
हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह
लेबनान। ईरान समर्थित लेबनानी चरमपंथी ग्रुप हिज़बुल्लाह (Hezbollah) के नेता हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah) ने अपने समर्थकों को संबोधित किया है। उन्होने कहा है कि हमास का इजराइल (Israel) पर 7 अक्टूबर को किया गया हमला फलस्तीनियों (Palestinians) पर गाज़ा (Gaza) में बढ़ रहे दबाव की वजह से किया गया था। नसरल्लाह ने जिस दबाव का ज़िक्र किया, उसके कई कारण भी गिनाए। उनमें इसराइली जेलों में बंद फ़लस्तीनी (palestinian), यरूशलम और वहां मौजूद धार्मिक स्थानों के स्टेट्स पर गतिरोध और गाज़ा (Gaza) की घेराबंदी और वेस्ट बैंक में बढ़ती यूहदियों बस्तियों को मुख्य कारण बताया।
नसरल्लाह (Nasrallah) की ये स्पीच हिजबुल्लाह के चैनल अल-मनार पर प्रसारित की गई और इसे दुनिया भर के मीडिया ने दिखाया, स्पीच से पहले अल-मनार पर लेबनान की राजधानी बेरूत और अन्य कई जगहों पर उस भीड़ को दिखाया गया जो नसरल्लाह (Nasrallah) को सुनने के लिए जमा हुई थी। अपनी स्पीच में नसरल्लाह (Nasrallah) ने कहा कि अरब जगत के इस्लामिक देश गाज़ा (Gaza) पर आक्रमण को रोकने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 7 अक्टूबर को इजराइल पर हुआ हमला शत प्रतिशत फ़लस्तीनी आक्रमण था। उन्होंने कहा कि सात अक्तूबर के हमलों ने इसराइल में भूचाल खड़ा कर दिया और उस हमले ने इसराइल की कमज़ोरी को उजागर किया था।
नसरल्लाह ने यमन और इराक़ (Yemen and Iraq) के शिया चरमपंथी गुटों का शुक्रिया अदा किया और उन्हें प्रतिरोध की धुरी बताया। इन गुटों में इराक़ में मौजूद शिया मिलिशिया है जो सीरिया में अमेरिकी सेना पर गोलीबारी कर रहा है, और यमन में हूथी विद्रोही हैं जो इसराइल पर ड्रोन से हमले कर रहे हैं। हिज़बुल्लाह नेता ने कहा है कि इजराइल की सबसे बड़ी भूल यही है कि वो ग़ज़ा में हमास के ख़िलाफ़ जो हासिल करना चाहता है वो मुमकिन नहीं है।
उन्होंने कहा(Nasrallah) , “एक पूरा महीना हो गया है, लेकिन इजराइल के पास कोई भी सैन्य उपलब्धि नहीं है। इजराइल गाज़ा में अग़वा किए गए लोगों को केवल बातचीत के सहारे ही छुड़ा पाएगा। नसरल्लाह (Nasrallah) ने संघर्ष और फ़लस्तीन के आम लोगों की मौत के लिए अमेरिका को ज़िम्मेदार ठहराया है।
नसरल्लाह (Nasrallah) की स्पीच से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि क्या वे इजराइल के साथ झड़पों में इज़ाफ़े का एलान करने वाले हैं। उनके पते-ठिकाने को लेकर रहस्य बना हुआ है लेकिन हज़ारों लोग उन्हें ऑनलाइन सुन रहे थे। इसमें लेबनान की राजधानी बेरूत की सड़कों पर इकट्ठा हुई हिज़बुल्लाह (Hezbollah) समर्थकों की बड़ी भीड़ भी शामिल थी। ब्रिटेन, अमेरिका, इजराइल समेत कई देश हिज़बुल्लाह (Hezbollah) को हमास की तरह ही एक आतंकवादी संगठन मानते हैं। हिज़बुल्लाह (Hezbollah) को लेबनान की सबसे बड़ी राजनीतिक और मिलिट्री ताक़त के रूप में देखा जाता है।
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हिज़बुल्लाह (Hezbollah) नेता हसन नसरल्लाह (Hasan Nasrallah) ने अपने भाषण में सात अक्टूबर के इसराइल पर हमास के हमले की तारीफ़ की। इस हमले में 1400 से अधिक लोग मारे गए थे। शिया मौलवी नसरल्लाह (Nasrallah) साल 1992 से ही हिज़बुल्लाह की कमान थामे हुए हैं। नसरल्लाह (Nasrallah) को इस बात का भी श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने हिज़बुल्लाह को एक राजनीतिक और मिलिट्री ताक़त में बदल दिया।
हसन नसरल्लाह (hasan Nasrallah) के ईरान और उसके सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामनेई के साथ साल 1981 से ही क़रीबी रिश्ते हैं।ये वही साल था जब ईरान के पहले सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह रुहोल्लाह खोमैनी ने उन्हें लेबनान में अपने निजी प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया था।
नसरल्लाह (Nasrallah) पिछले कई सालों से सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दिए हैं। माना जाता है कि नसरल्लाह को इस बात का डर है कि कहीं इसराइल उनकी हत्या न करा दे,लेकिन हिज़बुल्लाह में नसरल्लाह (Nasrallah) का कद सबसे बड़ा है। वे हरेक हफ़्ते टीवी पर अपना रिकॉर्डेड भाषण जारी करते हैं।







