
Aftermath of the devastating cloudburst near Machail Mata Yatra route in Kishtwar, Jammu & Kashmir, where dozens lost their lives and many were injured.
किश्तवाड़ में बादल फटा, 35 मौतें, मचैल माता यात्रा स्थगित। राहत-बचाव जारी
किश्तवाड़ में बादल फटने से 35 की मौत, यात्रा रोकी गई
किश्तवाड़ के मचैल माता मार्ग पर बादल फटने से 35 मौतें, सैकड़ों घायल। राहत-बचाव जारी, जलवायु परिवर्तन पर गंभीर सवाल।
किश्तवाड़ की त्रासदी: बादल फटना और जलवायु संकट की चेतावनी
Kishtwar,(Shah Times)।जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में गुरुवार दोपहर करीब 12:30 बजे मचैल माता मंदिर मार्ग पर भयानक बादल फटने (Cloudburst) की घटना ने भारी तबाही मचा दी।
चशोती गांव में हुए इस हादसे में 35 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं। मचैल माता यात्रा को तुरंत रोक दिया गया है और राहत-बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
घटना कैसे हुई?
चशोती, किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर पड्डर घाटी में स्थित अंतिम मोटर योग्य गांव है। यहीं से 8.5 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा मंदिर की ओर शुरू होती है।
हजारों श्रद्धालु मचैल माता यात्रा के लिए यहां एकत्र हुए थे कि अचानक पहाड़ों से भारी बारिश और तेज बहाव के साथ पानी नीचे आया, जिसने लंगर, दुकानें और घरों को बहा दिया।
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भौगोलिक स्थिति और खतरा
ऊंचाई: 1,818 से 3,888 मीटर
नदी: चिनाब नदी, जो पहाड़ों से आने वाले पानी को तुरंत समेट लेती है।
दुर्गमता: 90 किलोमीटर दूर और पहाड़ी रास्ते, जिससे राहत पहुंचाना कठिन।
ग्लेशियर: बारिश से बर्फ पिघलने से बहाव कई गुना बढ़ जाता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण इस तरह की घटनाओं में तेजी आई है। अनियमित बारिश और बढ़ते तापमान से बादल फटने की आवृत्ति और असर दोनों बढ़ रहे हैं।
नुकसान का आंकलन
35 मृत, संख्या बढ़ने की आशंका।
120+ घायल, कई की हालत गंभीर।
लंगर, दुकानें, सुरक्षा चौकी, कई घर बह गए।
वार्षिक मचैल माता यात्रा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित।
राहत और बचाव अभियान
मौके पर सक्रिय टीमें:
NDRF के दो दल उधमपुर से रवाना
सेना और पुलिस बचाव में जुटी
हेलिकॉप्टर व ड्रोन से ऊंचाई वाले इलाकों में सहायता
जिला उपायुक्त और एसएसपी मौके पर
नेताओं की प्रतिक्रिया:
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गहरी संवेदना व्यक्त की और राहत तेज करने के निर्देश दिए।
गृह मंत्री अमित शाह ने हरसंभव मदद का भरोसा दिया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी हालात की निगरानी और सहायता का आश्वासन दिया।
भविष्य के लिए सबक
बेहतर मौसम चेतावनी प्रणाली – रियल टाइम अलर्ट सिस्टम ताकि बादल फटने जैसी घटनाओं की अग्रिम सूचना मिले।
सुरक्षित निर्माण – पहाड़ी इलाकों में अवैध और जोखिम भरे निर्माण पर रोक।
स्थानीय प्रशिक्षण – आपदा प्रबंधन के लिए गांव-गांव में टीम बनाना।
जलवायु परिवर्तन नियंत्रण – हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए ठोस नीति।
किश्तवाड़ की यह त्रासदी केवल एक स्थानीय हादसा नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की गंभीर चेतावनी है। सरकार, प्रशासन और आम जनता को मिलकर ऐसे पहाड़ी क्षेत्रों में सुरक्षा और स्थायित्व सुनिश्चित करना होगा, वरना भविष्य में ऐसी घटनाएं और घातक हो सकती हैं।