HomeHealthथैलेसीमिया की पहचान के लिए टेस्टिंग जल्दी और तेज करने की जरूरत

थैलेसीमिया की पहचान के लिए टेस्टिंग जल्दी और तेज करने की जरूरत

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विश्व थैलेसीमिया दिवस

नई दिल्ली,(सफदर अली)। थैलेसीमिया के बारे में जागरूकता की कमी है। यही कारण है कि इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस के रूप में मनाया जाता है।
गौरतलब है कि थैलेसीमिया ख़ून से संबंधित आनुवंशिक बीमारी है। थैलेसीमिया जीन की कमी या जीन में त्रुटियों के कारण होता है, ये जीन हीमोग्लोबिन (लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन) के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसे जीन के अल्फा या बीटा ग्लोबिन अवस्था के आधार पर माइनर, मेजर और इंटरमीडिया प्रकार के थैलेसीमिया में विभाजित किया गया है।


प्राइमस सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट हेड डॉ अनुराग सक्सेना के अनुसार इस बीमारी में इलाज़ किस प्रकार दिया जायेगा, यह थैलेसीमिया बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता हैं। मेजर थैलेसीमिया मरीजों को कम उम्र में डायग्नोसिस किया जाता है, उन्हें आजीवन ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है। इस वजह से उनके जीवन जीने की उम्र कम हो जाती है। जबकि माइनर थैलेसीमिया मरीजों मे केवल एनीमिक स्थिति नज़र आती है।

Dainik Shah Times E-Paper 9 May 23


भारत में हर साल दस हजार से ज्यादा बच्चे थैलेसीमिया से ग्रसित होने के साथ पैदा होते हैं। इतनी बड़ी संख्या के बावजूद इस बीमारी को रोकने का कोई उपयुक्त उपाय नहीं है। औसतन मेरे पास माइनर थैलेसीमिया से पीड़ित 30 से 40 मरीज़ आते हैं। इन माइनर मरीजों को इस बीमारी से पीड़ित रहने के बारे में पता नहीं होता है। इसके अलावा 12 से 15 मरीज़ ऐसे आते हैं जो मेजर थैलेसीमिया से पीड़ित होते हैं। इस साल के बजट में 2047 तक सिकल सेल रोग के उन्मूलन की दिशा में सरकार ने कदम उठाया है। गौरतलब है कि सिकल सेल बीमारी भी लाल रक्त कोशिकाओं के आकार को प्रभावित करने वाली एक आनुवंशिक विकार है। इसलिए सरकार को इस बीमारी के उन्मूलन पर भी ध्यान देना चाहिए। थैलेसीमिया की पहचान के लिए टेस्टिंग जल्दी और तेज करने की जरूरत है और इस बीमारी पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके अलावा इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना अतिआवश्यक है। डॉ अनुराग सक्सेना बताते हैं कि मेजर थैलेसीमिया को होने से रोका जा सकता है बशर्ते कि मां बाप बनने से पहले दंपत्ति डॉक्टरों से सलाह लें और अपनी जांच करवाएं । जांच में उन्हे पता चलेगा कि उन्हे माइनर थैलेसीमिया है या नहीं। इसी के अनुसार ही वह अपनी गर्भावस्था की योजना बना पायेंगे। अगर मां – बाप दोनों मे थैलेसीमिया लक्षण हैं तो बच्चे के मेजर थैलेसीमिया बीमारी के साथ पैदा होने की 25% संभावना होती है।

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