पर अधिकतम जुर्माना 1 करोड़ रुपये (1,21,000 डॉलर) तक हो सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में यह भी पाया गया कि कुछ अडानी कंपनियों में ऑफशोर फंड की हिस्सेदारी नियमों के मुताबिक नहीं थी। भारतीय कानून किसी ऑफशोर निवेशक को FPI रूट के जरिए अधिकतम 10 फीसदी निवेश की इजाजत देता है। इससे बड़े निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप मे वर्गीकृत किया जाता है। सूत्रों का कहना है कि कुछ ऑफशोर इनवेस्टर ने अनजाने में इस सीमा का उल्लंघन किया है।







