
रायबरेली (Raebareli) के डलमऊ इलाके के 28 गांवों के लोग होली के तीन दिन बाद होली खेलते हैं. इन गांवों में मातम मनाया जाता है. ये परंपरा 700 साल पुरानी है. होली के दिन राजा डल की बलि देने की वजह से मातम मनाने की परंपरा आज भी चली आ रही है
रायबरेली (शाह टाइम्स) देशभर में होली धूमधाम से मनाई जाएगी उत्तर प्रदेश के रायबरेली (Raebareli) में एक इलाका ऐसा भी है, जहां लोग होली के दिन रंग और गुलाल नहीं फेंकते होली के दिन जहां लोग रंगों की बौछार का आनंद लेते हैं, वहीं रायबरेली के डलमऊ के 28 गांवों में होली के दिन मातम मनाया जाता है. इन गांवों के लोग होली के त्योहार के तीन दिन बाद होली खेलते हैं.
700 साल पुरानी है परंपरा
नगर पंचायत अध्यक्ष ब्रजेश दत्त गौड़ ने बताया कि डलमऊ में होली के दिन 28 गांवों में मातम मनाया जाता है. यह 700 साल पुरानी परंपरा है। होली के दिन राजा डलदेव के बलिदान के कारण शोक की परंपरा आज भी चली आ रही है। उन्होंने बताया कि 1321 ई. में राजा डलदेव होली मना रहे थे। इस दौरान जौनपुर के राजा शाह शर्की की सेना ने डलमऊ के किले पर हमला कर दिया। राजा डलदेव 200 सैनिकों के साथ युद्ध करने के लिए मैदान में कूद पड़े। शाह शर्की की सेना से युद्ध करते हुए पखरौली गांव के पास राजा डलदेव शहीद हो गए।
घटना की हो जाती हैं यादें ताजा
इस युद्ध में राजा डलदेव के 200 सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी। जबकि, शाह शर्की के दो हजार सैनिक मारे गए। डलमऊ तहसील क्षेत्र के 28 गांवों में होली आते ही उस घटना की यादें ताजा हो जाती हैं। युद्ध में राजा के बलिदान के कारण आज भी 28 गांवों में तीन दिन का शोक मनाया जाता है। रंगों का त्योहार आते ही डलमऊ की ऐतिहासिक घटना की याद ताजा हो जाती है, जिसके कारण लोग होली का आनंद नहीं ले पाते और गम में डूबे रहते हैं।