सात समुन्द्र पार है हिन्दी, भारत की जयकार है हिन्दी

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श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस पर काव्य गौष्ठी आयोजित

गजरौला (चेतन रामकिशन) । जनपद अमरोहा (Amroha) के गजरौला (gajraula) में राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय/संस्थान (Sri Venkateswara University/Institute) एवं वीजीआई मेरठ (VGI Meerut) के संयुक्त तत्वाधान में हिन्दी दिवस (Hindi Diwas) पर शानदार काव्य संगौष्ठी एवं साहित्य सम्मान समारोह का शानदार आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सो से आये कवियो एवं साहित्यकारो ने हिन्दी के सम्मान में एक से एक बढकर शानदार प्रस्तुतिया देकर सभी से हिन्दी को अपने कामकाज, व्यवहार एवं व्यापार की भाषा बनाने की पुरजोर वकालत की। इस अवसर पर समूह चेयरमैन डाॅ. सुधीर गिरि (Sudhir Giri) ने प्रतिकुलाधिपति डाॅ0 राजीव त्यागी (Dr. Rajiv Tyagi) के साथ मिलकर कवियो एंव साहित्यकारो को शाॅल एवं स्मृति चिन्ह भैंटकर सम्मानित किया।

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श्री वेंक्टेश्वरा संस्थान (Sri Venkateswara Institute) के रविन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) सभागार में हिंदी दिवस (hindi diwas) के अवसर पर आयोजित काव्य संगौष्ठी एवं साहित्य सम्मान समारोह का शुभारम्भ समूह चेयरमैन डाॅ. सुधीर गिरि, प्रतिकुलाधिपति डाॅ. राजीव त्यागी, जयपुर से आयी देश की अन्तर्राष्ट्रीय कवयित्री डाॅ. मधु चतुर्वेदी, प्रधान सलाहकार डाॅ. वीपीएस अरोड़ा, डाॅ. अनुराग मिश्र गौर, डाॅ. यतीन्द्र कटारिया, डाॅ0 योगेन्द्रनाथ शर्मा अरूण आदि ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सन्मुख दीप प्रज्जवलित करके किया।

कवि सम्मेलन/संगौष्ठी का शुभारम्भ पर काव्य पाठ करते हुए वरिष्ठ/विख्यात कवियत्री डाॅ0 मधु चतुर्वेदी ने यूं कहा –

‘उम्र भर हमने ऐसे कसाले जिये, तम निगलते रहे पर उजाले दिये।
प्यास में आँसुओ का रसायन मिला, तृप्ति के घट तुम्हारे हवाले किये।।’
सुनाकर सभी को तालिया बजाने पर मजबूर कर दिया।

वरिष्ठ हिन्दी सेवी एवं राज्यभाषा पुरस्कार से सम्मानित कवि डाॅ. यतीन्द्र कटारिया ने हिन्दी के लिए कहा कि-

‘सात समुन्द्र पार है हिन्दी, भारत की जयकार है हिन्दी,
विश्व पटल पर बढ़ती जाती, भारत का विस्तार है हिन्दी।’

वरिष्ठ कवि एवं व्यंगकर डाॅ. अनुराग मिश्र गौर ने कहा कि-

‘लोग कहते है कि तू अब भी खफा है मुझसे,
पर तेरी आँखो ने तो कुछ और ही कहा है मुझसे।’

वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. योगेन्द्रनाथ शर्मा अरूण ने कहा कि –

शिकवा करने गये थे, इबादत सी हो गयी।
तुझे भूलने की जिद थी, पर तेरी आदत सी हो गयी।।
सुनकर खूब वाहवाही लूटी।

कवि संगौष्ठी में वरिष्ठ कवि डाॅ. गोपाल नारसन, डाॅ. अंजना व्यास, पीयूष पाण्डेय, रामयश सिंह आदि ने भी काव्यपाठ किया।

इस अवसर पर सीईओ अजय श्रीवास्तव, आरएस शर्मा, डाॅ पीयूष पाण्डेय, डाॅ. राजेश सिंह, डाॅ. दिव्या गिरिधर, डी.पी. सिंह, डाॅ लक्ष्मण सिंह रावत, डाॅ. राजेश सिंह, डाॅ. सी.पी. कुशवाहा, डाॅ. एस.एन. साहू, डाॅ. श्वेता गुप्ता, डाॅ. राजवर्द्धन, डाॅ. रमेश चैधरी, डाॅ. राहुल, डाॅ. ओमप्रकाश, डाॅ. अश्विन सक्सेना, डाॅ. रामकुमार, डाॅ. मोहित शर्मा, डाॅ. वर्षा यादव, डाॅ. ज्योति सिंह, डाॅ. योगेश्वर शर्मा, डाॅ. अनिल जायसवाल, मारूफ चैधरी, अरूण गोस्वामी, राजीव सिंह, विशाल शर्मा, एसएस बघेल, गुरूदयाल कटियार, विक्रान्त चैधरी, रिंकी शर्मा, सीएफओ विकास भाटिया, विकास श्रीवास्तव, आन्नद नागर, मेरठ परिसर से डाॅ. प्रताप सिंह, मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे।

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