
ISI
नई दिल्ली (Shah Times): आपने ISI के बारे में तो तो सुना ही होगा ISI मतलब इंटर सर्विसेज इंटालिजैंस जो कि पाकिस्तान की सबसे बेशर्म खुफिया एजेंसी है। चाहे उजमा अहमद का मामला ले लिजिये या फिर कुलभूषण जाधव का मामला हो या आप भारत में होने वाली कोई भी आतंकी गतिविधि का मामला हो हर जगह इसी आईएसआई का नाम सामने आता है।
उजमा मामले में ISI ने की थी सारी हदें पार
उज्मा अहमद को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारत की बेटी बताया था। वह जब 27 साल की थी तब उनका अपहरण करके, नशे की गोलियां खिलाकर और बंदूक की नोंक पर पाकिस्तान के बुनेर गांव में ताहिर अली से जबरन निकाह करवा दिया गया था। वह खैबर पख्तूख्वां के दूरस्थ क्षेत्र में कैदियों की तरह जिंदगी जी रही थीं। इस मामले में हर जगह ISI ने उजमा को रोकने की कोशिश की थी लेकिन अंत में जीत सत्य की हुई थी। ISI ने सोचा भी नहीं होगा कि उसको भारती कुटनिति के आगे इतना शर्मिंदा होना पड़ेगा।
कुलभूषण जाधव के आपहरण में शामिल थी ISI
मार्च 2016 में, भारतीय व्यवसायी जाधव को जैश अल-अदल के मुल्ला उमर ईरानी के नेतृत्व वाले एक समूह ने ईरान-पाकिस्तान सीमा से अगवा कर लिया था और मीर सहित कई बिचौलियों के माध्यम से पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया था। बता दें उमर ईरानी को भी उनके दो बेटों के साथ नवंबर 2020 में उसी इलाके (तुर्बत) में कथित तौर पर आईएसआई ने मार डाला था। मीर को लेकर भी संदेह है कि आईएसआई के गुर्गों ने कुछ समय से चल रहे आंतरिक संघर्ष में उनकी हत्या कर दी है।
अमेरिकी के अनुसार पुलवामा हमले में भी आईएसआई
पुलवामा हमले में कई बार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का नाम अक्सर सामने आता रहा है। यह बात खुद अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA की रिपोर्ट में सामने आया था। अब यह बात बिल्कुल क्लियर है कि आईएसआई ने अपनी बेशर्मी से इस हमले की जिम्मेदारी ली तो लेकिन बाद में अपनी फितरत के अनुसार मुकरने काम जो पाकिस्तान अक्सर करता आया है वहीं किया।
इस खुलासे ने खोल दी थी पोल
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एक पूर्व विश्लेषक ब्रूस रिडेल ने एक समाचार एजेंसी को बताया, “हमले में जैश-ए-मोहम्मद की स्व-घोषित भागीदारी इस हमले के सरगना के समर्थन में आईएसआई की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करती है।” ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक में विद्वान रिडेल ने कहा कि एक हमला जिसके निशान पाकिस्तान में मिलते हैं, यह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमराख खान के कार्यकाल के पहली बड़ी चुनौती है।
कश्मीर विधानसभा पर हमला, ISI की भूमिका
आज से कुछ साल पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर हमला हुआ था। इस हमले के पीछे भी बताया जाता है कि जैश के आतंकियों को ट्रेनिंग से लेकर फंडिग तक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ था। इस मामले में भी देश की बड़ी एजेंसियों ने जांच की थी लेकिन आईएसआई लगातार मुकरती रही।
संसद पर हमले में भी था ISI का हाथ
13 दिसंबर 2001 को भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद भवन पर आतंकी हमला किया गया था। वो 13 दिसंबर का दिन था जब एक सफेद एंबेसडर कार में आए पांच आतंकवादियों ने 42 मिनट तक संसद भवन परिसर में तांडव मचाया था। पूरा परिसर गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा था। इस हमले के तार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुडे थे। बताया जाता रहा है कि जैश के आतंकियों को भी आईएसआई ने ही ट्रेंनिंग दी थी।
पहलगाम हमले के पीछे भी था ISI का हाथ
पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच के लिए NIA की टीम आज (शुक्रवार, 02 मई को) भी बैसरन घाटी पहुंची थी। सूत्रों से ये जानकारी मिली है कि NIA को इस आतंकी हमले के मामले में ऐसे कई सबूत मिले हैं जो इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि बैसरन घाटी के हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था।
अब NIA की जांच में नया ट्विस्ट आ गया है। सूत्रों के मुताबिक, NIA को ऐसे सुराग हाथ लगे हैं, जिससे स्थानीय पोनीवालों यानी खच्चर वालों की भूमिका शक के दायरे में आ गई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को शक है कि पोनीवालों ने आतंकियों की मदद की थी।