
AIMPLB के प्रतिनिधि सभा में महत्वपूर्ण फैसले लेते हुए
AIMPLB का दिल्ली सम्मेलन: वक़्फ़ विवाद और आगामी धरना
वक़्फ़ संशोधन एक्ट पर AIMPLB की समीक्षा और रणनीति
16 नवंबर को रामलीला मैदान में बड़ा आंदोलन: AIMPLB की घोषणा
📍नई दिल्ली 🗓️ 13 अक्टूबर 2025 ✍️ Asif Khan
नई दिल्ली में हुई AIMPLB (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) की बैठक में वक़्फ़ संशोधन अधिनियम, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड पर गहरी चर्चा हुई। तय हुआ कि 16 नवंबर 2025 को रामलीला मैदान में देशव्यापी धरना देंगे। इस लेख में हम बैठक के निर्णय, उनके तर्क, और चुनौतियाँ समझने की कोशिश करेंगे।
नई दिल्ली में AIMPLB की बैठक ने एक बार फिर वक़्फ़ कानून विवाद को केंद्र में ला दिया। मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी की अध्यक्षता में यह बैठक न सिर्फ प्रशासन और कोर्ट से संवाद की दिशा तय करेगी, बल्कि आंदोलन की रणनीति को भी आकार देगी।
बैठक के मुख्य फैसले और उनके मायने
बैठक में यह तय किया गया कि 16 नवंबर को रामलीला मैदान में एक बड़ा धरना किया जाए। देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग इसमें शामिल होंगे। यह संकेत है कि AIMPLB आंदोलन को सिर्फ वोकल विरोध नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर जन आंदोलन में परिवर्तित करना चाहती है।
साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश (interim order) का स्वागत किया गया। लेकिन ये कहा गया कि आदेश अधूरा है — कुछ खतरनाक प्रावधान अभी भी लागू हो सकते हैं। AIMPLB ने इसे “incomplete and unsatisfactory” बताया है।
उसी बैठक में यह निर्णय लिया गया कि वक़्फ़ संपत्तियों का विवरण उम्मीद पोर्टल पर जल्द रजिस्टर करने की अपील की जाएगी। लेकिन समय कम होने की वजह से यह प्रक्रिया कठिन हो रही है, इसलिए समय बढ़ाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाएगी।
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एक दिलचस्प बिंदु यह भी था कि यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (UCC) विषय पर भी बैठक में गंभीर रूप से विचार किया गया। ये संकेत है कि AIMPLB सिर्फ वक़्फ़ कानून तक सीमित नहीं रहना चाहती — वह व्यापक सामाजिक-न्याय से जुड़े मामलों पर अपनी आवाज़ उठाना चाहती है।
तर्क-वितर्क और चुनौतियाँ
इस तरह की बड़ी रणनीति चुनौतियों से खाली नहीं है।
सबसे पहले, कोर्ट और सरकार की ओर से कैसे जवाब मिलेगा? सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कुछ प्रावधानों को स्थगित किया है, लेकिन बाकी कानून अभी भी लागू हो सकते हैं।
दूसरा, धरना और आंदोलन का असर कितनी व्यापकता से दिखेगा? अगर सड़कों पर लोगों की संख्या कम रही, तो सरकार बहाना खोज सकती है।
तीसरा, संवाद और आंदोलन — दोनों के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाए? सिर्फ आंदोलन से कार्य नहीं चलेगा, लेकिन सिर्फ संवाद से भी ठोस परिणाम नहीं मिल सकते।
AIMPLB ने यह भी निर्णय किया कि हर राज्य में समितियाँ बनाई जाएँ और वक़्फ़ संपत्ति वाले इलाकों में हेल्प डेस्क स्थापित की जाएँ ताकि लोग पोर्टल पर अपलोड करने में मदद पा सकें। ये कदम ठीक है, क्योंकि जमीन स्तर पर बहुत लोग तकनीकी या प्रक्रिया संबंधी दिक्कतों से जूझते हैं।
बैठक में महिलाओं की भागीदारी पर भी चर्चा हुई। मीडिया ने कुछ रिपोर्ट्स में कहा था कि महिलाएँ बैठक में न थीं, लेकिन बोर्ड ने स्पष्ट किया कि महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण थी। यह जरूरी है — जनता को यह दिखाना कि यह आंदोलन सिर्फ पुरुषों का विषय नहीं है, बल्कि पूरे समाज का विषय है।
एक परिप्रेक्ष्य: सहमति, विरोध और वैकल्पिक रास्ते
हम उत्साही समर्थक भी हो सकते हैं, लेकिन यह सच है कि हर आंदोलन में विरोध होगा। कुछ लोग कह सकते हैं कि आंदोलन से समाधान नहीं मिलेगा — संवाद पर ही बल देना चाहिए।
लेकिन इसी प्रक्रिया में विरोधी सवाल खुद उठाते हैं: क्या सिर्फ धरने और आंदोलनों से व्यवस्था बदलेगी? क्या यह राजनीतिक प्रभाव को जन्म नहीं देगा? क्या सरकार आंदोलन की वैधता को चुनौती न दे? ये सवाल महत्वपूर्ण हैं और AIMPLB को इनका जवाब पहले ही तैयार रखना चाहिए।
व्यक्तिगत रूप से, मैं मानता हूँ कि इस विषय पर आंदोलन और न्यायालयी लड़ाई — दोनों जरूरी हैं। आंदोलन तब तक असरदार रहेगा जब संवाद और रणनीति साथ-साथ हो।